पुणे. भारत और चीन के बीच लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर समझौते की खबर लगातार ही सुर्खियों में बनी हुई है. बताया गया कि इस समझौते के तहत अप्रैल 2020 में सीमा पर दोनों देशों के बीच विवाद शुरू होने से पहले जैसी व्यवस्था बहाल की जाएगी. वहां एलएसी के विवादित क्षेत्र से सैनिकों की वापसी भी शुरू हो गई है. इस समझौते को लेकर एक सवाल यह उठ रहा है कि भारतीय सैनिक वहां पहले वाली जगहों पर कब से गश्त शुरू करेंगे. विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को इस बाके में बड़ी जानकारी दी.
एस जयशंकर ने मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘हम देपसांग और डेमचोक जैसे क्षेत्रों में 31 अक्टूबर, 2020 से पहले वाली गश्त व्यवस्था पर लौटने की उम्मीद करते हैं. इसमें कुछ समय लगेगा.’ विदेश मंत्री ने इसके साथ ही कहा कि 21 अक्टूबर को हुए समझौते से लद्दाख की सबसे उत्तरी सीमाओं, खासकर ज़बसांग और डेमचोक में गश्त पर लगे प्रतिबंध हट गए हैं और दोनों देशों के बीच 2020 की गश्त व्यवस्था पर वापस जाने के लिए सहमति बनी है.
जयशंकर ने सेना को दिया समझौते का श्रेय
विदेश मंत्री जयशंकर ने इससे पहले शनिवार को साफ किया था कि एलएसी पर गश्त को लेकर चीन के साथ हुए समझौते का यह मतलब नहीं है कि दोनों देशों के बीच सारे मसले सुलझ गए हैं. उन्होंने कहा कि इस समझौते के तहत सैनिकों के पीछे हटने से अगले कदम पर विचार करने का मौका मिला है. उन्होंने समझौते का श्रेय भारतीय सेना को दिया, जिसने ‘बहुत ही अकल्पनीय’ परिस्थितियों में काम किया.
जयशंकर ने शनिवार को पुणे में एक कार्यक्रम में कहा, ‘(सैनिकों के पीछे हटने का) 21 अक्टूबर को जो समझौता हुआ, उसके तहत देपसांग और डेमचोक में गश्त की जाएगी. इससे अब हम अगले कदम पर विचार कर सकेंगे. ऐसा नहीं है कि सबकुछ हल हो गया है, लेकिन सैनिकों के पीछे हटने का पहला चरण है और हम उस स्तर तक पहुंचने में सफल रहे हैं.’
‘भरोसा कायम करने में लगेगा समय’
विदेश मंत्री ने यहां एक सवाल के जवाब में कहा कि संबंधों को सामान्य बनाने में अभी भी समय लगेगा. उन्होंने कहा कि भरोसे को फिर से कायम करने और साथ मिलकर काम करने में स्वाभाविक रूप से समय लगेगा. जयशंकर ने कहा, ‘अगर आज हम यहां तक पहुंचे हैं, तो इसका एक कारण यह है कि हमने अपनी बात पर अड़े रहने और अपनी बात रखने के लिए बहुत दृढ़ प्रयास किया है. सेना देश की रक्षा के लिए बहुत ही अकल्पनीय परिस्थितियों में वहां (एलएसी पर) मौजूद थी और सेना ने अपना काम किया तथा कूटनीति ने भी अपना काम किया.’
बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों के बीच भीषण संघर्ष के बाद संबंधों में तनाव आ गया था. यह पिछले कुछ दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था. उन्होंने कहा कि सितंबर 2020 से भारत चीन के साथ समाधान निकालने के लिए बातचीत कर रहा था. (भाषा इनपुट के साथ)
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FIRST PUBLISHED :
October 27, 2024, 17:48 IST