नई दिल्ली. हरियाणा चुनाव में कांग्रेस के अंदर हार का ठीकरा फोड़ने का सिलसिला अब शुरू हो गया है. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व पर सवाल उठ रहे हैं कि सैलजा-हुड्डा और सुरजेवाला की तिकड़ी को कंट्रोल करने में विफल साबित हुई. हरियाणा में किसान संगठनों से जुड़े लोग पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला के साथ-साथ कांग्रेस आलाकमान को भी हारे के लिए बराबर जिम्मेदार मान रहे हैं.
वहीं, बीजेपी ने कहा कि किसान नेताओं के बयान बता रहे हैं कि हाल के दिनों में जो भी किसान आंदोलन हुए, वह कांग्रेस को फायदा पहुंचाने के मकसद से शुरू किए गए थे. कम से कम किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी के बयान से तो यही लगता है. चढूनी का ये भी कहना है कि कांग्रेस की कमान प्रियंका गांधी करेंगी तो कांग्रेस बचेगी, वरना हरियाणा में कांग्रेस कभी नहीं आएगी.
किसान आंदोलन और कांग्रेस
किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा है कि हरियाणा में भूपेंद्र हुड्डा की महत्वाकांक्षा ने कांग्रेस को हरा दिया. चढूनी ने कांग्रेस नेताओं को सलाह दी है कि कांग्रेस हाईकमान कमजोर है. इसलिए कांग्रेस पार्टी की कमान अब प्रियंका गांधी के हाथों में दे देनी चाहिए. ऐसा करने पर ही कांग्रेस बचेगी, वरना हरियाणा में कांग्रेस कभी नहीं आएगी. वहीं, कांग्रेस नेता कहते हैं कि सत्ता में लाने के लिए हर किसी ने मेहनत किया. हुड्डा, सैलजा और सुरजेवाला के संघर्षों को कौन भुला सकता है. पार्टी में नए चेहरों को भी मौका मिल रहा है.
कैसे बीजेपी की सरकार बन गई?
आपको बता दें कि कांग्रेस नेता हरियाणा चुनाव की हार से अभी तक बाहर नहीं आए हैं. कांग्रेसी नेताओं का कहना है कि दो महीने पहले से किसान, कर्मचारी, व्यापारी, गरीब और दलित सभी कांग्रेस की सरकार चाहते थे. लेकिन, अचानक कैसे पाला बदल गया. ऐसा क्या हुआ कि कांग्रेस की सरकार बनते-बनते बीजेपी की बन गई?
कांग्रेस की गुटबाजी ने किया बंटाधार
कांग्रेस आलाकमान हरियाणा चुनाव पर लगातार खामोश चल रही है. हरियाणा के नतीजों को समझने के साथ-साथ अब दूसरे राज्यों में भी कांग्रेस की स्थिति को समझना पड़ेगा. हिमाचल प्रदेश में भी अंदरुनी गुटबाजी जबरदस्त थी. प्रतिभा सिंह अध्यक्ष रहते हुए भी अध्यक्ष नहीं थीं. छत्तीसगढ़ में वही हाल था भूपेश बघेल और के पी सिंह देव सिंह में गुटबाजी चरम पर थी. फिर भी कांग्रेस आलाकमान कोई सख्त एक्शन नहीं ले रही थी. यही हाल हरियाणा चुनाव में भी था.
सैलजा और हुड्डा की अदावत ने पहुंचाया नुकसान
हरिय़ाणा चुनाव में घोषणा के साथ ही गुटबाजी साफ नजर आ रही थी. सैलजा और हुड्डा का गुट तो पहले से ही चला आ रहा था. चुनाव के ऐलान के बाद सुरजेवाला ने भी ताल ठोकना शुरू कर दिया. टिकटों के बंटवारे के बाद गुटबाजी और बढ़ गई. सैलजा हरियाणा छोड़ कर दिल्ली आकर बैठ गईं. यहां तक राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे की हरियाणा में पहली रैली में भी सैलजा नजर नहीं आई. पूरे हरियाणा में यह मैसेज गया कि पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है. कल को सरकार बन भी जाती है तो दो-चार विधायकों के साथ कोई नेता पाला बदल सकता है.
पूरे हरियाणा में सीएम पद के अघोषित दावेदार भूपेंद्र सिंह हुड्डा की तूती बोलती रही. दिल्ली में बैठकर कुमारी शैलजा भी सीएम पद पर अपनी दावेदारी से इंकार नहीं कर रही थी. सुरजेवाला भी अपने आपको काबिल बता रहे थे. मानो कांग्रेस को सत्ता इस बार मिलना तय इन नेताओं पहले से नजर आने लगा. लेकिन, जनता में आलाकमान के द्वारा स्पष्ट निर्देश नहीं देने पर संशय होने लगा और मामल पलट गया.
Tags: All India Congress Committee, Haryana election 2024, Priyanka gandhi vadra, Rahul gandhi
FIRST PUBLISHED :
October 14, 2024, 20:25 IST