Analysis: राहुल गांधी ने जिसे पानी पी-पीकर कोसा, उसी ने BJP को दिलाई बड़ी जीत

4 hours ago

हाइलाइट्स

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव नतीजों के परिणामों को उलटकर कैसे BJP ने दिखाई ताकतदेश में RSS का सबसे मजबूत आधार महाराष्ट्र में है, इसका फायदा BJP को कैसे मिलापिछले 6 महीनों में संघ ने क्या क्या काम महाराष्ट्र में वोटर्स से जुड़ने के लिए किया

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव प्रचार में कांग्रेस नेता राहुल गांधी बीजेपी और खासकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को पानी पी-पीकर कोस रहे थे. वह लगातार कह रहे थे कि आरएसएस की आस्था देश के संविधान में नहीं है. ऐसा पहली बार नहीं है जबकि राहुल ने संघ पर निशाना नहीं दागा हो लेकिन आखिरकार ऐसा लगता है कि यही संघ महाराष्ट्र में बीजेपी की बड़ी जीत की वजह बन रही है. ऐसा लगता है कि संघ ने महाराष्ट्र में कमर कसकर बीजेपी को जिताने का काम किया है.

महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बीजेपी की अगुवाई वाला महायुति गठबंधन जीत की ओर बढ़ रहा है और राज्य में सरकार बनाएगा. 288 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए जरूरी 145 के आंकड़े से वह काफी ज्यादा सीटों पर कब्जा कर रहा है. क्या हरियाणा चुनावों के बाद महाराष्ट्र में इतनी जबरदस्त जीत की वजह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ है, जिसने राज्य में अपने कैडर के साथ जमकर मेहनत की, ये सुनिश्चित किया कि बीजेपी वहां जबरदस्त तरीके से जीते.

अगर आपको याद हो तो दो महीने पहले जब हरियाणा राज्य में विधानसभा चुनावों में जब बीजेपी ने लगातार तीसरी बार विधानसभा में जीत हासिल की तो आरएसएस ने कहा था कि उसने इसके लिए राज्य में कम से कम 2000 बैठकें की थी. ऐसा ही कुछ उसने महाराष्ट्र में भी करने की बात की थी.

ये भी सही है कि आऱएसएस महाराष्ट्र के नागपुर में ही पैदा हुई और वहीं सबसे पहले मजबूती से फैली, लिहाजा उसका आधार यहां गांव स्तर तक बहुत दमदार है.

जानते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में आरएसएस ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए किस तरह जमीनी स्तर पर काम ही नहीं किया बल्कि प्रभावी रणनीतियां बनाने में भी खास भूमिका निभाई. आरएसएस का योगदान कई तरह से देखने को मिला, जिसमें संगठन, वैचारिक समर्थन और सामाजिक संवाद शामिल रहे.

1. जमीनी स्तर पर नेटवर्क को सक्रिय करना
आरएसएस ने महाराष्ट्र में अपनी शाखाओं की संख्या बढ़ाई और उन्हें चुनाव के समय अधिक सक्रिय किया. ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आरएसएस के स्वयंसेवक बीजेपी के लिए जनसंपर्क अभियान चलाने में जुटे. हर बूथ पर आरएसएस के कार्यकर्ताओं ने जमकर मेहनत की. मतदाता सूची की समीक्षा से लेकर उन्होंने मतदाताओं से संपर्क साधा और चुनाव प्रबंधन में भी मदद की. दरअसल संघ ने ये सुनिश्चित किया कि बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं को चुनावी प्रक्रिया में पारंगत करें, ताकि बीजेपी के पक्ष में हवा बनाई जा सके.

2. समुदायों के साथ संवाद
संघ ने महाराष्ट्र में लगातार बैठकें करके बीजेपी के फेवर में माहौल बनाने की कोशिश की ताकि रुठे हुए मराठा, ओबीसी, और दलित वोटर्स को बनाएं ताकि उस तरह से वोटिंग नहीं हो, जिस तरह से लोकसभा चुनावों के समय हुई थी. जिससे बीजेपी को तगड़ा झटका लगा था. लेकिन उसके बाद संघ ने कमर कस ली थी कि विधानसभा चुनावों में इसे नहीं दोहराने दिया जाए. लिहाजा उसने मराठा, ओबीसी और दलितों पर फोकस किया.

