नई दिल्ली. अगर आपने भारत में हाइवे पर यात्रा की है, तो आपने निश्चित रूप से रंगीन कलाकृति, कविता और नारों से सजे ट्रकों को देखा होगा. इनमें से एक स्लोगन लगभग हर ट्रक पर लिखा मिलता है- हॉर्न ओके प्लीज. यह स्लोगन भारतीय हाइवे कल्चर का एक अभिन्न अंग बन गया है. मगर सबसे बड़ा सवाल है कि यह स्लोगन कहां से आया, और इसका वास्तव में क्या मतलब है? अपनी तमाम लोकप्रियता के बावजूद, ‘हॉर्न ओके प्लीज’ कानून के जरिये अनिवार्य नहीं किया गया है, न ही इसका कोई आधिकारिक महत्व है. तो आखिर क्यों यह ज्यादातर ट्रकों के पीछे लिखा रहता है.
ट्रकों के पीछे ‘हॉर्न ओके प्लीज’ का मूल
कई तरह के सिद्धांत इस स्लोगन के पैदा होने की व्याख्या करने की कोशिश करते हैं. मगर इसकी एक लोकप्रिय व्याख्या इस स्लोगन के पैदा होने के समय को द्वितीय विश्व युद्ध के समय तक ले जाती है. उस वक्त भारत, कई अन्य देशों की तरह डीजल की गंभीर कमी का सामना कर रहा था. ट्रक अक्सर डीजल की जगह पर एक बहुत तेजी से आग पकड़ने वाले पदार्थ केरोसिन को ढोते थे. इस खतरनाक सामान के बारे में दूसरे ड्राइवरों को चेतावनी देने के लिए, ट्रकों पर ‘ऑन केरोसिन’ स्लोगन लिखा गया था. समय के साथ इस चेतावनी को छोटे रूप ‘ओके’ में बदल दिया गया.
टाटा के साबुन का विज्ञापन
मगर कुछ लोगों का कहना है कि इस स्लोगन में ओके टाटा समूह के विज्ञापन अभियान का हिस्सा रहा है. टाटा ने लोकप्रिय लाइफबॉय साबुन के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए ‘ओके’ नामक एक कम कीमत का बजट साबुन ब्रांड पेश किया था. कुछ का मानना है कि ‘ओके’ को एक चतुर विज्ञापन रणनीति के हिस्से के रूप में ट्रकों पर लिखा गया था. बहरहाल ओके शब्द के लिखे जाने पर भले ही 2 मत हों, मगर हॉर्न प्लीज का मतलब साफ है.
हॉर्न प्लीज” मतलब साफ है
ऐतिहासिक रूप से भारत के कई पुराने ट्रकों में साइड मिरर नहीं लगा रहता था, जिससे ड्राइवर आसानी से पीछे चल रहे वाहनों को नहीं देख सकते थे. ‘हॉर्न ओके प्लीज’ अनिवार्य रूप से ट्रक के पीछे आने वाले ड्राइवरों के लिए एक संदेश के रूप में काम करता था कि अगर आप ओवरटेक करने का इरादा रखते हैं तो अपना हॉर्न बजाएं. जबकि आधुनिक ट्रक अब साइड मिरर और बेहतर सुरक्षा सुविधाओं से लैस हैं, ‘हॉर्न ओके प्लीज’ देश भर में ट्रकों के पीछे दिखाई देना जारी है.
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FIRST PUBLISHED :
October 6, 2024, 18:30 IST