महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव के कारण देश में माहौल चुनावी बना हुआ है. इस बीच कांग्रेस हिंदू-मुस्लिम के नाम पर राजनीति में बुरी तरह उलझती दिख रही है. यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की आतंकवादियों से तुलना के कारण पहले ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे निशाने पर हैं. इस बीच एक और कांग्रेस नेता ने विवादित बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि संविधान निर्माता बाबा साहेब अंबेडकर ने बौद्ध धर्म अपनाने से पहले इस्मान अपनाने के बारे में विचार किया था. अगर ऐसा हुआ होता तो आज देश में बड़ी दलित आबादी मुस्लिम धर्म को मानती.
इस नेता का नाम है सैयद अजीम पीर एस कादरी. ये कांग्रेस के पूर्व विधायक हैं. ये कर्नाटक से आते हैं. बीते दिनों शिग्गोन में एक रैली में उन्होंने यह बात कही. यह रैली आदि जंबावा कम्युनिटी की थी. यह कम्युनिटी कर्नाटक में दलित वर्ग में आती है. कादरी ने कहा कि डॉ. अंबेडकर इस्लाम पसंद करते थे. अगर उन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार किया होता तो बड़ी संख्या में दलित लोग उनका अनुशरण करते.
उन्होंने आगे कहा कि अगर ऐसा हुआ होता तो आज के एक्साइज मंत्री आरबी तिमापुर का नाम रहीम खान होता, गृह मंत्री जी परमेश्वर का नाम पीर साहब, एल हनुमंतैयाह का नाम हसन साहब और मंजूनाथ तिमापुर का नाम माबूसाब होता. कांग्रेस पार्टी ने उपचुनाव में कादरी को टिकट नहीं दिया है. वह पार्टी के नेता हैं. उन्होंने मुस्लिम दरगाह और दलित समाज के बीच पुराने समय से संबंध होने की बात कही.
भाजपा का हमला
कादरी के बायन पर भाजपा ने तीखा हमला बोला है. पार्टी के नेता सीटी रवि ने कहा कि हैदराबाद के निजाम ने अंबेडकर को इस्लाम स्वीकार करने के लिए करोड़ों रुपये देने का प्रस्ताव किया था. लेकिन, अंबेडकर ने इस प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा था कि इस्माल में बराबरी और सहिष्णुता नहीं है. हालांकि कांग्रेस पार्टी ने कादरी के बयान से दूरी बना ली है. दूसरी तरह बढ़ते विवाद के बीच कादरी ने भी अपना बयान वापस ले लिया है. कादरी ने बुधवार को कहा कि अंबेडकर के बारे में वह अपने बयान को लेकर खेद जताते हैं. हमारी नीयत किसी की भावना को चोट पहुंचाने की नहीं थी. वह हर समुदाय का सम्मान करते हैं और कई बार जाने-अनजाने में गलती हो जाती है. वह अंबेडकर का बहुत सम्मान करते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
November 13, 2024, 10:18 IST