Gaza News: अमेरिका द्वारा घोषित आतंकी संगठन 'हमास' के एक गुनाह की कीमत लाखों फिलिस्तीनियों ने अपने सीने पर घाव खाकर चुकाई. कभी फिलिस्तीन का दिल कहा जाने वाले 'गाजा' का नक्शा बदल चुका है. इजरायल फौज आईडीएफ (IDF) ने बीते करीब एक साल में मिसाइलें और बम मार-मारकर गाजा की पुरानी पहचान खत्म कर दी है. आज गाजा एक शहर नहीं बल्कि वीरान मैदान जैसा नजर आता है. गाजा का ऐसा हाल क्यों हुआ? उसके इस पुनर्निर्माण की हालत का जिम्मेदार कौन है, फिलिस्तीन या इजरायल? इसका जवाब आप खुद तय कीजिए.
ज़ी न्यूज़ लगातार आपको मिडिल ईस्ट के हर अपडेट से रूबरू करा रहा है. इस बीच वार जोन से इजरायल को अबतक मिली कामयाबी का वो फार्मुला पता चल गया है, जिसके दम पर इजरायल ने खुद का कम से कम नुकसान सुनिश्चित करने के साथ-साथ हमास को खात्मे के कगार पर पहुंचा दिया है. हमास का टॉप ऑर्डर मारा जा चुका है. जो जैसे तैसे बच गए हैं, उनके सामने अस्तित्व बचाने का संकट है.
अब आपको उस इलाके के बारे में बताने जाज रहे हैं, जिसके बारे में कहा जाता है कि वो भले ही कभी खुशहाल इलाका न रहा हो लेकिन कभी एक हंसता खेलता शहर जरूर था. जहां कभी बच्चे के पैदा होने पर किलकारियां गूंजती थीं. लोग खुशी मनाते थे. गरीबी ही सही लेकिन मिलजुलकर दो जून की रोटी जुटाकर पेट भरने का इंतजाम कर लेते थे. वहीं गाजा अब एक कब्रिस्तान सा हो गया है. जिसकी फिजाओं में ऑक्सीजन से ज्यादा खतरनाक गैसों का हिस्सा हो गया है. फास्फोरस, पोटास, अमोनियम नाइट्रेट जैसे न जाने कितने खतरनाक केमिकल का बिखराव जगह-जगह दिखता है. इस इलाके का ऐसा हाल करने वाली इजरायली फौज की ऐसे इलाकों में सेफ्टी मेजरमेंट का इंतजाम करके जाती है.
फिलिस्तीनियों को बनाया ढाल
यहां हम आपको गाजा की दुखद कहानी के लिए कौन जिम्मेदार है? इजरायली सेना आईडीएफ ने कैसे अबतक इतनी बड़ी कामयाबी हासिल की आइए बताते हैं. इजरायल की फौज ने गाजा की कई किलोमीटर लंबी सुरंगों में घुसने और उन्हे खाली कराकर तबाह करके हमास के लड़ाकों को ढूंढने के लिए फिलिस्तीन के आम नागरिकों का मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल किया. हमास में भी कोई बाहरी देशों के लड़ाके तो भर्ती होने नहीं गए थे, ऐसे में हमास के लोगों को जब आहट लगती कि दरवाजे पर कोई अनजान दस्तक है. तब उनके एक सवाल पूछा जाता. दरवाजे के बाहर से जो जवाब आता या जो तस्वीर उन्हें अंदर से दिखती उसमें फिलिस्तीन के आम लोगों की आवाज सुनाई देती थी या उनका चेहरा दिखता था. ऐसे में वो अपने ही लोगों पर गोली नहीं चला पाते थे. इसका फायदा इजरायल ने उठाया और इस तरह छोटी-छोटी कामयाबियों के साथ आज इजरायल ने करीब 90 फीसदी गाजा को सपाट कर दिया.
मॉस्किविटो प्रोटोकॉल से स्लीपर सेल का खात्मा
सीएनएन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक इजरायली फौज के एक सैनिक और पांच पूर्व फिलिस्तीनियों के हवाले से ये खुलासा हुआ कि जहां के लोग इजरायली सैनिकों को देखते ही हमला करके उन्हें पीछे हटने पर मजबूर कर देते थे, उन्हें ही इजरायल ने अपनी जीत के लिए मोहरा बना लिया. इजरायल ने अपने सैनिकों को नुकसान न पहुंचे ये सुनिश्चित करने के लिए फिलिस्तीनियों को गाजा में संभावित रूप से फंसे हुए घरों और सुरंगों में पहले घुसने के लिए मजबूर किया है और हमास के स्लीपर सेल का भी खात्मा कर दिया.
इजरायल की सेना की हर यूनिट कुछ फिलिस्तीनियों को ढाल बनाकर अपने साथ रखती थी. ये प्रेक्टिस इज़रायली सेना में इतना मशहूर हो गई थी क्योंकि इसके नतीजे 100 फीसदे इजरायल के हित में थे. इजरायल की फौज ने इसका एक कोड नाम 'मॉस्किटो प्रोटोकॉल' रखा था.
इजरायली सेना ने ये पैंतरा कहां-कहां अपनाया इसकी कुछ खास जानकारी नहीं है. यानी इस सीक्रेट ऑपरेशन सटीक पैमाना और दायरा ज्ञात नहीं है. लेकिन सैनिक और पांच नागरिकों दोनों की गवाही से पता चलता है कि यह काम पूरे गाजा में बड़े पैमाने पर हुआ. चाहे उत्तरी गाजा हो या गाजा शहर, या फिर खान यूनिस और राफा. हर जगह इस टेक्निक का इस्तेमाल हुआ. कुछ मामलों में पहले डॉग स्क्वाएड का इस्तेमाल हुआ. फिर ह्यूमन शील्ड बने फिलिस्तीनियों की आवाज सुनाई जाती थी. हरी झंडी मिलते ही इजरायली सैनिक अपने अत्याधुनिक कैमरों और उपकरणों सेउस जगह का कोना-कोना देखकर ही गोली या बम चलाते थे.