हाइलाइट्स
माना जाता है कि वो जेल से वर्चुअल फोन नंबर्स के जरिए गैंग को आदेश देता हैजेल से ही वह अपने गैंग के सीनियर्स को निर्देश देता है और रणनीति तैयार करता हैकनाडा में बैठा उसके खास लेफ्टिनेंट गोल्डी बरार पूरे गैंग का संचालन करता है
मुंबई पिछले कुछ सालों से जेल में बंद डॉन लारेंस बिश्नोई से थर्राया हुआ है. एनसीपी के नेता बाबा सिद्दीकी की शूटर्स के जरिए हत्या के बाद तो देश की ये महानगर दहल ही गया है. कभी सलमान खान को धमकी तो कभी उस पर गोली चलवाना, कभी सिद्धू मूसेवाला की हत्या…कभी कनाडा में आपरेशन तो कभी इंग्लैंड में क्राइम. हर बार जब भी ऐसे कांडों के बाद लारेंस बिश्नोई गैंग इसकी जिम्मेदारी लेता है तो हैरानी ही होती है कि वो जेल में बैठकर कैसे ये सब कर रहा है.
कई सवाल उभरते हैं. आखिर लारेंस बिश्नोई जेल में बैठकर कैसे ये सब कर रहा है. जेल से वह कैसे सुपारी लेता है. वहां से अपने फैलते हुए गैंग को कैसे चलाता है और सबसे बड़ी बात कि वह अपने गैंग वालों से कैसे बातचीत करता है.
सवाल – लॉरेंस बिश्नोई का गैंग कितना बड़ा है और कितने राज्यों में फैला है?
– राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के मुताबिक ये गैंग 700 शूटरों के साथ काम करता है. बल्कि ये गैंग समय के साथ बड़ा होता जा रहा है. इसके आपरेशन जिस तरह 11 राज्यों में फैले हुए हैं. उससे लगता है कि ये गिरोह भी डी कंपनी यानि दाऊद इब्राहिम की राह पर चल रहा है.
एनआईए ने लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बरार समेत 16 गैंगस्टरों के खिलाफ सख्त यूएपीए कानून के तहत चार्जशीट दाखिल की है. एनआईए ने अपनी चार्जशीट में लॉरेंस बिश्नोई गैंग की तुलना दाऊद इब्राहिम की डी-कंपनी से की है.
एनआईए के आरोपपत्र से पता चला है कि लॉरेंस बिश्नोई और उसके आतंकी सिंडिकेट ने अभूतपूर्व तरीके से विस्तार किया है, ठीक उसी तरह जैसे दाऊद इब्राहिम ने 90 के दशक में छोटे-मोटे अपराधों से शुरुआत करते हुए अपना नेटवर्क स्थापित किया था.
दाऊद इब्राहिम ने ड्रग तस्करी, लक्षित हत्याओं, जबरन वसूली रैकेट के ज़रिए अपने नेटवर्क का विस्तार किया. बाद में पाकिस्तानी आतंकवादियों के साथ मिलकर डी-कंपनी बनाई. इसी तरह, बिश्नोई गिरोह ने छोटे-मोटे अपराधों से शुरुआत की. अपना गिरोह बनाया. अब उत्तर भारत पर छा गया है.
सवाल – लॉरेंस बिश्नोई 9 सालों से जेल के अंदर कड़ी सुरक्षा में तो उसका सेकेंड मैन कौन है, जो उसकी मदद करता है?
– गिरोह का संचालन सतविंदर सिंह उर्फ गोल्डी बरार कर रहा है, जिसकी कनाडा पुलिस और भारतीय एजेंसियों को तलाश है. बिश्नोई और गोल्डी बरार की तस्वीरें फेसबुक, इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई हैं. बिश्नोई की कोर्ट ले जाते और वापस लाते समय की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर की गई हैं, जिससे युवाओं में इस गिरोह का प्रचार हो रहा है.
