PM Gati Shakti Yojana: सही कहा जाता है कि गति ही जीवन है. भारतीय ज्ञान की अति प्राचीन अवधारणाओं में से एक है चरैवेति… चरैवेति. ऐतरेय ब्राह्मण उपनिषद में जीवन के इस मूलमंत्र का उल्लेख है. इसका अर्थ है कि किसी भी हालत में ठहरना नहीं है, जड़ नहीं होना है. चलते रहना है. किसी भी सूरत में हताश और निराश हो कर ठहर नहीं जाना है, बल्कि सदैव गतिशील रह कर अपने लक्ष्य को हासिल करना है. उपनिषद में यह मूलमंत्र देवताओं के राजा इंद्र अपने बेटे रोहित को देते हैं.
तीन साल पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसी महा मंत्र से प्रेरणा लेते हुए पीएम गति शक्ति योजना की घोषणा 15 अगस्त, 2021 को लाल किले की प्राचीर से की थी. इसका उद्देश्य था सभी आर्थिक क्षेत्रों को मल्टी मॉडल कनेक्टिविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराना. साल 2021 में 13 अक्टूबर को पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान पर काम शुरू किया गया. योजना को लागू हुए तीन साल पूरे हो चुके हैं और इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजधानी दिल्ली में भारत मंडपम में पीएम गति शक्ति अनुभूति केंद्र का औचक निरीक्षण करते हुए कहा कि यह देश के बुनियादी ढांचे में बदलाव वाली परिवर्तनकारी बड़ी पहल है.
फायदा अब निजी कंपनियों को भी मिल सकता है
तीन साल बाद पीएम गति शक्ति की बड़ी बात यह है कि इसके तहत तैयार किए गए नेशनल मास्टर प्लान का फायदा अब निजी कंपनियों को भी मिल सकता है. अभी तक यह योजना सिर्फ सरकारी विभागों और एजेंसियों तक ही सीमित है. अभी तक सड़कों, रेलवे, बंदरगाहों, जल मार्गों और हवाई अड्डों के विकास के लिए इस योजना के तहत 15 लाख, 39 हजार करोड़ रुपये की लागत से 208 बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सिफारिश की जा चुकी है.
उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग यानी डीपीआईआईटी के सचिव अमरदीप सिंह भाटिया ने कहा है कि प्राइवेट सेक्टर की कंपनियों को पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान में सीमित पहुंच देने पर सलाह-मशविरा किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि सरकार लक्ष्य इस साल इसे रोल आउट करने का है. यह जानना भी जरूरी है कि पीएम गति शक्ति नेशनल मास्टर प्लान के तहत उन्हीं बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं को शामिल किया जाता है, जिनकी लागत पांच सौ करोड़ रुपये या इससे ज्यादा हो. इस योजना का क्रियान्वयन नेटवर्क प्लानिंग ग्रुप यानी एनपीजी के जरिये किया जाता है.
पीएम गति शक्ति छह स्तंभों पर आधारित
पीएम गति शक्ति छह स्तंभों पर आधारित है. ये स्तंभ हैं- व्यापकता, प्राथमिकता निर्धारण, अनुकूलन, तालमेल, विश्लेषण और गतिशीलता. इसमें केंद्रीकृत पोर्टल के साथ विभिन्न मंत्रालयों और विभागों की सभी मौजूदा और नियोजित पहल शामिल होती हैं. हर विभाग को एक-दूसरे की गतिविधियों की जानकारी रहती है, जिससे व्यापक तरीके से परियोजनाओं की योजना बनाने और उन पर काम करने में मदद मिलती है. नेशनल मास्टर प्लान के जरिये सभी विभाग अपनी-अपनी परियोजनाओं को प्राथमिकता दे सकते हैं.
नेशनल मास्टर प्लान परियोजनाओं की कमियों की पहचान के बाद योजना बनाने में विभिन्न मंत्रालयों की मदद करता है. माल को एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाने के लिए यह योजना समय और लागत के मामले में सबसे सुगम रास्ते चुनने में मदद करती है. अलग-अलग मंत्रालय और विभाग अक्सर अलग-अलग काम करते हैं. परियोजना की योजना और कार्यान्वयन में आपसी तालमेल की कमी की वजह से देरी होती है. लेकिन अब पीएम गति शक्ति योजना के तहत सभी विभागों में अच्छा तालमेल रहता है, जिससे असरदार क्रियान्वयन में मदद मिलती है.
