नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. सुप्रीम कोर्ट पराली जलाने को लेकर नाराजगी जताई और पंजाब-हरियाणा सरकार को फटकार लगाई. दिल्ली-एनसीआर की आबोहवा और पराली जलाए जाने के मुद्दे पर जस्टिस अभय ओका और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज की बेंच ने सुनवाई की. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा से पूछा कि पराली जलाने को लेकर आप केवल कारण बताओ नोटिस जारी कर रहे हैं. क्या यही आपका रवैया है? सुनवाई के दौरान जब पंजाब की ओर से सीनियर एडवोकेट अभिषेक सिंघवी ने दलील देने की कोशिश की तो सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें भी सुना दिया.
पंजाब और हरियाणा पर नाराजगी जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस ओका ने कहा कि क्या धारा 14 ऐसे कारण बताओ नोटिस का प्रावधान करती है? इस पर सरकार की ओर से एएसजी भाटी ने जवाब दिया कि नहीं. इसके बाद जस्टिस ओका ने कहा कि फिर क्यों पिछले तीन वर्षों से आपके आदेशों का पालन नहीं किया गया. आप आयोग को सूचित करें कि इन लोगों को जमानत न दें. हम आपको बहुत गंभीरता से बता रहे हैं. यदि ये सरकारें और आप गंभीरता से पर्यावरण की रक्षा के लिए तत्पर होते तो धारा 15 में संशोधन से पहले ही सब कुछ कर लिया गया होता. यह सब राजनीतिक है और कुछ नहीं.
सिंघवी ने क्या दलील दी
इसके बाद पंजाब की ओर से पेश हुए सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि हमने अनुपालन किया है. इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि मिस्टर सिंघवी हमें कुछ भी कहने के लिए मजबूर न करें. हम जानते हैं कि किस प्रावधान के तहत एफआईआर दर्ज की गई. बिल्कुल निराधार, कुछ भी नहीं किया गया है. एक भी मुकदमा नहीं किया गया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव को कोर्ट में बुलाया.
जस्टिस ओका ने खूब लगाई फटकार
भरी अदालत में जस्टिस ओका ने मुख्य सचिव से पूछा कि आपको जवाब देना होगा कि आपने पंजाब के महाधिवक्ता को गलत बयान क्यों दिया कि किसानों के लिए ट्रैक्टर और डीजल के लिए धन के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया गया है. हमें बताएं कि आपको किसने निर्देश दिया या अधिकारी का नाम बताएं? हम अवमानना जारी करेंगे. हम आपको नहीं छोड़ रहे हैं. इस पर सीनियर वकील सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी दलीलों से समझाने की कोशिश की, तभी जस्टिस ओके ने उन्हें टोका और कहा कि किसी का बचाव न करें मिस्टर सिंघवी.
जस्टिस ओका और सिंघवी का सवाल-जवाब
जस्टिस ओका ने कहा कि ठीक है मिस्टर सिंघवी, आप हमें पंजाब द्वारा दर्ज मामलों के बारे में बता रहे हैं. मामले देखें. एक भी मुकदमा नहीं चलाया गया? सिंघवी जी मैं आपको बता रहा हूं. प्रश्न का सीधा उत्तर दीजिये. वायु निवारण अधिनियम 1981 को देखें. इसके बाद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि करीब 44 मुकदमे हुए हैं. इसके बाद जस्टिस ओका ने कहा कि क्या आप निश्चित हैं? क्या हमें रिकॉर्ड मंगाना चाहिए? आपके महाधिवक्ता ने पिछली सुनवाई में कहा था कि कुछ नहीं किया गया, एक भी मुकदमा नहीं चलाया गया. इस पर सिंघवी ने कहा कि मुख्य सचिव कोर्ट के बाहर जाकर जांच करना चाहते हैं. उनके अनुसार इस वर्ष यह आंकड़ा 44 है. इसमें 5 मुकदमे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने खूब दागे सवाल
इस पर जस्टिस ओका ने कहा कि केवल 5? क्या यह संभव है? आपने हमें पहले वायु रोकथाम अधिनियम 1981 में संशोधन के बारे में भी नहीं बताया है. इसके अलावा, हल्के ढंग से, केंद्र सरकार 1986 अधिनियम की धारा 15 में इसे लागू करने के किसी भी क्षेत्र को तैयार किए बिना, किसी निर्णायक अधिकारी के बिना संशोधन करती है. संशोधन किया गया है वो भी 1 अप्रैल को, सबको मूर्ख बना दिया गया है. जस्टिस ओका ने कहा कि कृपया हमें बताएं कि ग्राम स्तर पर निगरानी समितियों का गठन कब किया गया और नोडल अधिकारी नियुक्त किए गए? आपका हलफनामा पूरी तरह से मौन है. कृपया हमें सरकार द्वारा पारित आदेश दिखाएं?
सिंघवी भरी अदालत में सुनते रहे
उन्होंने यह भी कहा कि यह भी बताएं कि समिति के इन अधिकारियों ने सुरक्षा के लिए क्या किया है? हम जानना चाहते हैं कि ये सब चीजें कब अस्तित्व में आईं. इसके बाद वरिष्ठ वकील सिंघवी ने अदालत को डिटेल दी. उसके बाद जस्टिस ओका ने कहा कि में बताएं कि 24/2 को नियुक्त होने के बाद इन अधिकारियों ने क्या किया है? पर्यावरण की सुरक्षा की दिशा में उन्होंने जो भी कदम उठाया है. उन्होंने क्या काम किया है? इस पर सीनियर वकील सिंघवी ने कहा कि मैं इन सभी 9000 कार्यकर्ताओं का शपथ पत्र दाखिल करूंगा. वहीं, बेंच में शामिल जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि आपके 9000 अधिकारियों ने केवल 9 उल्लंघन पाए हैं? बहुत खूब.
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FIRST PUBLISHED :
October 23, 2024, 13:38 IST