गोल्डी बरार गिरोह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. माना जा रहा है कि वह कनाडा या विदेश में कहीं बैठकर लॉरेंस बिश्नोई के मुख्य लेफ्टिनेंट का काम करता है. उसकी भागीदारी कई हाई-प्रोफाइल आपराधिक गतिविधियों और बिश्नोई के साथ रही है.
गोल्डी बरार को ही पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या के पीछे कथित मास्टरमाइंड के रूप में जाना जाता है. बरार विदेशों से आपराधिक गतिविधियों का प्रबंधन करता है, जिसमें जबरन वसूली और अनुबंध हत्याएं शामिल हैं. वहीं से बैठकर वह भारत में भी वारदातों को अंजाम देता है. वह अक्सर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गैंगस्टर जीवन को ग्लैमराइज़ करता है.
सवाल – मतलब ये लॉरेंस बिश्नोई गिरोह में जो हो रहा है, वो ज्यादातर गोल्डी बरार ही करता है?
– ये कहा जा सकता है. हालांकि लॉरेंस बिश्नोई और गोल्डी बरार के बीच कोई कम्युनिकेशन प्रणाली है, जिससे दोनों आपस में किसी तरह बात कर लेते हैं, जेल में रहते हुए भी लॉरेंस कैसे ये कर लेता है, इसकी भनक भी पुलिस को नहीं लग पाती. वह हाई-प्रोफाइल अपराधों में रणनीति बनाता है, उसको क्वार्डिनेट करता है और भर्तियां भी करता है. 2020-21 तक बिश्नोई गिरोह ने जबरन वसूली के जरिए करोड़ों रुपये कमाए थे और उस पैसे को हवाला के जरिए विदेश भेजा गया था.
सवाल – कितने राज्यों में बिश्नोई गिरोह फैला हुआ है?
– एनआईए के मुताबिक लॉरेंस बिश्नोई गिरोह पहले पंजाब तक ही सीमित था लेकिन अपने करीबी सहयोगी गोल्डी बरार की मदद से लॉरेंस बिश्नोई ने हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के गिरोहों के साथ गठजोड़ करके एक बड़ा नेटवर्क तैयार कर लिया. ये गिरोह पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान और झारखंड सहित पूरे उत्तर भारत में फैल चुका है. बाबा सिद्दीकी को गोली मारने के मामले में पकड़े गए दो शूटर यूपी के ही हैं.
एनआईए के अनुसार, पाकिस्तान स्थित खालिस्तानी आतंकवादी हरविंदर सिंह रिंदा पंजाब में लक्षित हत्याओं और आपराधिक गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बिश्नोई के शूटरों का इस्तेमाल करता है।
सवाल – ये गिरोह कैसे युवाओं को शामिल करता है?
– इन्हें सोशल मीडिया और नए टेक टूल द्वारा शामिल किया जाता है. युवाओं को विदेशी सपनों से लुभाया जाता है. ये गिरोह युवाओं को कनाडा या उनकी पसंद के किसी देश में भेजने का प्रलोभन देकर भर्ती करता है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लॉरेंस बिश्नोई के व्यक्तित्व को ग्लैमराइज़ किया जाता है, जो युवाओं को आकर्षित करता है जो उसके गैंग में शामिल होने की इच्छा रखते हैं.
सवाल – किस तरह लॉरेंस बिश्नोई जेल से बैठकर गैंग को आपरेट करता है?
– बताया जाता है कि बिश्नोई का गिरोह बेहद संगठित आर्गनाइजेशन की तरह काम करता है. जिसमें ये गुप्त रहने वाले डिजिटल संचार पर ज़ोर दिया जाता है.
माना जाता है कि लॉरेंस जेल से गिरोह चलाने के लिए वॉयस-ओवर आईपी यानि VoIP तकनीक का इस्तेमाल करता है. जिससे बिश्नोई शूटरों के साथ सीधे संपर्क के बिना गतिविधियों को चलाता है. ये तरीका उसे जेल से आदेश देने और हिट की योजना बनाने में सक्षम बनाता है. बिश्नोई ने अपने प्रभाव का विस्तार करने के लिए अन्य जेल में बंद गैंगस्टरों के साथ गठजोड़ भी किया हुआ है.
