मुंबई. महाराष्ट्र की राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले शरद पवार इस विधानसभा चुनाव में कुछ खास करिश्मा नहीं दिखा सके. उनकी अगुवाई में एनसीपी सिर्फ 12 सीटों पर सिमटती नजर आ रही है. पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले उन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ा है. 83 साल के हो चुके शरद पवार का यह प्रदर्शन संकेत है कि उनकी धार अब कुंद हो चुकी है. लेकिन एक बात साफ है कि जाते-जाते उन्होंने अपने भतीजे अजित पवार और बेटी सुप्रिया सुले के लिए राजनीति का नया रास्ता खोल दिया है.
ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि अजीत पावर की एनसीपी ने अकेले ही महा विकास अघाडी (एमवीए) की गठबंधन पार्टियों, जिनमें शरद पवार की एनसीपी भी शामिल है, से ज्यादा सीटें हासिल कर ली हैं. लेकिन यह तभी मुमकिन हुआ जब शरद पवार की पार्टी दो धड़ों में बंट गई. इससे एक तरफ जहां अजित पवार को खुद को साबित करने का मौका मिला, वहीं अब सुप्रिया सुले भी राजनीति में अपनी धाक जमाने में लगी हैं. हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में बारामती से सुले ने अजित पवार की पत्नी को हराकर संसद में कदम रखा था.
अजित पवार को महायुति गठबंधन का सबसे कमजोर कड़ी माना जा रहा था, खासकर महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 के सीट-बंटवारे की बातचीत के दौरान. इस तरह के ताने ज्यादातर शरद पवार गुट के नेताओं से आए हैं, जिन्होंने दावा किया कि पार्टी के वरिष्ठ नेता के भतीजे ने “परिवार को धोखा दिया” और महायुति में “कमजोर स्थिति” में आ गए.
विधानसभा चुनावों के सीट-बंटवारे में, अजीत पवार की नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को 59 सीटें मिलीं, जो कि एकनाथ शिंदे की शिवसेना को मिली 81 सीटों और बीजेपी की 149 सीटों से काफी कम थीं. शनिवार दोपहर तक वोटों की गिनती के अनुसार, अजित पवार की पार्टी ने 65% की प्रभावशाली स्ट्राइक रेट दर्ज की, जिसमें वे 40 सीटों पर आगे चल रहे थे.
इसकी तुलना में, शरद पवार की एनसीपी अब तक केवल 12 सीटों पर बढ़त/जीत हासिल कर पाई है, जो 15% की स्ट्राइक रेट से भी कम है. वास्तव में, अजीत पवार की पार्टी की सीटों की संख्या महा विकास अघाडी (एमवीए) में सबसे आगे है. एमवीए में, शिवसेना-यूबीटी सबसे सफल रही है, जिसने 27 सीटों पर बढ़त बनाई है, इसके बाद कांग्रेस 15 सीटों पर बढ़त के साथ दूसरे स्थान पर है.
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FIRST PUBLISHED :
November 23, 2024, 16:16 IST