हाइलाइट्स
ओडिशा सरकार से यह बुजुर्ग मदद की गुहार लगा रही है.करीब 10 दिन पहले ही महिला के बेटे की मौत हो गई है.बुजुर्ग पर चार पोते-पोतियों को पालने की जिम्मेदारी है.
नई दिल्ली. अगर आपको यह लगता है कि आपके जीवन में बाकी लोगों से बहुत ज्यादा दुख-दर्द है तो जरा इस 70 साल की बुजुर्ग महिला की कहानी सुन लीजिए. आपका भी कलेजा भर आएगा. 70 साल की बुजुर्ग महिला ओडिशा के गंजम जिले की रहने वाली है. वो ओडिशा सीएम मोहन चरण माझी से मदद की गुहार लगा रही हैं. बुजुर्ग के बेटा बहू मर चुके हैं. 70 साल की उम्र में उसपर चार पोते-पोतियों के पालन-पोषण से लेकर उनकी पढ़ाई-लिखाई तक की जिम्मेदारी है. वो इलाके में ही मछली बेचकर जैसे-तैसे घर चलाने की कोशिश कर रही है, लेकिन बढ़ती उम्र में उनके लिए काम करना और घर की जिम्मेदारी दोनों संभालना आसान नहीं है.
अनाथ हो चुके बच्चों में सबसे बड़ी बहन बेहरा 17 साल की है. उनकी दो अन्य बहने लुशी 15 और मामाली 13 साल की है. सबसे छोटे भाई महाबीर की उम्र 11 साल है. उनके पिता सुबाला बेहरा (45) की लंबी बीमारी के बाद पिछले महीने 23 सितंबर को मौत हो गई थी. उनकी मां पुष्पा की पांच साल पहले मौत हो चुकी है. पिता की मौत के बाद उनकी दादी लक्ष्मी उनकी देखभाल कर रही हैं. मछली बेचने से होने वाली सीमित आय के कारण लक्ष्मी चार पोते-पोतियों का दैनिक खर्च नहीं उठा पा रही हैं. घर भी एकदम जर्जर हालत में है.
10 हजार की मदद मिल चुकी
अब लक्ष्मी सीएम से सरकारी सहायता मांग रही हैं. उन्होंने भंजनगर के उपजिलाधिकारी अनिल कुमार सेठी से मुलाकात की और कुछ सरकारी सहायता मांगी. सेठी ने तत्काल जिला रेड क्रॉस फंड से 10,000 रुपये मंजूर करवाए और तहसीलदार, भंजनगर को उनकी दुर्दशा के बारे में जानकारी मांगी. हालांकि, लक्ष्मी ने कहा कि रेड क्रॉस से मिलने वाली सहायता राशि उनके बेटे सुबल के अंतिम संस्कार पर खर्च की जाएगी.
पुनर्वास पर विचार कर रही सरकार
पूछने पर उप-कलेक्टर ने कहा, “हम तहसीलदार से रिपोर्ट मिलने के बाद कलेक्टर से चर्चा के बाद उनके पुनर्वास के लिए कदम उठाएंगे.” लक्ष्मी ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि सरकार बच्चों की देखभाल करेगी क्योंकि वे अपने पिता की मृत्यु के बाद अनाथ हो गए हैं. लगभग पांच साल पहले उनकी मां की मौत के बाद मेरा बेटा देखभाल कर रहा था. उनकी मौत के बाद अब बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है.”
पोते-पोतियों का भविष्य क्या होगा?
चार अनाथ बच्चों के भविष्य को लेकर चिंतित स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने सरकार से उनके उचित पुनर्वास और उनकी पढ़ाई के लिए कदम उठाने का आग्रह किया है. बाल अधिकार कार्यकर्ता सुधीर सबत ने कहा, “उनकी दादी बूढ़ी हो गई हैं और वह मछली बेचकर कमाने की स्थिति में नहीं हैं. चारों भाई-बहन अब लगभग निराशा की स्थिति में हैं. जिला प्रशासन को उनकी देखभाल करनी चाहिए और उनकी पढ़ाई सुनिश्चित करनी चाहिए.”
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FIRST PUBLISHED :
October 3, 2024, 11:46 IST