पत्तों के साथ डांस की परंपरा, यहां का कल्चर देख आप भी कहेंगे-क्या-क्या होता है

4 weeks ago

चित्रदुर्ग: हिरियुर तालुक के बलेनहाली गांव में गल्लालम्मा मेले के दौरान बहुओं के नाचने की परंपरा है. श्रीदेवी गल्लालम्मा जत्रा महोत्सव के आखिरी दिन देवी भंडारा उत्सव मनाया जाता है. इस समय, गांव की सभी बहुएं साड़ी पहनकर, हाथों में नीम के पत्ते लेकर, माथे पर हल्दी और भंडारा लगाकर नाचती हैं. बता दें कि महिलाएं साड़ी में, हाथों में नीम के पत्ते लिए, माथे पर हल्दी-भंडारा लगाकर उरीमे और तामटे के साजों पर नाचती हैं. पालकी में ग्राम देवी की शोभायात्रा भी होती है. यह सब हीरियूर तालुक के बलेनहाली में देखा जाता है, जो चित्रदुर्ग जिले के कोटेनाड़ु का हिस्सा है.

भक्त लोग लोगों और मवेशियों की रक्षा के लिए भगवान की पूजा करते हैं और तपस्या करते हैं, लेकिन, बलेनहाली में सिर्फ बहुएं ही नाचती हैं और भगवान की स्तुति करती हैं. यहां बहुओं का नृत्य देवी की सेवा के रूप में भंडार समर्पित करने का हिस्सा है.

श्रीदेवी गल्लालम्मा जत्रा महोत्सव
हर साल यहां देवी गल्लालम्मा के लिए नाचने की परंपरा रही है. दशहरा पर्व के मौके पर गांव में श्रीदेवी गल्लालम्मा जत्रा महोत्सव मनाया जाता है.

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आखिरी दिन: भंडारा उत्सव
आखिरी दिन, अंबिनोत्सव, हरिसेवे, भेड़ बुलाने का उत्सव, आरती, पालकी उत्सव और कई अन्य धार्मिक कार्यक्रम होते हैं. मेले के आखिरी दिन देवी भंडारा उत्सव होता है. बता दें कि गांव की बहुएं हाथों में नीम के पत्ते लेकर नाचती हैं और देवी की सेवा करती हैं. यहां मान्यता है कि गांव के बेटों से शादी करने वाली युवतियों के नाचने से सब शुभ होता है. गोंड समुदाय की परंपरा में देवी के आगे नाचना शामिल है.

अब इस तरह की जनजातीय संस्कृति को कडूलोला समुदाय जीवित रखे हुए है. जब गांव की बहुएं देवी के उत्सव में जोरदार नृत्य करती हैं, तो लोग सीटी बजाकर और तालियां बजाकर उनका समर्थन करते हैं.

Tags: Local18, Special Project

FIRST PUBLISHED :

October 25, 2024, 16:01 IST

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