सवाल – वर्चुअल फोन नंबर क्या होते हैं, जिसके जरिए वह फोन करता है, ये किस तकनीक पर काम करते हैं?
– वर्चुअल फ़ोन नंबर किसी खास स्थान या डिवाइस से बंधे नहीं होते; वे वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (VoIP) तकनीक का उपयोग करके काम करते हैं. इससे इंटरनेट पर कॉल की जा सकती है और कॉल ली भी जा सकती है. इसमें फिजिकल सिम कार्ड या पते की जरूरत नहीं होती.
बिश्नोई का वर्चुअल नंबर्स का इस्तेमाल ना केवल उसकी बल्कि सहयोगियों दोनों की सीक्रेसी बरकरार रखता है. इस फोन कॉल को ना तो पकड़ा जा पाता है और ना ही रिकॉर्ड . गिरोह इन वर्चुअल नंबरों का उपयोग करके ऑडियो कॉन्फ़्रेंस से मीटिंग भी करता है.
इसी से बिश्नोई जेल में बैठकर ही कनाडा, दुबई और मैक्सिको सहित विभिन्न देशों में फैले सहयोगियों के साथ बात करता है. वह सीधे शूटर्स से बात नहीं करता, ये काम उसके खास लोग करते हैं
सवाल – दुनियाभर में ये गैंग क्या क्या करता है?
– ये गैंग केवल भारत ही नहीं बल्कि कनाडा, दुबई और मैक्सिको सहित कई देशों में फैला हुआ है, जहां उसके लोग ड्रग तस्करी और जबरन वसूली जैसी गतिविधियां करते हैं. विदेश में मौजूद सहयोगी गिरोह के लिए वित्तीय और रसद प्रबंधन में मदद करते हैं.
सवाल – इस गिरोह की खास बात क्या है?
– इस गिरोह में सदस्य केवल अपने सीनियर्स के बारे में जानते हैं. अगर कोई पकड़ा जाता है तो ये जोखिम बहुत कम हो जाता है कि गिरोह का भंडाफोड़ हो जाएगा, बाकी लोग भी पकड़े जाएंगे. ये चीज सुनिश्चित करती है कि पूरे नेटवर्क को उजागर किए बिना ऑपरेशन चलता रहे. ये भारत के कई राज्यों में व्यवसायों और व्यक्तियों को निशाना बनाता है.
सवाल – लॉरेंस बिश्नोई किसी घटना को जेल में बैठकर कैसे अंजाम देता है?
– बिश्नोई अपने भरोसेमंद सहयोगियों को काम सौंपता है, निर्देश देता है. जिसके आधार पर योजना बनाई जाती है. इस पर अमल किया जाता है. बिश्नोई की जेल से आपराधिक गतिविधियों को संचालित करने की क्षमता भारतीय दंड प्रणाली के असर को लेकर चिंता पैदा करती है.
सवाल – जेल में बिश्नोई के पास कम्युनिकेशन गैजेट्स कैसे पहुंचते हैं?
– रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि जेल कर्मचारी ही बिश्नोई के कम्युनिकेशन में मददगार होते रहे हैं. लॉरेंस बिश्नोई एक आधुनिक गैंगस्टर का उदाहरण है, जो जबरदस्त टेकसेवी है, नए गैजेट्स का इस्तेमाल जाता है और दिमाग से काफी तेज है. जिससे वह करीब एक दशक से जेल के अंदर बैठकर भी गैंग को ना केवल बढ़ा रहा है बल्कि देश से लेकर विदेश तक इसके फैले तारों पर कंट्रोल कर रहा है.
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FIRST PUBLISHED :
October 14, 2024, 14:29 IST