Last Updated:April 15, 2025, 17:18 IST
Banking Emergency : आरबीआई ने मंगलवार को कहा कि भले ही बैंकिंग सिस्टम में अभी सुस्ती का माहौल है, लेकिन बफर पूंजी का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. रिजर्व बैंक ने साल 2015 में इस बफर को बनाने का फैसला किया था. इस...और पढ़ें

रिजर्व बैंक ने साल 2015 में बफर कैपिटल बनाने का फैसला किया था.
हाइलाइट्स
आरबीआई ने बफर पूंजी का उपयोग नहीं करने का निर्णय लिया.बफर पूंजी का उपयोग आपात स्थिति में किया जाता है.आरबीआई ने 2015 में बफर पूंजी बनाने का फैसला किया था.नई दिल्ली. भारतीय रिजर्व बैंक ने आपात परिस्थितियों और मुश्किलों से निपटने के लिए एक बफर पूंजी यानी सीसीवाईबी बना रखा है और मंगलवार को इस बात पर फैसला किया कि अभी बैंकिंग सिस्टम में छाई सुस्ती को दूर करने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए या नहीं. रिजर्व बैंक ने करीब 10 साल पहले इस तरह के बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया था और तय किया गया था कि इसका इस्तेमाल परिस्थितियों के हिसाब से किया जाएगा.
आरबीआई ने मंगलवार को कहा कि ‘काउंटरसाइक्लिकल’ यानी सुस्ती की स्थिति से निपटने के लिए तैयार बफर पूंजी (सीसीवाईबी) का उपयोग फिलहाल नहीं किया जाएगा, क्योंकि हमारा मानना है कि मौजूदा परिस्थिति में इसकी जरूरत नहीं है. आरबीआई ने सीसीवाईबी की रूपरेखा को फरवरी, 2015 में दिशानिर्देशों के रूप में पेश किया था. तब सलाह दी गई थी कि परिस्थितियों के अनुरूप सीसीवाईबी को लागू किया जाएगा और इसके बारे में पहले से ही घोषणा की जाएगी.
कैसे तय होगा इसका इस्तेमाल
रिजर्व बैंक ने इसकी रूपरेखा में मुख्य संकेतक के रूप में कर्ज और जीडीपी के अंतर की परिकल्पना को शामिल किया था. इसका उपयोग अन्य पूरक संकेतकों के साथ किया जा सकता है. आरबीआई ने बताया कि सीसीवाईबी संकेतकों की समीक्षा के आधार पर यह निर्णय लिया गया है कि इस समय इसको लागू करना जरूरी नहीं है. जाहिर है कि आरबीआई ने बफर इस्तेमाल करने के बजाय बैंकिंग सिस्टम को पटरी पर लाने के लिए दूसरी तैयारी की है.
10 साल में कभी नहीं हुआ इस्तेमाल
आरबीआई ने भले ही बफर स्टॉक बनाने का काम साल 2015 में पेश किया था, लेकिन अबतक इसका उपयोग नहीं किया गया है. सीसीवाईबी व्यवस्था के दो उद्देश्य हैं. सबसे पहले इसके लिए बैंकों को अच्छे समय में पूंजी बफर बनाने की आवश्यकता होती है, जिसका उपयोग कठिन समय में कर्ज के प्रवाह को बनाए रखने के लिए किया जा सकता है. दूसरा, यह बैंकिंग क्षेत्र को अत्यधिक लोन ग्रोथ की अवधि में अंधाधुंध कर्ज देने से रोकने के लक्ष्य को भी हासिल करने में मददगार बनाता है.
क्यों बनाया गया बफर स्टॉक और कितना बड़ा
आरबीआई ने साल 2008 के ग्लोबल फाइनेंशियल क्राइसिस के मद्देनजर केंद्रीय बैंक के प्रमुखों और पर्यवेक्षण प्रमुखों के समूह (जीएचओएस) के साथ मिलकर बासेल समिति बनाई. इसके तहत सभी बैंकों के लिए एक मानक बनाया गया. इसके तहत सभी बैंकों को अपनी टीयर-1 पूंजी का 2.5 फीसदी हिस्सा बफर स्टॉक के रूप में बचाकर रखना होगा. इसका इस्तेमाल सिर्फ आपात परिस्थिति में ही करना होगा. फिलहाल आरबीआई ने इसका इस्तेमाल न करने का फैसला किया है.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
April 15, 2025, 17:18 IST