नई दिल्ली. राजुल गर्ग गुड़गांव स्थित एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करते हैं. पत्नी सहित दो बच्चों के छोटे से परिवार के लिए उन्हें एक घर की तलाश थी. उनका ऑफिस गुरुग्राम में है, इसलिए घर भी वहीं खरीदने का फैसला किया ताकि ऑफिस के साथ-साथ परिवार को भी पूरा वक्त दे सकें. घर की तलाश के दौरान उन्होंने कई परियोंजाएं देखीं और उसी दौरान अनेक बिल्डरों और ब्रोकरों से बातचीत भी की. आखिरकार गुरुग्राम-द्वारका एक्सप्रेस वे पर उन्हें एक सपंत्ति पसंद आई जिसमें उन्होंने निवेश का फैसला किया. करीब दो महीने पहले वह अपने घर में शिफ्ट भी हो गए. अब आपको बताते हैं कि आखिर राजुल ने अपने सपनों का आशियाना खरीदने में किन बातों को महत्व दिया और कैसे इतनी जल्दी वे सही प्रापर्टी खरीदने में कामयाब हुए.
दरअसल, राजुल के घर खरीदने की इस छोटी से कहानी से निवेशक एक बड़ी सीख ले सकते हैं. अगर आपको भी खुद रहने के लिए घर चाहिए तो कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी होता है. राजुल ने सबसे पहला काम ये किया कि उन्होंने संपत्ति पसंद करने के लिए पूरा समय दिया. बिल्डरों-ब्रोकरों से बातचीत करके परियोजना, उस इलाके की सुविधाएं-खामियां, भविष्य की संभावनाओं जैसी बारीकियां समझीं. कई बार ऐसा होता है कि प्रॉपर्टी बाजार में निवेश के इच्छुक अपने दोस्त, पड़ोसी, रिश्तेदार या शुभचिंतक के सुझाव पर बिना काई जांच-परख किए निवेश कर देते हैं. संपत्ति का सही समय पर कब्जा न मिलने पर वह निवेश घाटे का सौदा बन जाता है. घर तलाशते समय राजुल ने कुछ जरूरी बातों को सबसे ज्यादा तरजीह दी.
प्रॉपर्टी की लोकेशन सबसे जरूरी
संपत्ति में निवेश चाहे मुनाफा कमाने के लिए हो या खुद के इस्तेमाल के लिए, उसका अच्छी लोकेशन पर होना आवश्यक है. लोकेशन का मतलब यह है कि आप जहां संपत्ति खरीद रहे हैं वह किस जगह स्थित है, उस क्षेत्र में भविष्य की संभावनाएं कैसी हैं, वहां से बसअड्डा, रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट आदि की दूरी कितनी है. सड़क के जरिये वहां की पहुंच साथ ही खरीददारी, मनोरंजन की सुविधाएं कैसी हैं. इसके अलावा आप यह भी देख सकते हैं कि क्या उस इलाके में इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी कुछ परियोजनाओं के विकास की रूपरेखा तैयार की गई है या नहीं.
कीमत और खरीद का समय
संपत्ति में निवेश का आपको अच्छा रिटर्न तभी मिलेगा जब आप उसे कम दाम पर खरीदें और महंगे दामों पर बेचें. अगर आपका उद्देश्य मुनाफा कमाना है तो ऐसे क्षेत्र का रुख करें जहां विकास की शुरुआत हुई हो या फिर वहां आधा विकास हुआ हो. जिन जगहों पर विकास की शुरुआत हुई हो वहां निश्चय ही कम दामों पर संपत्ति मिलेगी जिससे कम ही समय में आपके लाभ का प्रतिशत अधिक होगा. इसके साथ ही जब उस जगह विशेष के दामों में 40 से 50 प्रतिशत की बढ़ोतरी हो जाय तो उस स्थिति में उस संपत्ति को बेचकर आप नए सिरे से विकसित इलाके में निवेश का रुख अपना सकते हैं.
बिल्डर का बैकग्राउंड
अगर आप किसी बिल्डर के प्रोजेक्ट में निवेश के इच्छुक हैं तो उसकी पृष्ठभूमि देखना जरूरी है. मसलन पूर्व में उसने कितने प्रोजेक्ट विकसित किए हैं, क्या उसने समय पर परियोजनाएं पूरी की हैं, बुकिंग के वक्त जो स्पेसिफिकेशन और फिनिशिंग संबंधी वायदे उसने अपने ग्राहकों से किए थे, क्या उसने उन्हें पूरा किया है? यह कुछ अहम सवाल हैं जिनका उत्तर आपको उस बिल्डर के पूर्व के ग्राहकों से मिल सकता है. यह इसलिए भी जरूरी है कि जब आप उस बिल्डर के प्रोजेक्ट की संपत्ति री-सेल बाजार में रखते हैं तो अक्सर बिल्डर के नाम को देखते हुए बड़ी संख्या में ग्राहक आपसे संपर्क करने लगते हैं.
विवादों की जांच जरूरी
पिछले कुछ वर्षों के दौरान एनसीआर के कई शहरों में कुछ बिल्डर्स का प्रोजेक्ट में रहने वाले लोगों या फिर वहां की रेजिडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन के साथ कुछ मुद्दों को लेकर विवाद देखने को मिला है. ऐसे विवादों में अथॉरिटीज में तय फीस जमा कराने से लेकर ओपन या कॉमन यूटिलिटी स्पेस में बिल्डर द्वारा अतिरिक्त कंस्ट्रक्शन करवा देने जैसे मुद्दे आम रहे हैं. कई बार बिल्डर ने तो कॉमन स्पेस पर कॉमर्शियल तक बना दिया है. ऐसे में जब आप किसी बिल्डर के प्रोजेक्ट में निवेश करें तो बिल्डर से सरकारी एजेंसियों की तरफ से पास किए गए नक्शों की मांग करें और दूसरे कागजात भी जरूर देखें.
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FIRST PUBLISHED :
October 19, 2024, 16:12 IST