“मानवता की सफलता सामूहिक शक्ति में निहित है, न कि युद्ध के मैदान में” संयुक्त राष्ट्र में ‘भविष्य के लिए शिखर सम्मेलन’ में सोमवार (23 सितंबर, 2024) को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह टिप्पणी दुनिया भर में इंसानियत को भरोसा दिलाने में जरूर कामयाब होगी. प्रधानमंत्री ने कहा कि जब विश्व बिरादरी के भविष्य पर चर्चा की जा रही है, तब सब से बड़ी प्राथमिकता मानव केंद्रित नजरिये को दी जानी चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि एक दशक में ही भारत में 25 करोड़ लोगों को गरीबी से निकाल कर हमने यह साबित किया है कि विकास का टिकाऊ दृष्टिकोण कामयाब हो सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इससे पहले भी वैश्विक मंचों और नेताओं के साथ द्विपक्षीय बातचीत में आपसी सद्भाव और बातचीत के जरिए सभी समस्याओं के समाधान की वकालत कर चुके हैं. उन्होंने साफ-साफ कहा है कि युद्ध किसी भी समस्या या मनमुटाव के समाधान का जरिया नहीं हो सकता. मोदी के इस स्पष्ट दृष्टिकोण की वजह से ही दुनिया के शक्तिशाली देशों को युद्धरत क्षेत्रों में जल्द ही शांति बहाली की उम्मीद की किरणें दिख रही हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले दिनों रूस का दौरा किया, तो वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलादिमिर जेलेंस्की से मिलने भी पहुंचे. रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की लपटें ठंडी पड़ें, इसके लिए भारत ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवल को भी रूस भेजा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इजराइल के प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू के साथ संवाद में हैं, तो इस अमेरिकी दौरे में उन्होंने दूसरे देशों के अलावा सोमवार को फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी द्विपक्षीय मुलाकात की. उन्होंने जल्द ही गाजा में शांति और स्थिरता की बहाली के लिए भारत के समर्थन की बात कही.
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी दौरे के पहले दिन यानी 21 सितंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज और जापान के प्रधानमंत्री फूमियो किशिदा के साथ क्वाड (क्वाड्रिलेटरल सिक्योरिटी डायलॉग) शिखर सम्मेलन में शिरकत की. विश्व बिरादरी के बीच मोदी के बढ़ते कद की बात इससे ही समझ में आ जाती है कि जब बाइडेन से सवाल पूछा गया कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद क्वाड का क्या भविष्य होगा, तो उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के कंधे पर हाथ रख कर जवाब दिया कि इसका अस्तित्व चुनाव के बाद भी बना रहेगा.
क्वाड समिट में मोदी ने कहा कि यह बैठक ऐसे समय हो रही है जब दुनिया संघर्षों से घिरी है. ऐसे में क्वाड का साथ मिल कर चलना जरूरी है. हम किसी के खिलाफ नहीं हैं. हम नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, क्षेत्रीय अखंडता और सभी मुद्दों के शांतिपूर्ण समाधान का समर्थन करते हैं. मोदी ने चीन का नाम लिए बिना कहा कि हम किसी के खिलाफ नहीं हैं. स्वतंत्र और समावेशी इंडो-पेसिफिक हमारी प्राथमिकता है. क्वाड साझेदारी और सहयोग के लिए है और यह संगठन लंबे समय तक बना रहेगा.
इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने कहा कि अगले साल प्रधानमंत्री मोदी क्वाड शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेंगे. उन्होंने कहा कि उन्हें उस पल का इंतजार है. अल्बनीज के बयान से साफ है कि क्वाड और हर अंतरराष्ट्रीय मसले में भारत के नजरिये को दुनिया कितनी गंभीरता से लेती है. इस साल क्वाड समिट की मेजबानी भारत को करनी थी, लेकिन राष्ट्रपति जो बाइडेन के आग्रह पर मेजबानी अमेरिका को दे दी गई थी. अमेरिका राष्ट्रपति ने भी क्वाड में भारत की भूमिका की तारीफ के साथ ही प्रधानमंत्री के हाल के विदेश दौरों की तारीफ की. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की स्थाई सदस्यता का भी समर्थन किया.
लेकिन कुछ मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका पहुंचने से कुछ घंटे पहले व्हाइट हाउस में वहां रह रहे खालिस्तान समर्थकों के साथ बैठक की गई. सूत्रों के मुताबिक अमेरिकी सरकार ने उन्हें भरोसा दिया कि वह सिखों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वालों को दूसरे देशों के दमन से बचाएगी. मीडिया रिपोर्ट सही हैं, तो भारत को अमेरिका को इसका कड़ा कूटनीतिक जवाब देना चाहिए. हो सकता है कि प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा कर भी दिया हो.
चीन की विस्तारवादी चालों से निपटने के लिए साल 2007 में चार देशों भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने क्वाड संगठन बनाया था. इसका उद्देश्य हिंद और प्रशांत महासागर में शांति और सहयोग को बढ़ावा देना और चीन की विस्तारवादी नीतियों का जवाब देना है.
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FIRST PUBLISHED :
September 24, 2024, 17:42 IST