नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच LAC पर अब खत्म हो गई है. दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध को समाप्त कर दिया है. अब अमेरिका ने भारत-चीन के बीच हुए समझौते पर अपने दिल की बात की है. अमेरिका ने इस समझौते का दिल खोलकर स्वागत किया है. अमेरिकी राजदूत एरिक गार्सेटी ने कहा कि अमेरिका ने हमेशा भारत के अपने रणनीतिक हितों और अपनी सीमाओं के सम्मान को बनाए रखने के प्रयासों का समर्थन किया है.
बता दें कि बुधवार को रूस में 5 वर्षों में अपनी पहली आधिकारिक बैठक में पीएम नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस समझौते का समर्थन किया था. PM मोदी ने कहा कि दोनों देशों के बीच स्थिर संबंधों का क्षेत्रीय और वैश्विक शांति और समृद्धि पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
भारत अमेरिका का करता रहा है मदद
TOI की रिपोर्ट के अनुसार गार्सेटी ने यह बताया, “भारत और अमेरिका एक शांत दुनिया चाहते हैं, जिसमें संघर्ष और खतरे न हों और यह इंडो-पैसिफिक में एक अच्छा दिन है जब संघर्ष का कोई समाधान निकलता है, जैसा कि इस सफलता में हुआ है.” भारतीय अधिकारियों ने अतीत में कहा है कि वाशिंगटन ने गतिरोध के दौरान अमेरिकी उपकरणों का उपयोग करके त्वरित खुफिया जानकारी साझा करके भारत की मदद की.
गार्सेटी ने सीमा समझौते का उल्लेख किया, जिसकी घोषणा भारत ने सोमवार को की थी, साथ ही उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने में भारत की संभावित भूमिका के बारे में बात की. खासकर जुलाई और अगस्त में मोदी की मॉस्को और कीव की लगातार यात्राओं के बाद. राजदूत इस बात पर जोर दे रहे थे कि अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांत के रूप में क्षेत्रीय अखंडता पवित्र है और दुनिया के सभी कोनों पर लागू होती है.
राजदूत ने कहा “हम पीएम मोदी और मंत्री जयशंकर सहित शांतिदूतों का स्वागत करते हैं. हम एक ऐसे युद्ध पर ध्यान केंद्रित करने का स्वागत करते हैं जो केवल यूरोपीय नहीं बल्कि वैश्विक है. इस युद्ध के प्रभाव को महसूस करने के लिए आपको पूर्वी यूरोप में रहने की आवश्यकता नहीं है. किसी भी इंसान को एक अनावश्यक, अनुचित आक्रामकता के युद्ध में खोए गए सैकड़ों हजारों लोगों के प्रभाव को महसूस करना चाहिए, जिसने सीमा के संबंध में अंतरराष्ट्रीय संबंधों के सबसे बुनियादी सिद्धांतों का उल्लंघन किया है.”
गार्सेटी ने आगे कहा “जैसा कि हम LAC पर सफलता का जश्न मनाते हैं, जहां भारत ने इस सिद्धांत पर एक लाइन रखी, और हमने उनका समर्थन किया, हम मानते हैं कि यह सिद्धांत केवल दुनिया के एक हिस्से के लिए नहीं बल्कि दुनिया के सभी हिस्सों के लिए है.” इस साल जुलाई में भारत की रणनीतिक स्वायत्तता के बारे में बात करते हुए गार्सेटी ने कहा था कि संघर्ष के समय ऐसी कोई बात नहीं होती. हालांकि, वे यह कहते रहे कि उनकी टिप्पणी पीएम मोदी की रूस यात्रा से जुड़ी नहीं थी, जिसकी टाइमिंग को लेकर अमेरिका और यूरोप में नाराजगी की लहर दौड़ गई थी.
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FIRST PUBLISHED :
October 25, 2024, 07:45 IST