इजराइल ने यमन पर बम बरसाए:4 हूती विद्रोहियों की मौत, 50 घायल; 12 जेट, पावर प्लांट तबाह

1 month ago

तेल अवीव/बेरूत1 मिनट पहले

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इजराइली हमले में ईरान समर्थित 4 हूती विद्रोहियों की मौत हो गई जबकि 50 से ज्यादा घायल हो गए। - Dainik Bhaskar

इजराइली हमले में ईरान समर्थित 4 हूती विद्रोहियों की मौत हो गई जबकि 50 से ज्यादा घायल हो गए।

लेबनान में हमले के बाद इजराइल ने रविवार (29 सितंबर) को यमन पर बड़ा हमला किया। इजराइल ने हूती​ ठिकानों पर बमबारी और रॉकेट बरसा कर 12 जेट, पावर प्लांट और होदियाह शहर का बंदरगाह नष्ट कर दिया।

इजराइली हमले में ईरान समर्थित 4 हूती विद्रोहियों की मौत हो गई जबकि 50 से ज्यादा घायल हो गए। उधर, इजराइल ने रविवार को भी लेबनान के कई शहरों में रॉकेट दागे और बम बरसाए।

हमले में हिजबुल्ला सेंट्रल काउंसिल का डिप्टी हेड नबील काउक मारा गया। लेबनान में हिजबुल्ला चीफ हसन नसरल्ला का शव बरामद कर लिया। शव पर चोटों के निशान नहीं हैं। मौत संभवत: दम घुटने से हुई।

इजराइल ने 2 महीने पहले भी यमन पर हमला किया था

इजराइल ने 21 जुलाई को पहली बार यमन पर हमला किया था।

इजराइल ने 21 जुलाई को पहली बार यमन पर हमला किया था।

हमास के खिलाफ जंग के 9 महीने बाद इजराइल ने जुलाई में पहली बार यमन में हूती विद्रोहियों के कई ठिकानों पर एयरस्ट्राइक की।​ न्यूज एजेंसी AFP ने बताया था कि इजराइल ने हूती विद्रोहियों के कब्जे वाले होदैदा पोर्ट और पावर स्टेशन को निशाना बनाया।

हमले के बाद एक फ्यूल डिपो में भीषण आग लग गई थी। इस हमले में 3 हूती विद्रोहियों की मौत हुई, जबकि 87 लोग घायल हुए थे। इजराइली ने तेल अवीव पर हमले के जवाब में यमन पर अटैक किया था। दरअसल, हूती विद्रोहियों ने 19 जुलाई को इजराइली शहर तेल अवीव पर ड्रोन हमला किया था। इसमें एक 50 साल के इजराइली की मौत हो गई थी। वहीं करीब 10 लोग घायल हुए थे।

इजराइल के हमले के बाद यमन में फ्यूल डिपो पर आग लग गई।

इजराइल के हमले के बाद यमन में फ्यूल डिपो पर आग लग गई।

तेल अवीव पर हूती ड्रोन हमले के बाद क्षतिग्रस्त इमारतों में से एक के अंदर मौजूद फायर फाइटर।

तेल अवीव पर हूती ड्रोन हमले के बाद क्षतिग्रस्त इमारतों में से एक के अंदर मौजूद फायर फाइटर।

हमास के साथ युद्ध के बाद से इजराइल पर हमले कर रहा यमन यमनी विद्रोहियों ने पिछले साल 7 अक्टूबर को गाजा में हमास के साथ इजराइल के युद्ध की शुरुआत के बाद से लगातार उस पर हमले किए हैं। यमन ने ड्रोन और मिसाइलों से इजराइल को कई बार निशाना बनाया है। इनमें से अधिकांश हमलों को इजराइली सेना या उसके सहयोगियों ने रोक दिया गया है।

हालांकि, इजराइल शुक्रवार (19 जुलाई) को तेल अवीव में ड्रोन हमला नहीं रोक सका। हूतियों ने बताया कि उसने नए ड्रोन से हमला किया था, जो दुश्मन के सिस्टम को भेद सकता है।

हूतियों ने लाल सागर में अमेरिकी ठिकानों और कॉमर्शियल जहाजों पर भी हमले किए हैं। इनका मकसद इजराइल पहुंच रहे जहाजों को रोकना है। हूतियों का कहना है कि वे ये हमले फिलिस्तीनियों को अपने समर्थन के तौर पर करते हैं। ब्रिटेन और अमेरिका, दोनों ने जहाजों पर हमलों का जवाब यमन में हूती ठिकानों पर हमला करके दिया था। हालांकि, इजराइल इन हमलों में कभी शामिल नहीं हुआ।

कौन हैं हूती विद्रोही

हूती यमन के अल्पसंख्यक शिया ‘जैदी’ समुदाय का एक हथियारबंद समूह है। इस समुदाय ने 1990 के दशक में तत्कालीन राष्ट्रपति अली अब्दुल्लाह सालेह के कथित भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए इस समूह का गठन किया था। उनका नाम उनके अभियान के संस्थापक हुसैन अल हूती के नाम पर पड़ा है। वे खुद को 'अंसार अल्लाह' यानी ईश्वर के साथी भी कहते हैं।2003 में अमेरिका के नेतृत्व में इराक पर हुए हमले में हूती विद्रोहियों ने नारा दिया था, “ईश्वर महान है। अमेरिका का खात्मा हो, इजराइल का खात्मा हो। यहूदियों का विनाश हो और इस्लाम की विजय हो।” उन्होंने खुद को हमास और हिज्बुल्लाह के साथ मिलकर इजराइल, अमेरिका और पश्चिमी देशों के खिलाफ ईरान के नेतृत्व वाली ‘प्रतिरोध की धुरी’ का हिस्सा बताया था।साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडिल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरुआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सऊदी अरब भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सऊदी अरब का।देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।
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