Maharashtra Chunav: बीते लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके में बुरी तरह पिटने वाली भाजपा ने विधानसभा चुनाव के लिए क्षेत्र में खास रणनीति बनाई है. लोकसभा चुनाव के वक्त इलाके में मराठा आरक्षण का मसला बहुत गर्म था. मराठा आरक्षण आंदोलन के नेता मनोज जरांगे पाटिल का इलाके में व्यापक प्रभाव बताया जा रहा है. वह मौजूदा सरकार पर मराठा आरक्षण के मसले को उलझाने का आरोप लगाते रहे हैं. इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा. बीते लोकसभा में मराठवाड़ा की आठ सीटों में से सात पर महाविकास अघाड़ी का कब्जा हो गया.
ऐसी चर्चा है कि लोकसभा की तरह मनोज जारंगे का इस बार विधानसभा में असर देखा जाएगा. मनोज जारांगे ने विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया था. लेकिन, नामांकन वापस लेने के अंतिम दिन रणनीति बदल दी और सभी उम्मीदवारों को बैठा दिया. इसके अलावा मनोज जारांगे ने समुदाय से मराठा आरक्षण के लिए विरोध दर्ज कराने की अपील की. जारांगे की नई भूमिका के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है. मनोज जारांगे के प्रभाव को कम करने के लिए बीजेपी ने रणनीति बनाई है.
मनोज जारांगे के आंदोलन का असर मराठवाड़ा में व्यापक रूप से देखा गया. अंतरावली सराती में मराठा प्रदर्शनकारियों, विशेषकर महिला प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज के बाद अंतरवाली सराती मराठा आरक्षण आंदोलन का केंद्र बन गया.
बीजेपी की रणनीति
मराठवाड़ा में बीजेपी ने मनोज जारांगे पाटिल की वजह से खास रणनीति बनाई है. केंद्र से बैठे सांसद भूपेन्द्र यादव और शिव प्रसाद को खास जिम्मेदारी दी गई है. मराठवाड़ा में आंदोलन का कितना असर होगा, इसके लिए एक सर्वे किया गया है. अनुमान है कि बागी बीजेपी और शिवसेना को नुकसान पहुंचाएंगे.
बीजेपी ने मराठवाड़ा की आठ सीटों के लिए विशेष निरीक्षकों की नियुक्ति की है. इसमें दिग्गज नेताओं को जिम्मेदारी सौंपी गई है. भोकरदन और बदनापुर के लिए रावसाहेब दानवे, डेगलौर के लिए अशोक चव्हाण, केज के लिए प्रीतम मुंडे सहित 5 लोगों को नियुक्त किया गया है. इन नेताओं को जारांगे के प्रभाव को कम करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. इन नेताओं को निर्वाचन क्षेत्रों में खुद को तैनात करने के अलावा, अपने दिन-प्रतिदिन के अभियान की रणनीति बनाने का निर्देश दिया गया है.
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FIRST PUBLISHED :
November 13, 2024, 14:58 IST