देश की अकेली विधानसभा जहां नमाज कक्ष,क्यों विधाई भवनों को मानते हैं सेकुलर

2 hours ago

हाइलाइट्स

इस विधानसभा की बिल्डिंग सबसे नए और सुविधापूर्ण भवनों में एकइस विधानसभा की बिल्डिंग की नींव 2014 में पड़ी और 2019 में बनीदेश में विधाई भवनों को धर्मनिरपेक्ष संस्थाएं माना जाता है

हमारे देश में 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं, सबसे पास अपने विधान भवन हैं. लेकिन देश की एक नई विधानसभा ऐसी भी है, जहां विधानसभा भवन में नमाज कक्ष भी है.

क्या आपको मालूम है कि देश का एक राज्य ऐसा भी है, जहां उसके नए और लंबे-चौड़े भवन में विधायकों के लिए एक नमाज कक्ष भी है.इस राज्य की विधानसभा के लिए चुनाव भी हुए हैं. आज वहां काउंटिंग चल रही है. देश में संसद से लेकर किसी और विधानसभा भवन में इस तरह का नमाज कक्ष नहीं है. जब ये बना तो इसका विरोध भी हुआ था.

ये किस राज्य कौन सा है 
तो हम आपको बताते हैं कि ये किस राज्य की विधानसभा है, जहां मुस्लिम विधायकों के लिए नमाज कक्ष बनाया गया है. वैसे हम आपको ये भी बता दें कि इस विधानसभा को जब बनाया गया तो ये देश की किसी भी विधानसभा से ज्यादा आधुनिक और शानदार थी. इसके निर्माण में मोटी रकम खर्च की गई ताकि ये देश की सबसे आधुनिक विधानसभा बन सके. इससे पहले इस राज्य में विधानसभा को 16 सालों तक एक किराए की बिल्डिंग में चलाया गया था.

नमाज कक्ष वाली ये अकेली विधानसभा
ये राज्य है झारखंड, जहां विधानसभा चुनाव हुए. अब वोटों की गिनती का काम चल रहा है. जहां इंडिया ब्लाक को एनडीए से खासी बढ़ात हासिल हो चुकी है.  झारखंड में विधानसभा भवन में एक समर्पित नमाज़ कक्ष शामिल है. ये देश की अकेली विधानसभा है, जहां मुस्लिम सदस्यों की धार्मिक प्रथाओं के लिए एक खास कमरा उन्हें अलाट किया गया, जहां वह नमाज पढ़ सकते हैं.

इस पर बहस भी चली विरोध भी हुआ
2019 में जब झारखंड के नए विधानसभा भवन का उद्घाटन किया गया तो नमाज़ कक्ष को शामिल करने पर राजनीतिक चर्चाएँ और बहस छिड़ गई. कुछ दलों और नेताओं ने इसे उचित कदम बताया तो कुछ ने आलोचना करते हुए कहा धर्मनिरपेक्ष विधायी स्थानों में धार्मिक आयोजन की जगह नहीं होनी चाहिए, इससे गलत प्रथा पड़ेगी.

बाकी किसी विधानसभा में ऐसा नहीं है
विवाद के बावजूद, यह नमाज कक्ष भवन का एक हिस्सा बना हुआ है, जहां मुस्लिम विधायक नमाज अता करते हैं. हालांकि भारत में विधान सभा भवनों में नमाज़ कक्ष (या विशिष्ट धार्मिक प्रथाओं के लिए समर्पित प्रार्थना कक्ष) की उपस्थिति दुर्लभ है बल्कि ये कह लीजिए ऐसी कोई परंपरा नहीं रही है और ना ही कहीं ऐसा है. अधिकांश भारतीय राज्य विधानसभाओं में समर्पित नमाज़ कक्ष आधिकारिक तौर पर शामिल नहीं है.

कई विधानसभाओं में सामान्य प्रार्थना कक्ष
कई विधानसभाओं में सामान्य प्रार्थना कक्ष या बहु-विश्वास स्थान हैं, जिनका उद्देश्य सभी धर्मों के व्यक्तियों की सेवा करना है. उन्हें उन्हें किसी एक धार्मिक प्रथा के लिए विशेष रूप से नामित नहीं किया गया है. केरल या पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में, जहां विधायकों में मुस्लिम आबादी काफी है, वहां भी आधिकारिक नमाज़ कक्ष के रूप में कोई जगह या रूम नामित नहीं किया गया है.

संसद से विधानसभा तक विधाई भवन होते हैं
देश के संसद भवन में भी ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है, क्योंकि माना जाता है कि संसद भवन और विधाई भवन धर्मनिरपेक्ष संस्था होते हैं. . जहां किसी विशेष धर्म के प्रति पक्षपात की किसी भी धारणा से बचने के लिए आधिकारिक तौर पर ऐसी जगहें नहीं हैं.

संसद में धार्मिक प्रथाएं
संसद के सदस्य अगर प्रार्थना करना चाहते हैं, वे आमतौर पर निजी स्थानों का उपयोग करते हैं. वो अपने कार्यालय और आवास में भी ऐसा कर सकते हैं या संसद परिसर के बाहर आस-पास के पूजा स्थलों का उपयोग करते हैं.

कब इसकी नींव रखी और कब बनकर तैयार 
झारखंड विधानसभा के नए भवन की नींव 2014 में रखी गई थी. निर्माण अगस्त 2019 में पूरा हुआ. इसमें अत्याधुनिक सुविधाएं शामिल हैं. विधानसभा भवन लगभग 39 एकड़ में फैला हुआ है. इसमें एक असेंबली हॉल, चैंबर, समिति कक्ष, एक पुस्तकालय और कार्यालय शामिल हैं. ये भारत की सबसे उन्नत विधान सभा भवनों में है.

इसको बनाने में 465 करोड़ रुपए लगे
झारखंड राज्य का गठन साल 2000 में हुआ. राज्य के गठन से लेकर 11 सितंबर 2019 तक झारखंड विधानसभा किराए के भवन से चला. 12 सितंबर 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नवनिर्मित विधानसभा भवन का उद्घाटन किया था. इस इस तीन मंजिला इमारत का निर्माण 465 करोड़ रुपए की लागत से हुआ. इसमें 162 विधायकों के बैठने की क्षमता है. वैसे झारखंड में फिलहाल विधानसभा 81 सदस्यों वाली है.

Tags: Jharkhand Elections, Jharkhand Government, Ranchi news

FIRST PUBLISHED :

November 23, 2024, 10:50 IST

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