मुंबई. जुलाई 2022 के आखिरी हफ्ते में शिवसेना के मुखपत्र सामना में उद्धव ठाकरे का एक लेख छपा था. इस लेख में उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का नाम लिए बगैर उन पर धोखा देने का आरोप लगाया था. उद्धव ने लिखा था, ‘मैंने आप पर विश्वास कर पार्टी संभालने की जिम्मेदारी दी थी. पार्टी में नंबर दो का पद दिया था, लेकिन उस विश्वास का तुमने घात किया. तुमने भाजपा के साथ मिलकर ऐसा ‘छुरा’ घोंपा, इसे मैं ताउम्र नहीं भूलूंगा.’ उद्धव ठाकरे को इस विश्वासघात का बदला लेने का वक्त आ गया है. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महा विकास अघाड़ी ने कपरी पचपाखरी सीट से मौजूदा सीएम एकनाथ शिंदे के खिलाफ केदार दिघे को मैदान में उतारा है.
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे कोपरी पचपाखरी से सीट से साल 2009 से विधायक हैं. परिसीमन के बाद इस सीट पर अबतक तीन बार चुनाव हुए हैं और तीनों बार एकनाथ शिंद ने शिवसेना की टिकट पर जीत दर्ज की. इतना ही नहीं एकनाथ शिंदे का जीत का मार्जिन हर बार बढ़ता ही गया. हालांकि, इस बार दो-दो शिवसैनिक इस सीट पर चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में असली और नकली शिवसेना का भी यह सीट आने वाले दिनों में फैसला करेगी.
महाराष्ट्र के रण में असली और नकली शिवसैनिक की लड़ाई
कोपरी पचपाखरी एकनाथ शिंदे और शिवसेना दोनों का गढ़ रहा है. कहा जाता है कि एकनाथ शिंदे इस एरिया में काफी काम किया है. इसी का नतीजा है कि कि उनका हर बार जीत का अंतर बढ़ता चला गया. ऐसे में ये देखना है कि 2022 में शिवसेना में विभाजन के बाद शिंदे और ठाकरे नाम के दो प्रमुख गुट बन गए. इस सीट पर दोनों गुट चुनाव लड़ रही है. एक गुट का प्रतिनिधित्व खुद एकनाथ शिंदे कर रहे हैं तो दूसरे गुट का नेतृत्व शिवसेना उद्धव के शिवसैनिक केदार दिघे कर रहे हैं. इसलिए सबकी नजर इस बात टिकी है कि एकनाथ शिंदे और महाविकास अघाड़ी लड़ने वाले केदार दिघे में क्या तगड़ा मुकाबला होगा या पहले की तरह एकनाथ शिंदे की जीत का मार्जिन इस बार भी बढ़ जाएगा?
उद्धव ठाकरे वर्सेज एकनाथ शिंदे
लेकिन, शिवसेना उद्धव ने एक ऐसे शिवसैनिक के परिवार के व्यक्ति को एकनाथ शिंदे के खिलाफ मैदान में उतारा है, जिसका पूरे महाराष्ट्र और हर शिवसैनिकों के मन में गहरा जुड़ाव है. केदरा दिघे उस शिवसेना नेता धर्मवीर आनंद दिघे के भतीजे हैं, जिनको बाला साहब ठाकरे काफी प्यार करते थे. इतना ही नहीं धर्मवीर आनंद दिघे देश में राम मंदिर के लिए चांदी की शिला भेजने वाले पहले भारतीय थे. उस समय उन्होंने जो चांदी की शिला भेजी थी, उसका इस्तेमाल अयोध्या में राम मंदिर बनाने में किया गया है.
कौन हैं धर्मवीर आनंद दिघे, जिनके भतीजे को मिला टिकट
धर्मवीर आनंद दिघे राम मंदिर निर्माण के कट्टर समर्थक थे. उन्होंने राम मंदिर के समर्थन में कई अभियानों और रैलियों में भाग लिया. महाराष्ट्र का हर शिवसैनिक धर्मवीर आनंद को इज्जत की नजर से देखता है. ऐसे में शिवसेना उद्धव ने उस धर्मवीर आनंद के भतीजे को टिकट देकर महाराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को कड़ी चुनौती दी है. ऐसे में वे शिवसैनिक जिनके मन में एकनाथ शिंदे के प्रति प्यार है, उसके सामने केदार दिधे को खड़ा कर शिवसैनिकों के स्वाभिमान को ललकारा है. शिवसेना उद्धव ने शिवसैनिकों में ये मैसेज दिया है कि अगर वाकई आप असली शिवसैनिक हैं तो उस शिवसैनिक के भतीजे को जीताओ, जिसने राम मंदिर में पहला शिलान्यास भेजा था. उस शिवसैनिक को मत जीताओ, जिसने पीठ में छूरा घोंपा था.
आपको बता दें कि धर्मवीर आनंद दिघे का ठाणे इलाके के शिवसैनिकों में अच्छी पकड़ है. धर्मवीर आनंद दिघे बालासाहेब ठाकरे की हर मीटिंग में शामिल होते थे. शिवसेना ठाणे जिला प्रमुख के रूप में उनके कामों को याद किया जाता है. अब उनके भतीजे पर शिवसेना उद्धव ठाकरे के साथ हुए तथाकथित विश्वासघात का बदला लेने का सुनहरा मौका है. हालांकि, यह इतना आसान इसलिए भी नजर नहीं आ रहा है कि क्योंकि एकनाथ शिंदे भी इस एरिया में काफी बड़ा नाम हैं. ऐसे में कोपरी पचपाखरी सीट पर आने वाले दिनों में महाराष्ट्र के सियासी अखाड़े का असली दंगल शुरू होगा. इस दंगल में असली और नकली शिवसैनिक भी तय हो जाएंगे.
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FIRST PUBLISHED :
October 24, 2024, 14:28 IST