भारत सरकार नौसेना की जरूरतों को पूरा करने के लिए फ्रांस से 26 मरीन राफेल लड़ाकू विमान का सौदा कर रही है. इससे पहले भारत ने अपने एयरफोर्स के लिए 2016 में फ्रांस के साथ 36 राफेल जेट का सौदा किया था. ये सभी राफेल भारतीय वायु सेना को डिलिवर हो चुके हैं. नौसेना को मिलने वाले ये फाइटर जेट भारत के दो युद्धपोतों आईएनएस विक्रमादित्या और आईएनएस विक्रांत पर तैनात किए जाएंगे. इन मरीन राफेल जेट विमानों से समंदर में भारत की ताकत में काफी इजाफा होगा.
इस सौदों को अंतिम रूप देने भारत सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभान पेरिस दौरे पर हैं. बुधवार को उन्होंने फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बैरोट से मुलाकात की और यूरोप तथा पश्चिम एशिया में जारी युद्धों पर अपने विचार साझा किए. मंगलवार को डोभाल ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात की थी. डोभाल के दौरे के दौरान फ्रांस के अधिकारिकों के साथ राफेल मरीन और स्कॉर्पीन पनडुब्बियां खरीदने को लेकर बातचीत हुई.
तमाम रिपोर्ट में दावे किए गए हैं कि राफेल मरीन को लेकर बातचीत अंतिम दौर में है. अब बातचीत कीमत पर आ गई है. डिफेंस वेबसाइट idrw.org वेबसाइट की रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस ने ये लड़ाकू विमान 2016 की कीमत पर ही देने की बात कही है. हालांकि, आधिकारिक तौर पर इस लड़ाकू विमान की कीमत को लेकर कोई खुलासा नहीं किया गया था. लेकिन, दावे किए गए हैं कि 2016 में भारत ने 101 मिलियन डॉलर में एक विमान खरीदा था. उसी आधार पर 2024 में कीमत तय हो रही है.
101 मिलियन में हुआ था सौदा
इसमें कह गया है कि 101 मिलियन की पुरानी कीमत और उस पर बीते आठ सालों की महंगाई दर जोड़ने के बाद यह कीमत करीब 161 मिलिनय डॉलर बैठती है. इस तरह भारत सरकार इन मरीन राफेल पर करीब 4.2 बिलियन डॉलर की राशि खर्च करने जा रही है. यह एक बड़ा सैन्य सौदा है. इससे पहले भारत ने रूस से 2018 में 5.43 बिलियन डॉलर का एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदा था.
राफेल एक बेहतरीन लड़ाकू विमान है. इसे 4.5वीं पीढ़ी का जेट बताया जाता है. इसकी मारक क्षमता अचूक है. भारत की जरूरतों के हिसाब से इसमें काफी बदलाव किया गया है. राफेल एयर टू एयर, एंटी शिप ऑपरेशन और ग्राउंड… तीनों तरह के ऑपरेशन को अंजाम देने में सक्षम है. ये मरीज राफेल एईएसए रडार सिस्टम और एडवांस इलेक्ट्रॉनिक युद्ध तकनीक से लैस होंगे. ये इतने एडवांस जेट हैं कि ये दुश्मन के रडार और उसके डिफेंस सिस्टम को भी बेअसर साबित कर देंगे.
भारत के रक्षा विशेषज्ञों ने फ्रांस के साथ इस डील की तारीफ की है. नौसेना के पूर्व चीफ एडमिरल करमबीर सिंह का कहना है कि इस राफेल लड़ाकू विमान का कोई मुकाबला नहीं है. एक अन्य जानकार भरत कर्नाड का कहना है कि इन मरीन राफेल की तैनाती से हिंद महासागर क्षेत्र में भारतीय नौसेना की ताकत में जबर्दस्त इजाफा होगा.
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FIRST PUBLISHED :
October 2, 2024, 18:57 IST