हाइलाइट्स
किस तरह के जॉब कम्युटर के कारण आटोमेशन में गएसबसे ज्यादा असर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गईं 2030 तक कैसे बदल जाएगा सारा परिदृश्य
ये दौर आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस का है. ये बहुत तेजी से दुनिया में पैर पसार रहा है. हर सेक्टर में साफतौर पर एआई का असर देखा जाने लगा है. इसके बारे में यही कहा जा रहा है कि ये बेशक दुनियाभर में बहुत सी नौकरियां खाएगा लेकिन उससे ज्यादा नौकरियां क्रिएट भी करेगा. आप सोचिए वो जमाना क्या था जब दुनिया में पूरी ताकत के साथ 90 के दशक में कंप्युटर हर सेक्टर में इंट्रोड्यूस कर दिए गए, तब बहुत विरोध हुआ था. पूरी दुनिया में खूब हड़तालें हुईं कि कंप्युटर बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां ले लेगा. ऐसा हुआ भी. हम अब जानेंगे कि आखिर दुनियाभर में कंप्युटर के आगमन ने कितने लौगों की नौकरियां ली थीं.
पूरी दुनिया में आमतौर पर कंप्युटर्स का वर्कप्लेस पर आगमन 90 के दशक में हुआ. उसके साथ बड़े पैमाने पर ऑटोमेशन का काम भी शुरू हुआ. इससे तब नौकरी के बाजारों पर काफी असर पड़ा था. बड़े पैमाने पर लोगों की नौकरियां गईं लेकिन साथ साथ नई नौकरियां भी पैदा हुईं.
तब किस तरह हो रहा था कंप्युटर का विरोध
1990 के दशक में आफिसों में कंप्युटर का विरोध हो रहा था. आफिसों में लोग संशकित थे कि अब कंप्युटर आने के कारण उनकी नौकरियां चली जाएंगी. इसे लेकर दुनियाभर में कहीं हड़ताल हो रही थी तो कहीं विरोध हो रहा था. सियासी पार्टियां अपनी सरकारों का विरोध कर रही थीं. कुछ लोग इसलिए भी हैरान थे कि वो कंप्युटर कैसे चला पाएंगे. उन्हें डर था कि उन्हें मशीनों द्वारा रिप्लेस कर दिया जाएगा.
बड़े पैमाने पर तब लोगों को नौकरी छूट जाने का डर था. जैसे जैसे कंप्युटरीकरण आगे बढ़ा. चिंताएं बढने लगीं. कुछ लोगों ने कंप्यूटर सीखने की जरूरत को डिमोशन के तौर पर देखा.
अकेले अमेरिका में गईं 4 लाख नौकरियां
परप्लेक्सिटी एआई के अनुसार, एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया कि 1990 से 2007 तक अमेरिकी कारखानों में कंप्युटर और ऑटोमेशन से 400,000 नौकरियाँ खत्म हो गईं. वहीं अनुमान ये भी बताते हैं कि वर्ष 2030 तक दुनियाभर में 80 करोड़ नौकरियां आर्टिफिशियल इंटैलिजेंस द्वारा प्रतिस्थापित कर दी जाएंगी. इसी दौरान अमेरिका में करीब साढ़े 4 करोड़ नौकरियां चली जाएंगी. दरअसल ये 90 का दशक था, जब कार्यस्थल पर तेजी से कंप्यूटर्स का व्यापक उपयोग होने लगा था. ये पूरी दुनिया में नौकरियों पर असर डालने लगा था.
आइए इससे पहले ये भी जान लें कंप्युटर्स का इस्तेमाल किस तरह बढ़ता गया. 2001 तक करीब 53% अमेरिकी कर्मचारी काम पर कंप्यूटर का उपयोग कर रहे थे, वहीं ब्रिटेन में करीब 75% कर्मचारी काम पर कंप्यूटर का इस्तेमाल करने लगे थे. भारत में भी इसका आंकड़ा 50 फीसदी का था.
किस सेक्टर में गईं थी सबसे ज्यादा नौकरियां
दरअसल कंप्युटर ने तब सबसे ज्यादा नौकरियां मेनुफैक्चरिंग में गईं. इससे मैन्युफैक्चरिंग में 50 लाख नौकरियां चली गईं. हालांकि इसी दौरान कई अन्य क्षेत्रों में नौकरियां बढ़ीं भी. हालांकि भारत के लिए ये स्थिति अवसर भी लेकर आया. विशेष रूप से आईटी और अन्य कुशल क्षेत्रों में नए अवसर भी पैदा किए.
