नई दिल्ली: कनाडा और भारत के रिश्तों की लंका लगाने वाले जस्टिन ट्रूडो बहुत शातिर हैं. वह जानबूझकर खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत को घसीट रहे हैं. इसके पीछे चीनी खेल को छिपाने की उनकी साजिश है. कहीं कुर्सी न चली जाए, सियासत खत्म न हो जाए, इसलिए कनाडा की जनता की आखों में वह धूल झोंक रहे हैं. वह चीन वाले कांड से कनाडा की जनता का ध्यान भटकाने के लिए खालिस्तान प्रेम दिखा रहे हैं. भारत का जांच के कटघरे में लाकर वह चीन के डर्टी गेम पर पर्दा डालना चाहते हैं. उनके ऊपर विदेशी दखल से चुनाव जीतने का आरोप लगे हैं. बस इसी से ध्यान भटकाने के लिए वह उलूल-जुलूल बयान दे रहे हैं और भारत के खिलाफ पैंतरे अपना रहे हैं.
दरअसल, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो चुनावों में चीनी दखल के मामले में बुरी तरह फंस चुके हैं. भारत पर निशाना डालकर वह खुद को और चीन को बचाना चाहते हैं. कनाडा में उनके खिलाफ विरोध के स्वर मुखर हो रहे हैं. उनकी अपनी ही लिबरल पार्टी में बगावत तेज हो गई है. उनके इस्तीफे की मांग हो रही है. यही वजह है कि कनाडा में सिख वोटरों और खालिस्तान समर्थक वोटरों का साथ पाने के लिए भारत को टारगेट कर रहे हैं. जस्टिन ट्रूडो पर साल 2019 और 2021 के चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप से जीतने का आरोप है. इसी मामले में वह जांच का सामना कर रहे हैं. वह बुधवार को साल 2019 और 2021 के चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप (चीन और रूस) की जांच कर रही समिति के सामने पेश हुए. यहां उन्हें कनाडाई चुनावों में चीनी दखल पर जवाब देना था, मगर यहां भी वह भारत को टारगेट करते नजर आए.
अब सवाल है कि क्या जस्टिन ट्रूडो का भारत विरोधी कदम कनाडा की राजनीति में चीन की दखलअंदाजी के बारे में है? तो इसका जवाब हां है. जस्टिन ट्रूडो जान बूझकर जांच की दिशा को भटका रहे हैं. कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने बुधवार को दूसरी बार विदेशी हस्तक्षेप मामले में संघीय जांच के सामने गवाही दी. ट्रूडो सरकार ने 2019 और 2021 में कनाडा में हुए चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप के दावों की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया था. विदेशी हस्तक्षेप मामले में आयोग की प्रारंभिक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि 2019 और 2021 में कनाडा में हुए चुनावों में जस्टिन ट्रूडो ने चीन की मदद से चुनाव जीता था. आयोग ने जनवरी 2024 में सार्वजनिक सुनवाई शुरू की थी. जांच में चीन को हस्तक्षेप करने का मुख्य आरोपी माना गया. दावा किया गया कि ट्रूडो ने चुनाव जीतने के लिए चीन की मदद ली थी और चुनाव को अपने पक्ष में प्रभावित करवाया था. दोनों ही चुनावों में जस्टिन ट्रूडो की अगुवाई वाली लिबरल पार्टी जीत हासिल की थी.
यही वजह है कि अभी कनाडा में जस्टिन ट्रूडो की सरकार बुरी तरह घिर चुकी है. इससे ध्यान भटकाने को भारत को मोहरा बना रही है. मगर यहां भी उसे चैन नहीं है. मुख्य विपक्षी पार्टी कंजर्वेटिव ने भारत संग रिश्ते खराब करने का ट्रूडो पर आरोप लगाया है. कंजर्वेटिव का कहना है कि जस्टिन ट्रूडो भारत के खिलाफ तो बोल रहे हैं, मगर चीन से चुनाव प्रभावित करवाने के आरोपों पर मौन हैं. बता दें कि कनाडा में जिन देशों पर चुनाव प्रभावित करवाने का आरोप है, उनमें चीन के अलावा रूस, ईरान और पाकिस्तान का नाम है. हालांकि, इसमें मुख्य आरोपी चीन को माना गया है. दावा किया गया कि यह सब जस्टिन ट्रूडो ने अपने फायदे के लिए कराया. उन्होंने चुनाव में जीत हासिल करने के लिए चीन को दखल देने की मंजूरी दी. कनाडा की खुफिया एजेंसियों को इसका इनपुट मिला. ट्रूडो तो इसकी जांच भी नहीं चाहते थे, मगर बाद में वह विपक्ष के दबाव में जांच आयोग गठित करने को मजबूर हुए.
उनको पता था कि उन्हें जांच आयोग के सामने पेश होना है. इसलिए वह बीते कुछ समय से जान बूझकर जांच आयोग और कनाडा की एजेंसी से लेकर जनता का ध्यान भटकाने में लगे हैं. वह इसके लिए खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या का सहारा ले रहे हैं और भारत को बदनाम कर रहे हैं. सबका ध्यान भटकाने के लिए ट्रूडो एक कदम और आगे निकल गए और लॉरेंस बिश्नोई गैंग नाम का जाप जपने लगे. अब वह लगातार हर बयान में लॉरेंस बिश्नोई वाली नौटंकी कर रहे हैं. हालांकि, भारत पर लगाए आरोपों का जस्टिन ट्रूडो के पास कोई सबूत नहीं है. मगर इसकी वजह से भारत से कनाडा के रिश्ते बिगड़ चुके हैं. भारत ने अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया है.
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FIRST PUBLISHED :
October 17, 2024, 11:00 IST