नई दिल्ली: भारत से कनाडा के रिश्ते तल्ख हो चुके हैं. अब राजनयिक संबंध भी टूटने की कगार पर हैं. इसके विलेन हैं जस्टिन ट्रूडो. कनाडा के प्रधानमंत्री ट्रूडो भारत को बदनाम कर अपनी सियासी रोटी सेकने में लगे हैं. वह भारत पर झूठे आरोप लगाकर अपना सियासत चमकाना चाहते हैं. यही वजह है कि जस्टिन ट्रूडो अपने फायदे के लिए दो देशों के मित्रवत संबंध को भी ताक पर रख रहे हैं. जस्टिन ट्रूडो का खालिस्तान प्रेम अब सिर चढ़कर बोलने लगा है. पहले पिता पियरे ट्रूडो ने कनाडा की धरती पर खालिस्तानियों को पाला-पोसा और अब उनके बेटे जस्टिन ट्रूडो खालिस्तानियों को सिर पर चढ़ा रहे हैं. भारत के प्रति जस्टिन ट्रूडो की मंशा कैसी है, इसकी झलक तो 2018 में ही मिल गई थी. तब वह प्रधानमंत्री के तौर पर भारत आए थे. मगर अब भारत सरकार ने जस्टिन ट्रूडो की मंशा को बेनकाब कर दिया है. भारत सरकार ने जस्टिन ट्रूडो सरकार की बखिया उधेड़ दी हैं.
सबसे पहले जानते हैं कि अभी भारत और कनाडा के बीच क्या हुआ? खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या ने भारत और कनाडा के तल्ख रिश्ते की चिंगारी को और सुलगा दिया है. निज्जर की हत्या मामले में कनाडा एक के बाद एक भारत पर कई आरोप लगा चुका है. भारत ने भी उसके आरोपों को हर बार खारिज किया है और उसका मुंहतोड़ जवाब दिया है. कनाडा का आरोप है कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंट का हाथ है. जबकि भारत पूरी दुनिया के सामने डंके की चोट पर कहता रहा है कि अगर कनाडा की बातों में दम है तो वह भारत को सबूत दे. भारत ने तो अब साफ कह दिया है जस्टिन ट्रूडो अपनी सियासत चमकाने के लिए ऐसे बेतुका बयान दे रहे हैं.
भारत ने कनाडा को दिया मुंहतोड़ जवाब
भारत और कनाडा के बीच रिश्ते में उस वक्त और तल्खी आ गई, जब कनाडा की ट्रूडो सरकार ने अपनी हालिया जांच में भारतीय हाई कमिश्नर संजय कुमार वर्मा को ‘पर्सन ऑफ इंटरेस्ट’ के रूप में लिंक किया था. लेटेस्ट डेवलपमेंट में ट्रूडो सरकार ने आरोप लगाया कि कनाडा में खालिस्तानी अलगाववादी हरदीप निज्जर की हत्या के मामले में भारतीय उच्चायुक्त और राजनायिक संजय कुमार वर्मा शामिल हैं. इस पर भारत ने सख्ती दिखाई. भारत ने न केवल कनाडा के आरोपों को खारिज किया, बल्कि कनाडाई डिप्लोमेट को तलब भी कर लिया. इसके साथ ही भारत ने कनाडा में मौजूद अपने उचायुक्त और राजनयिकों को वापस भी बुला लिया.
2018 वाला जस्टिन ट्रूडो का कांड
जस्टिन ट्रूडो की मंशा तो उसी वक्त जगजाहिर हो गई थी, जब वह 2018 में भारत दौरे के दौरान डिनर पर खालिस्तानी आतंकवादी को इनवाइट किया था. साल 2018 में जस्टिन ट्रूडो भारत दौरे पर आए थे. उन्होंने अपने साथ डिनर पर खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल को न्योता दिया था. हालांकि, भारत ने जब इस बात को लेकर फटकार लगाई तो जस्टिन ट्रूडो सफाई देते फिरे थे. ट्रूडो ने तब मीडिया से कहा था कि उन्हें नहीं पता था इस बारे में. जैसे ही पता चला, उन्होंने डिनर पर निमंत्रण का न्योता रद्द कर दिया. जस्टिन ट्रूडो की टीम ने जिस आतंकवादी जसपाल अटवाल को डिनर पर इनवाइट किया था, वह पंजाब के एक मंत्री के हत्या के लिए दोषी था.
साल 2018 में भारत दौरे पर आए थे जस्टिन ट्रूडो
जस्टिन ट्रूडो की मंशा ही यही थी
2018 में ही जस्टिन ट्रूडो ने यह दांव यूं ही नहीं चला था. उनका मकसद कनाडा में मौजूद खालिस्तान प्रेमियों का वोट हासिल करना था. उनकी टीम में ऐसे भी लोग शामिल थे, जो भारत विरोधी थे और खालिस्तानी प्रेमी थे. 2019 के चुनाव में जस्टिन ट्रूडो ने वोट हासिल करने के लिए यह सब किया था. अब खुद भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसकी पोल खोल दी है. भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि जस्टिन ट्रूडो वोट बैंक की राजनीति कर रहे हैं. वह भारत के साथ कनाडा के राजनयिक संबंधों को प्रभावित कर रहे हैं. 2018 में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा का मकसद वोट बैंक को साधना था, जो उनके लिए उल्टा पड़ गया. उनके मंत्रिमंडल में ऐसे लोग भी शामिल थे जो भारत विरोधी अलगाववादी एजेंडे को बढ़ावा देते हैं.
भारत ने उधेड़ीं बखियां
विदेश मंत्रालय ने साफ कह दिया कि जस्टिन ट्रूडो लंबे वक्त से भारत से दुश्मनी रख रहे हैं. वह अपनी नाकामियों को छिपाने और आलोचनाओं को कम करने के लिए जानबूझकर भारत को इसमें घसीट रहे हैं, ताकि नुकसान को कम किया जा सके. भारतीय राजनयिकों को निशाना बनाने वाला यह ताजा घटनाक्रम अब उसी दिशा में उठाया गया अगला कदम है. भारत ने साफ कहा है कि जस्टिन ट्रूडो की सरकार हमेशा अलगाववादी विचारधारा का समर्थन करती है और ऐसे नेताओं का ही साथ लेती है, जो खालिस्तानी विचाराधार को सपोर्ट करते हैं. पिछले साल यानी 2023 में भी जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर बिना कोई सबूत के आतंकी निज्जर की हत्या को लेकर आरोप लगाए थे.
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FIRST PUBLISHED :
October 15, 2024, 05:42 IST