कैसे कंप्युटर वर्क प्लेस पर आए
हालांकि कंप्युटर 1950 के दशक के पहले ही विकसित हो चुके थे. जब 1960-70 के दशक में वर्ड प्रोसेसिंग सॉफ़्टवेयर की शुरुआत से आफिस के कामों में इसके इस्तेमाल में क्रांति ला दी. 80 के दशक में आफिसों में कंप्युटर आने लगे. डेटा एंट्री से लेकर जटिल गणनाओं तक विभिन्न कामों के लिए कंप्यूटर पर निर्भरता बढ़ती गई, जिसने मैन्युअल प्रक्रियाओं की जगह लेना शुरू कर दिया. हालांकि 1990 के दशक में इंटरनेट के आगमन ने कार्यस्थलों के भीतर सबकुछ बदल दिया. ईमेल संचार का एक प्राथमिक तरीका बन गया
आगे देखते हुए, यह अनुमान लगाया गया है कि स्वचालन 2030 तक वैश्विक स्तर पर 50 मिलियन नौकरियों को खतरे में डाल सकता है, विशेष रूप से ग्राहक सेवा और खाद्य सेवाओं जैसे क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है4. हालांकि, यह भी उम्मीद है कि अन्य क्षेत्रों में भी रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, जिससे प्रभावित श्रमिकों के लिए महत्वपूर्ण पुनर्कौशल प्रयास आवश्यक हो जाएंगे।
कौन से देशों में अब ऑटोमेशन की तलवार
चीन – औद्योगिक रोबोट के सबसे बड़े बाज़ार के रूप में चीन श्रम-प्रधान से प्रौद्योगिकी-प्रधान मेनुफैक्चरिंग मॉडल में बदल रहा है. चीन में लगभग 51% नौकरियां आटोमेशन से जोखिम में हैं, विशेष रूप से मेनुफैक्चरिंग और कम-कुशल सेवा क्षेत्रों में.
भारत – लगभग 52% नौकरियां आटोमेशन के लिए अतिसंवेदनशील.
जापान – जापान में लगभग आटोमेशन से 55% की वर्कफोर्स प्रभावित हो सकता है.
संयुक्त राज्य अमेरिका – अमेरिका में करीब 46% नौकरियां स्वचालित हो सकती हैं. इसका असर विनिर्माण, खुदरा और ग्राहक सेवा सहित विभिन्न क्षेत्रों में महसूस किया जा सकता है.
दक्षिण कोरिया – ये देश रोबोट घनत्व में विश्व स्तर पर सबसे आगे है, यहां प्रति 10,000 कर्मचारियों पर 631 रोबोट हैं. स्वचालन में देश के भारी निवेश ने इसे सबसे अधिक स्वचालित अर्थव्यवस्थाओं में से एक बना दिया है
जर्मनी – जर्मनी में रोबोट घनत्व बहुत अधिक है (प्रति 10,000 कर्मचारियों पर 371 रोबोट) और इसने अपने विनिर्माण क्षेत्र में आटोमेशन में भारी निवेश किया है. वहां करीब 47% नौकरियां जोखिम में हैं.
90 के दशक में कंप्युटर ने क्या असर डाला
संयुक्त राज्य अमेरिका – कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे उद्योगों में बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हुईं. रोजगार में गिरावट आई.
जर्मनी – मैनुफैक्चरिंग सेक्टर में खासा असर नौकरियों पर पड़ा, विशेष रूप से मोटर वाहन और मशीनरी उद्योगों में. आधुनिक तकनीक के एकीकरण ने मैनुअल श्रम की जरूरत को कम कर दिया, जिससे पारंपरिक मैनुफैक्चरिंग नौकरियों में गिरावट आई
जापान – जापान ने मैनुफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों में जमकर नौकरियां गईं, क्योंकि कंपनियों ने रोबोटिक्स और स्वचालित प्रणालियों को अपनाया.
कहने का मतलब यही है कि करीब सभी देशों में 90 के दशक में कंप्युटर और फिर रोबोट्स के आने के बाद जो आटोमेशन हुआ, उससे बड़े पैमाने पर नौकरियां गईं.
अब AI कितनी नौकरी छीनेगा और कितनी देगा
परप्लेक्सिटी एआई के अनुसार, 2025 तक उम्मीद की जाती है कि AI और आटोमेशन के कारण 85 मिलियन नौकरियां खत्म हो सकती हैं. जिसमें बैंक टेलर, डेटा एंट्री क्लर्क और विभिन्न प्रशासनिक पद शामिल हैं.
वहीं AI से 2025 तक लगभग 97 मिलियन नई नौकरियां सृजित होने का भी अनुमान है. ये नौकरियां AI और मशीन लर्निंग एक्सपर्ट्स, डेटा एनालिस्ट, साइंटिस्ट, इफार्मेशन सिक्युरिटी एनालिस्ट जैसी स्थितियों में होगी.
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FIRST PUBLISHED :
October 1, 2024, 16:24 IST