यह जान लेना भी जरूरी है कि विकसित बुनियादी ढांचे के जरिये ही दुनिया के देशों ने तरक्की की है. चाहे अमेरिका हो, जापान हो या फिर दक्षिण कोरिया और चीन, सभी ने मल्टी मॉडल ट्रांसपोर्ट नेटवर्क की मदद से ही सिर्फ एक ही पीढ़ी के दौरान विकास की सर्वाधिक रफ्तार हासिल की. यह समझना जरूरी है कि कोई जरूरी सामान किसी गंतव्य तक अगर ज्यादा वक्त में पहुंचता है, तो लॉजिस्टिक की लागत ज्यादा हो जाती है. इसके उलट वह सामान जितने कम वक्त में गंतव्य तक पहुंचता है, लागत उतनी ही कम हो जाती है. यही मामला इंसानों के आवागमन पर भी लागू होता है.
यानी बुनियादी ढांचे के विकास पर तो एक बार में ही बड़ा खर्च करना पड़ता है, लेकिन ऐसा हो जाने पर देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार पर कई गुना सकारात्मक असर पड़ता है. ऐसे बड़े प्रोजेक्टों के लगातार विकास का मतलब है कि तात्कालिक तौर पर लोगों को बड़े पैमाने पर रोजगार मिलना और निर्माण सामग्री की मांग में बढ़ोतरी होना. भारतीय रिजर्व बैंक और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी के अध्ययनों के मुताबिक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए खर्च किए गए हर एक रुपये से जीडीपी को ढाई से साढ़े तीन रुपये का फायदा पहुंचता है. मंदी के वक्त में यह बढ़ोतरी और ज्यादा असरदार होती है.
महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी
देश में सड़कों, रेल लाइनों, हवाई अड्डों, बंदरगाहों, जल मार्गों का जाल बिछेगा, तो सभी तरह के माल की ढुलाई की रफ्तार में तेजी आएगी. इससे लागत में कमी आएगी और महंगाई पर काबू पाने में मदद मिलेगी. देश में कई शहरी और औद्योगिक केंद्रों के विकास में मदद मिलेगी. लोगों की कमाई तो बढ़ेगी ही, केंद्र और राज्य सरकारों की कमाई में भी अच्छा इजाफा होगा. सरकारों की कमाई बढ़ेगी, तो वे विकास और खुशहाली बढ़ाने के लिए ज्यादा काम करेंगी. इससे लोगों के जीवन की क्वालिटी पर सकारात्मक असर पड़ेगा.
आंकड़ा देखें, तो अभी भारत में 64 प्रतिशत माल ढुलाई सड़कों के जरिये की जाती है. चूंकि रोड ट्रांसपोर्ट डीजल पर आधारित है, इसलिए जब भी इसकी कीमतें बढ़ती हैं, माल की कीमतों पर भी असर पड़ना लाजिमी है. इसलिए मालगाड़ियों के जरिये माल ढुलाई पर ज्यादा जोर देना ही सही रहेगा. देश में आर्थिक क्षेत्रों, औद्योगिक पार्कों, लॉजिस्टिक्स केंद्रों और बंदरगाहों का विकास तो किया गया, लेकिन वहां तक माल पहुंचाने के लिए सटीक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क की कल्पना नहीं की गई. इसलिए पीएम गति शक्ति योजना की बहुत जरूरत थी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साल 2021 के स्वतंत्रता दिवस भाषण में इस बात पर जोर दिया था कि नेशनल मास्टर प्लान गति शक्ति करोड़ों देशवासियों के सपनों को साकार करने में मदद करेगा. अब हम कह सकते हैं कि गति शक्ति कार्यक्रम विभागीय बंधनों को तोड़ने के लिए फैसले लेने में आदर्श बदलाव का प्रतीक है. इसके तहत सभी मौजूदा और प्रस्तावित आर्थिक क्षेत्रों को मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचे के साथ एक ही मंच पर लाया गया है.
भारतवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने वाली मोदी सरकार की जिन बहुत सी दीर्घकालीन योजनाओं का उल्लेख जितना होना चाहिए, उतना मीडिया में नहीं हो पा रहा है. जरूरी यह है कि आसान भाषा में इस तरह की योजनाओं से होने वाले फायदों की जानकारी आम लोगों तक व्यापकता से पहुंचाई जाए. इससे लोगों को न सिर्फ भौतिक तौर पर फायदा मिलता है, बल्कि उनके मन में देश को ले कर आत्मबोध भी बढ़ता है. देश के प्रति सकारात्मक भावों में इजाफा होता है. यह टिप्पणी ऐसा ही एक प्रयास है.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
Tags: PM Modi, Pm narendra modi
FIRST PUBLISHED :
October 14, 2024, 14:16 IST