माइक वाल्ट्ज:चीन-पाक के दुश्मन, भारत के यार; यकीन नहीं तो 2021 वाली बात जान लो

1 week ago
ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज को अपना एनएसए चुना है.ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज को अपना एनएसए चुना है.

Mike Waltz News: डोनाल्ड ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज को एनएसए बनाया है. उनका यह फैसला भारत के पक्ष में साबित हो सकता है. इसकी ...अधिक पढ़ें

News18 हिंदीLast Updated : November 13, 2024, 10:51 IST

नई दिल्ली: डोनाल्ड ट्रंप ने माइक वाल्ट्ज को अमेरिका का नया एनएसए यानी राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया है. माइक वाल्ट्ज के एनएएस बनने से चीन जरा भी खुश नहीं होगा. वहीं, भारत के लिए डोनाल्ड ट्रंप का यह फैसला सही दिख रहा है. इसकी वजह है माइक वाल्ट्ज का पाकिस्तान और चीन को लेकर स्टैंड. जी हां, साल 2021 में माइक वाल्ट्ज ने कुछ ऐसी बातें कहीं थी, जिससे यह समझ आएगा कि उनके एनएसए बनने से भारत को फायदा ही होगा और पाक-चीन की टेंशन बढ़ेगी. 2021 में माइक वाल्ट्ज ने कहा था कि चीन-पाक गठजोड़ भारत और अमेरिका के लिए सुरक्षा जोखिम है. उन्होंने वैश्विक मजबूती के लिए भारत के साथ गठबंधन का समर्थन किया था. उनकी बातों से लगता है कि वह भारत को अमेरिका का कितना अहम साझेदार मानते हैं.

दरअसल, माइक वाल्ट्ज ने 2021 में निक्की हेली के साथ एक लेख लिखा था. इसमें उन्होंने दुनिया में अमेरिका की स्थिति को मजबूत करने वाले संबंधों को प्राथमिकता देने की बात कही थी. उन्‍होंने लिखा था, ‘इसकी शुरुआत भारत के साथ होनी चाहिए. अब गठबंधन बनाने का समय आ गया है.’ उन्होंने लिखा, ‘एक परमाणु शक्ति संपन्न देश होने के नाते भारत के पास दस लाख से अधिक सैनिक हैं. नौसेना लगातार मजबूत हो रही है. अंतरिक्ष कार्यक्रम भी शीर्ष स्तर पर है. अमेरिका के साथ आर्थिक और सैन्य सहयोग का इतिहास रहा है. ऐसे में भारत एक मजबूत सहयोगी होगा. भारत के साथ गठबंधन से दोनों देश अपनी वैश्विक ताकत को बनाए रखेंगे और उसका विस्तार भी कर पाएंगे. और जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर, यह अमेरिका को अफगानिस्तान में संभावित आतंकवादी खतरों के लिए एक वास्तविक रक्षा बल बनाने के साथ-साथ चीन का मुकाबला करने में सक्षम बनाएगा.’

2021 वाले लेख में क्या-क्या?
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, माइक वाल्ट्ज और हेली ने ताजिकिस्तान में फरखोर एयर बेस को लेकर भी भारत की तरफ इशारा किया था. उन्होंने कहा कि यह अफगानिस्तान में आतंकवाद विरोधी हमले करने के लिए नजदीक का एकमात्र एयर बेस है. उनका तर्क है कि गठबंधन से भारत, अमेरिका को अफगानिस्तान और व्यापक क्षेत्र में अपने हितों की रक्षा के लिए रणनीतिक ठिकानों तक पहुंच की अनुमति दे सकता है. उन्होंने लिखा, ‘अब हमारे पास एक ही साझेदार है, जो अफगानिस्तान पर प्रभावी ढंग से नजर रख सकता है. यह वही साझेदार है, जो चीन के दक्षिणी हिस्से पर नजर रख सकता है और वह है भारत.’ उन्होंने यह भी लिखा कि अमेरिका-भारत गठबंधन हमें चीन पर बढ़त दिलाएगा.

कैसे भारत से दोस्ती में अमेरिका को फायदा
उन्होंने आगे लिखा था, ‘अमेरिका की तरह भारत भी यह मानता है कि चीन तेजी से बढ़ता खतरा है. चीन न केवल अफगानिस्तान से हमारे जाने का फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है, बल्कि वो भारत पर उसकी अपनी सीमाओं पर भी दबाव बना रहा है. यह अमेरिका और भारत दोनों के हितों के खिलाफ है.’ उन्होंने यह भी आगाह किया कि चीन और पाकिस्तान के बीच बढ़ती सांठ-गांठ भारत और अमेरिका दोनों के लिए गंभीर सुरक्षा खतरे पैदा करती है. भारत के लिए अमेरिका के साथ गठबंधन उसकी सीमाओं पर दोतरफा संघर्ष के खिलाफ एक मजबूत ढाल होगा. वहीं, अमेरिका के लिए यह गठबंधन अफगानिस्तान में पाकिस्तान के प्रभाव को कम करने में मदद करेगा- जो आतंकवाद का एक सरकारी प्रायोजक है और अब चीनी निवेशों से मजबूत हो रहा है. अपने देश पर फिर से हमला करने वाले आतंकी महाशक्ति बनने से किसी को रोकना है तो हमें एक नए साथी की ज़रूरत है.’

आतंकियों के लिए तो काल हैं माइक
माइक वाल्ट्ज का एनएसए बनना पाकिस्तान के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं है. इसकी वजह है कि उनका आतंकवाद विरोधी रुख काफी सख्त माना जाता है. वह अमेरिका के पूर्व उपराष्ट्रपति डिक चेनी के कार्यकाल में काउंटर टेररिज्म यानी आतंकवाद विरोधी प्रमुख रह चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि जिस समय डोनाल्ड ट्रंप अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को बाहर निकालना चाहते थे, उस समय वाल्ट्ज ने कड़े शर्तों के बिना सैनिकों को वापस बुलाने का विरोध किया था. इन शर्तों में राष्ट्रीय खुफिया निदेशक से यह प्रमाण पत्र लेना भी शामिल था कि तालिबान अल-कायदा से नहीं जुड़ेगा. वाल्ट्ज के कार्यकाल में भारत संग दोस्ती को और मजबूत कर अमेरिका की चीन को साधने की कोशिश होगी.

Tags: China news, Donald Trump, US News, World news

FIRST PUBLISHED :

November 13, 2024, 10:48 IST

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