जनता जनार्दन के फैसले की पहली झलक का इंतजार आज होगा खत्‍म, कुछ देर में नतीजे

1 month ago

नई दिल्‍ली/श्रीनगर. जम्‍मू-कश्‍मीर में 10 साल के बाद विधानसभा चुनाव हुए हैं. अनुच्‍छेद 370 के हटने के बाद यहां पहली बार चुनाव कराया गया. जम्‍मू-कश्‍मीर का स्‍टेटस भी बदल दिया गया है. विशेष राज्‍य के दर्जा हटने के बाद अब यह एक केंद्र प्रशासित क्षेत्र है. कुल 90 सीटों के लिए तीन चरण में चुनाव कराए गए. छोटी मोटी घटनाओं को छोड़कर पूरी चुनाव प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही. इस दौरान सुरक्षा की पुख्‍ता व्‍यवस्‍था थी. आमलोग बिना किसी डर भय के वोट डाल सकें, इसकी मुकम्‍मल इंतजाम किया गया था. चुनाव आयोग ने बताया कि जम्‍मू-कश्‍मीर में 63.88 फीसद वोटर्स ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.

जम्‍मू-कश्‍मीर में तीन चरणों में विधानसभा का चुनाव कराया गया. पहले चरण के लिए 18 सितंबर को वोट डाले गए थे. दूसरे चरण के लिए 25 सितंबर और तीसरे चरण के लिए 1 अक्‍टूबर 2024 को वोटिंग हुई थी. जम्‍मू-कश्‍मीर में मुख्‍य तौर पर चार पार्टियों के बीच मुकाबला है. बीजेपी, कांग्रेस, नेशनल कॉन्‍फ्रेंस और पीडीपी के बीच चुनावी जोर आजमाइश है. कांग्रेस और नेशन कॉन्‍फ्रेंस साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. घाटी वाले इलाके में जहां नेशनल कॉन्‍फ्रेंस और पीडीपी का प्रभाव ज्‍यादा माना जाता है, वहीं जम्‍मू संभाग में बीजेपी की मजबूत पकड़ है. ऐसे में इस बार का चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्‍प है.

जम्‍मू-कश्‍मीर विधानसभा चुनाव के दौरान न कोई आतंकी हिंसा हुई, न ही किसी बूथ पर दोबारा से चुनाव कराने की जरूरत पड़ी. जम्मू-कश्मीर में साल 1987 के बाद पहली बार शांति, सुरक्षा और विश्वासपूर्ण वातावरण में हुए विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी एक-दो माह में नहीं बल्कि चार साल पहले शुरू की जा चुकी थी. जम्मू-कश्मीर में हालात सामन्य बनाने और बिना डर और हिंसा के चुनाव संपन्न करवाने में सबसे बड़ी बाधा सरकारी तंत्र में छिपे बैठे वे अधिकारी और कर्मी थे, जो राष्ट्रविरोधी गतिविधयों में संलिप्त होने के साथ आतंकियों और अलगाववादियों के समर्थक थे.

अधिक पढ़ें ...

Read Full Article at Source