हाइलाइट्स
हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत के बाद इजरायल विरोधी बैकफुट परएक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस के खिलाफ पीएम नेतन्याहू का अभियान जारीअमेरिका ने खुलकर इजरायल के कदम का समर्थन किया है
नई दिल्ली. अक्टूबर 2023 की वह काली रात हर इजरायली के सीने पर न मिटने वाले जख्म की तरह है. हमास के लड़ाके अचानक से इजरायल के कई इलाकों में घुस आए और गुरिल्ला वॉर की तर्ज पर एक हजार से ज्यादा इजरायलियों को मौत के घाट उतार दिया. हमास लड़ाकों ने बर्बरता और मानवता की सारी हदें उस वक्त पार कर दीं जब उन्होंने दर्जनों महिलाओं के साथ जानवरों से सलूक किया. साथ ही महिलाओं समेत दर्जनों इजरायलियों को बंधक बनाकर अपने साथ ले गए थे. इस घटना से इजरायल के साथ ही पूरी दुनिया स्तब्ध थी. प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने उसी वक्त राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में मुकम्मल तरीके से बदला लेने की बात कही थी. हमास और उनके समर्थकों को करारा पलटवार का अंदेशा हो चुका था. अक्टूबर की घटना के बाद इजरायल ने बदले की शुरुआत की. फिलिस्तीन और गाजा को श्मशान घाट में तब्दील कर दिया गया. अंतिम आंकड़ों के अनुसार अभी तक 42 हजार लोग मारे जा चुके हैं. लाखों की तादाद में लोग विस्थापित हो चुके हैं. इसके बाद शुक्रवार को इजरायली एयर स्ट्राइक में हमास के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाले हिजबुल्ला के चीफ हसन नसरल्लाह मारा गया. अब सबके मन में एक ही सवाल है- अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और मौजूदा प्रेसिडेंट जो बाइडन जो नहीं कर सके क्या पीएम नेतन्याहू उसे पूर करके दिखाएंगे?
दरअसल, साल 2001 9/11 के हमले के बाद अमेरिका के साथ ही पूरा विश्व सदमे में था कि आखिर दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश पर इतना बड़ा आतंकी हमला कैसे किया गया? अलकायदा के इस दुस्साहसिक हमले के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति जॉर्ज बुश जूनियर ने एक्सिस ऑफ एविल जुमले का इस्तेमाल किया था. एक्सिस ऑफ एविल में ईरान, इराक के साथ नॉर्थ कोरिया शामिल था. बुश ने इस तिकड़ी को तोड़ने की बात कही थी. अमेरिका ने अफगानिस्तान में अलकायदा के ठिकानों के साथ ही इराक पर भी जोरदाद हमला किया था. दोनों देशों को खंडहर में तब्दील कर दिया गया, लेकिन 9/11 के गुनहगार ओसामा बिन लादेन तब भी बचा रहा. बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान साल 2011 में लादेन को खत्म करने में सफलता मिली थी. इसके बावजूद एक्सिस ऑफ एविल की मजबूत धुरी कहे जाने वाले ईरान का कुछ नहीं बिगड़ा. उत्तर कोरिया भी अछूता रहा.
एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस
साल 2014 में ISIS ने आतंक फैलाना शुरू किया. कई देशों के महत्वपूर्ण हिस्सों पर इसने कब्जा कर लिया. अमेरिकी हितों वाले अड्डों को भी नहीं बख्शा गया. सशस्त्र संघर्ष का दौर लगातार चलता रहा. यह जंग बाद के दिनों में मल्टीपोलर हो गया. ISIS ने इराक के हिस्से पर भी कब्जा कर लिया था. ISIS मुख्य तौर पर सुन्नी आतंकवादियों का संगठन था. इसके निशाने पर खासतौर पर शिया समुदाय था. ईरान और लेबनान में सक्रिय हिजबुल्लाह ने जब ISIS के फैलते प्रभाव को देखा तो वे भी इसके खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में कूद पड़े. ईरानी जनरल कासिम सुलेमानी की इसमें बड़ी भूमिका थी. सुलेमानी के प्रयासों से ही नए एक्सिस ऑफ रेजिस्टेंस गुट अस्तित्व में आया. ईरान समर्थित इस गुट का प्रभाव लेबनान, गाजा, इराक, सीरिया और यमन तक फैला हुआ है. बता दें कि साल 2020 में अमेरिकी हमले में सुलेमानी मारे गए थे.
इजरायल के आक्रामक तेवर
अक्टूबर 2023 की स्तब्ध करने वाली घटना के बाद इजरायल ने हमास और उसके सहयोगियों के खिलाफ अपने अभियान तेज कर दिए. फिलिस्तीन और गाजा को रेगिस्तान बनाने के बाद इजरायल ने लेबनान से सक्रिय होकर हमले को ऑपरेट करने वाले हिजबुल्लाह के खिलाफ अभियान तेज कर दिया. शुक्रवार को बेरूत स्थित हिजबुल्लाह के हेडक्वार्टर पर इजरायली एयर फोर्स ने भीषण बमबारी शुरू कर दी. इस हमले में हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह समेत ईरानी IRGC का डिप्टी कमांडर भी मारा गया. इजरायल लेबनान में लगातार अपना अभियान चल रहा है. बता दें कि कुछ महीनों पहले ही ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की हेलीकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई थी. वहीं, पश्चिमी देशों की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों में छूट हासिल करने के लिए ईरान बातचीत भी कर रहा है. ऐसे में फिलहाल तेहरान कोई ऐसा कदम उठाने की स्थिति में नहीं है, जिससे वह युद्ध की जलती भट्ठी में कूद जाए. मौजूदा हालात को देखकर यह बात होने लगी है कि जो काम जॉर्ज बुश और जो बाइडन नहीं कर सके, लगता उसे इजरायली पीएम नेतन्याहू कर देंगे.
Tags: Hamas attack on Israel, news, Israel air strikes
FIRST PUBLISHED :
September 29, 2024, 23:09 IST