Last Updated:July 19, 2025, 19:54 IST
Free Heart Treatment In Patna: किसी तरह का कार्ड या योजना के लिए इधर उधर भटकने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. बस पटना के इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी अस्पताल में भर्ती होना है और फ्री में इलाज करवाकर घर ल...और पढ़ें

इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलाजी
पटना: अगर आप बिहार के निवासी हैं और हृदय के गंभीर बीमारी से ग्रसित हैं तो अब आपको इलाज के लिए इधर से उधर भटकना नहीं पड़ेगा. चाहे पेसमेकर लगवाना हो, वाल्व रिप्लेसमेंट कराना हो, एंजियोप्लास्टी करानी हो या जन्मजात हृदय रोग का इलाज करवाना सबकुछ पूरी तरह से फ्री होगा. इसके लिए किसी तरह का कार्ड या योजना के लिए इधर उधर भटकने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. बस पटना के इंदिरा गांधी इंस्टिट्यूट ऑफ कार्डियोलॉजी अस्पताल में भर्ती होना है और फ्री में इलाज करवाकर घर लौट जाना है.
लाखों का इलाज फ्री कैसे
राज्य के एकमात्र सरकारी हृदय रोग संस्थान इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलाजी (आइजीआइसी) में हृदय रोगियों के इलाज के लिए खास व्यवस्था की गई है. पूर्व में फ्री इलाज करवाने के लिए आयुष्मान भारत योजना या मुख्यमंत्री चिकित्सा अनुदान योजना के लिए स्वास्थ्य विभाग या अलग अलग कार्यालयों का चक्कर लगाना पड़ता था जिससे परिजन परेशान हो जाते थे. इस समस्या को समझते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. वैसे मरीज जिनकी सालाना आय ₹2.5 लाख से कम है, उनको बिना किसी परेशानी के फ्री इलाज मिल सके इसके लिए सरकार ने पांच करोड़ रुपये का रिवाल्विंग फंड मुहैया कराया है. इसके तहत मुख्यमंत्री चिकित्सा अनुदान योजना के सुयोग्य लाभुकों को आइजीआइसी के डॉक्टर की अनुशंसा पर संस्थान के निदेशक ही अनुदान स्वीकृत कर उपचार की व्यवस्था कर देंगे.
सिर्फ आइजीआइसी में ही है यह सुविधा
संस्थान के निदेशक डा. सुनील कुमार ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग की ओर से पांच करोड़ का रिवाल्विंग फंड मिला है. यह सुविधा राज्य में केवल आइजीआइसी के पास है, क्योंकि यहां काफी संख्या में हृदय रोगी पहुंचते है. हर दिन एक दर्जन से अधिक बाइपास, एंजियोप्लास्टी या अन्य तरह की बड़ी सर्जरी फ्री में हो रही है. इसमें आयुष्मान भारत योजना के तहत भी मरीजों को लाभ दिए जा रहे है. इसमें मरीजों को भोजन से लेकर दवा तक पूरी तरह मुफ्त है.
पहले लंबा था प्रोसेस
निदेशक डा. सुनील कुमार ने आगे बताया कि हृदय के गंभीर रोगियों के पास इलाज के लिए ज्यादा समय नहीं होता है. डॉक्टर को भी तुरंत सर्जरी को लेकर निर्णय लेना पड़ता है. ऐसे में, अगर मरीज गरीब है तो उसका आयुष्मान कार्ड से इलाज होता है. अगर कार्ड नहीं है तो मुख्यमंत्री चिकित्सा अनुदान योजना से अनुदान मिलता है लेकिन इसकी प्रकिया लंबी है. इसके लिए अस्पताल की ओर से अनुशंसा करा कर स्वास्थ्य विभाग को भेजा जाता है. इसके बाद विभाग में हर सप्ताह बैठक कर अनुदान की राशि स्वीकृत की जाती है. इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगता है. लेकिन अब रिवॉल्विंग फंड की वजह से यह काम बिल्कुल सरल हो गया है. अब डॉक्टर अनुशंसा करेंगे और निदेशक ही फंड जारी कर देंगे.