जिस प्याज को हाथ भी नहीं लगाते थे गांधीजी, ऐसा क्या हुआ कि चाव से खाने लगे

1 month ago

Gandhi Jayanti: हम सभी ने महात्मा गांधी से जुड़े कई किस्से और कहानियां सुनी और पढ़ी होंगी. लेकिन जब बात उनके खान-पान और उनके पसंदीदा खाने की आती है तो ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता कि वो कैसा भोजन पसंद करते थे. गांधी जी गुजरात के एक शाकाहारी परिवार से थे. जब गांधी जी पढ़ाई के लिए इंग्लैंड गए थे तब उनकी मां ने उन्हें अपनी कसम दी थी कि वे कभी भी मांस और मदिरा का सेवन नहीं करेंगे. कई बार विदेश में शाकाहारी भोजन न मिलने पर वे भूखे भी रहते थे.

वैसे गांधी जी खान-पान के मामले में काफी सरल थे. वे शाकाहारी भोजन करना पसंद करते थे. सादा और सात्विक भोजन करने वाले गांधी जी अपनी खान-पान की आदतों को लेकर काफी सख्त थे. गांधी जी ज्यादा तेल, मसाला और नमक सेवन करना नहीं पसंद करते थे. उनको फल और हरी सब्जी खाने का बहुत शौक था. जब वह साउथ अफ्रीका में अश्वेतों के लिए संघर्ष कर रहे थे, उस दौरान उन्होंने कई आंदोलन किए. जिसके कारण उन्हें कई बार बिना भोजन के भी रहना पड़ा.  

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जोहांसबर्ग में बनाया खास क्लब
हालांकि प्याज को सात्विक भोजन का हिस्सा नहीं माना जाता है. लेकिन जब गांधी जी साउथ अफ्रीका में थे तब वह और उनके दोस्त भोजन को लेकर कई प्रकार के प्रयोग कर रहे थे. उस समय वह प्याज का सेवन करने लगे थे. हां, वही प्याज जिसे वह कभी हाथ भी नहीं लगाते थे. प्याज के सेवन को लेकर उन्होंने साउथ अफ्रीका में ‘एमैल्गमेटेड सोसाइटी ऑफ ऑनियन-ईटर्स’ नामक एक अनोखा क्लब बनाया था. जोहांसबर्ग में बनाए गए इस क्लब में उनके चार दोस्त शामिल थे. गांधी जी इस क्लब के अध्यक्ष थे और उनके मित्र हेनरी पोलाक कोषाध्यक्ष थे. हालांकि गांधी जी को किसी क्लब या संगठन का हिस्सा बनना पसंद नहीं था, लेकिन इसके लिए वह खुशी-खुशी तैयार हो गए थे.

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कौन थे वे चार दोस्त
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में गांधी के करीबी सहयोगी हेनरी पोलाक ने इस घटना के बारे में लिखा, “हमारे ‘कुंवारे’ दिनों में, जब गांधी परिवार दक्षिण अफ्रीका नहीं लौटा था, गांधी जी और मैं नियमित रूप से एक शाकाहारी रेस्तरां में दोपहर का भोजन करते थे. मैंने तीन दिन के उपवास का निर्णय लिया था, आंशिक रूप से अपनी इच्छाशक्ति को मजबूत करने के लिए और आंशिक रूप से हेल्थ केयर के रूप में. हालांकि, मैं हमेशा की तरह रेस्तरां जाया करता था. गांधी जी, एक यहूदी थियोसोफिस्ट, और खुद को तर्कवादी और नास्तिक मानने वाले एक अन्य व्यक्ति के साथ बैठते थे.”

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सलाद में खाते थे भरपूर प्याज
हेनरी पोलाक ने लिखा, “इन अवसरों पर हमारे भोजन में मुख्य रूप से ताजा सलाद और अन्य बिना पकाए हुए खाद्य पदार्थ होते थे. सलाद में अक्सर प्याज की भरपूर मात्रा होती थी. किसी ने सुझाव दिया कि हम चारों ‘एमैल्गमेटेड सोसाइटी ऑफ ऑनियन-ईटर्स’ का गठन करें. गांधी जी इस विचार से बहुत प्रसन्न हुए. वह इसके अध्यक्ष बने और मैं कोषाध्यक्ष. जबकि हमारे पास कभी कोई खजाना नहीं था. यह अलग बात है कि हाल में ब्रिटिश के युद्ध लड़ने के कारण प्याज की कीमत इतनी बढ़ गई कि उसे खजाने के रूप में देखा जाने लगा.” 

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गांधी जी ने बताए प्याज के गुण
प्याज हालांकि उस समय साउथ अफ्रीका में काफी महंगा हो गया था. लेकिन गांधी जी को प्याज बहुत पसंद था. उन्होंने अपने एक पत्र में इसको खाने के बारे में सलाह दी थी. उन्होंने कहा था कि सर्दियों में रोटी के साथ कच्चा प्याज दवा के रूप में लेना लाभकारी है. गांधी जी ने लिखा, “प्याज में कई गुण हैं, हालांकि कुछ कमियां भी हैं. मुख्य कमी इसकी गंध है, लेकिन इसे थोड़ी मात्रा में लेने से वह भी टाली जा सकती है.” 

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भारत आने के बाद बन गए थे वीगन
गांधी जी जब साउथ अफ्रीका से भारत आए तो वह हफ्ते में एक दिन भोजन नहीं करते थे. वह उपवास रखने के पक्षधर थे औप लोगों को भी इसका महत्व बताते थे. उनका मनाना था कि ऐसा करने से शरीर चुस्त बना रहता है और दिमाग को भी शांति मिलती है. वह आम तौर पर भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां खाया करते थे. वह वीगन बन गए थे, गाय का दूध और इससे बनने वाली बाकी चीजों का सेवन भी बंद कर दिया था. वीगन बनने के बाद उन्होंने बकरी का दूध पीना शुरू किया. वैसे तो उनका मानना था कि इंसान को अपनी मां के दूध के अलावा किसी भी दूसरे दूध को पीने का अधिकार नहीं है. पर सेहत के चलते जब उन्हें डॉक्टरों ने दूध पीने की सलाह दी तो उन्होंने बकरी का दूध पीना शुरू किया था.

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FIRST PUBLISHED :

October 2, 2024, 14:35 IST

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