आरएसएस ने मराठा समुदाय, जो कि महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, उसके नेताओं और समूहों के साथ संवाद बढ़ाया. ओबीसी और दलित समुदाय को बीजेपी के पक्ष में लाने के लिए विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक आयोजनों का सहारा लिया. हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लोगों को जोड़ने के लिए भगवा यात्राएं, मंदिर कार्यक्रम और शिवाजी महाराज के आदर्शों पर आधारित संवाद आयोजित किए.

3. चुनावी मुद्दों का निर्माण और प्रचार
आरएसएस ने बीजेपी को चुनावी मुद्दों पर मार्गदर्शन दिया, जिसके तहत विकास और राष्ट्रवाद के मुद्दे को उठाया गया. महाराष्ट्र में बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स और केंद्र सरकार की योजनाओं को जोर-शोर से प्रचारित किया गया. धार्मिक और सांस्कृतिक मुद्दों को उठा गया तो शिवसेना (उद्धव गुट) पर हिंदुत्व से विचलित होने का आरोप लगाया गया.

4. स्वयंसेवकों की भूमिका
आरएसएस कार्यकर्ताओं ने सोशल मीडिया और व्यक्तिगत संपर्क के माध्यम से बीजेपी की नीतियों और योजनाओं को घर-घर पहुंचाया. विपक्षी दलों की कमजोरियों को उजागर करने का काम किया. आरएसएस ने मतदाता सूची में नाम जोड़ने, बूथ पर सही तरीके से मतदान कराने और युवाओं को चुनाव में भागीदारी के लिए प्रेरित करने में मदद की.

5. विपक्ष के खिलाफ रणनीति
आरएसएस ने विपक्षी गठबंधन (महा विकास अघाड़ी) में फूट डालने में अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका निभाई.एनसीपी के अजित पवार गुट को बीजेपी के साथ लाने और शिवसेना में शिंदे गुट के समर्थन को मजबूत करने में आरएसएस की रणनीतिक सोच दिखी. बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं को चुनावी रणनीति, प्रचार तकनीक, और संवाद शैली के लिए प्रशिक्षित करने का काम किया. डिजिटल माध्यमों का उपयोग बढ़ाने के लिए आरएसएस से जुड़े तकनीकी विशेषज्ञों ने सहायता दी.

महाराष्ट्र में क्या बात संघ को मजबूत बनाती है
इस चुनाव में आरएसएस की भूमिका बीजेपी के लिए एक बैकबोन की तरह रही. इसमें कोई शक नहीं कि आरएसएस की जमीनी स्तर पर मजबूत नेटवर्किंग और कैडर-बेस्ड कार्यशैली बीजेपी को चुनावी लाभ पहुंचाती है. महाराष्ट्र में आरएसएस की शाखाओं की बड़ी संख्या और उनका सक्रिय होना बीजेपी को हर गांव और शहर तक पहुंचाने में मदद करता है. महाराष्ट्र जैसे राज्य में, जहां शिवाजी महाराज और मराठा इतिहास की गहरी जड़ें हैं, आरएसएस के विचार बीजेपी के चुनावी मुद्दों से मेल खाते हैं.

जनता से जुड़ाव
आरएसएस के स्वयंसेवक ग्रामीण इलाकों और शहरी क्षेत्रों में सामाजिक कार्यों के जरिए जनता से जुड़े रहते हैं.आपदाओं के समय (जैसे बाढ़ या सूखा) आरएसएस के कार्यकर्ता राहत कार्य में सक्रिय भूमिका निभाते हैं, जिससे जनता के बीच एक सकारात्मक छवि बनती है. आरएसएस महाराष्ट्र के सामाजिक और सांस्कृतिक ताने-बाने को ज्यादा बेहतर तरीके से समझता है.

Tags: Maharashtra bjp, Maharashtra Elections, Rashtriya Swayamsevak Sangh

FIRST PUBLISHED :

November 23, 2024, 12:11 IST

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