हे राम, ये क्या हुआ? भगवान शिव का कैलाश आखिर क्यों हो गया बर्फ विहीन?

4 hours ago

Last Updated:July 20, 2025, 13:59 IST

Mountain Kailash: कैलाश पर्वत पर बर्फ का अभाव पर्यावरणविदों और श्रद्धालुओं को चिंतित कर रहा है. वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन का संकेत मानते हैं, जबकि श्रद्धालु इसे भगवान शिव का क्रोध समझ रहे हैं.

हे राम, ये क्या हुआ? भगवान शिव का कैलाश आखिर क्यों हो गया बर्फ विहीन?

रिपोर्ट के मुताबिक माउंट कैलाश पर तेजी से बर्फ पिछल रहा है. इससे यह पर्वत चोटी बर्फ विहीन हो गई है. (सांकेतिक तस्वीर)

हाइलाइट्स

कैलाश पर्वत पर बर्फ का अभाव श्रद्धालुओं को चिंतित कर रहा है.वैज्ञानिक इसे जलवायु परिवर्तन का संकेत मानते हैं.श्रद्धालु इसे भगवान शिव का क्रोध समझ रहे हैं.

सनातन धर्म में कैलाश पर्वत का खास महत्व है. पौराणिक ग्रंथों में इसे भगवान शिव का स्थान बताया गया है. यह बर्फ का पर्वत है और यह सालों भर बर्फ की मोटी चादरों से ढका रहता है. लेकिन, यह स्थान पर बीते कुछ समय में व्यापक बदलाव देखने को मिला है. तिब्बत के भूभाग में स्थित यह पवित्र पर्वत शिखर 6,638 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है. यहां की एक तस्वीर सामने आई है, जिसमें इसकी पहाड़ियों पर बर्फ का अभाव साफ दिखाई दे रहा है.

बर्फ विहीन कैलाश का यह दृश्य न केवल पर्यावरणविदों को चिंतित कर रहा है, बल्कि उन लाखों श्रद्धालुओं के मन में भी सवाल पैदा कर रहा है, जो इसे अपने आध्यात्मिक केंद्र के रूप में देखते हैं. क्या यह जलवायु परिवर्तन का एक और गंभीर संकेत है, या फिर यह किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रहा है? पिछले महीने स्थानीय गाइड और पर्यटकों ने देखा कि कैलाश के उत्तरी ढलान जो आमतौर पर बर्फ से ढके रहते थे, अब लगभग बर्फ विहीन हो चुके हैं.

क्यों पिघल रहे बर्फ

इस तस्वीर को देखकर श्रद्धालु परेशान हैं. एक श्रद्धालु ने कहा- मैंने जीवन भर इस पर्वत को बर्फ से ढके देखा. भगवान शिव का यह निवास बर्फ की शीतलता से ही पहचाना जाता था. अब यह सूना और उदास लगता है. क्या यह हमारे पापों का फल है?

वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इस बदलाव को जलवायु परिवर्तन से जोड़ा जा रहा है. अंतरराष्ट्रीय केंद्र फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट (ICIMOD) के वरिष्ठ जलवायु विशेषज्ञ कियांगगोंग झांग का कहना है कि यह वास्तव में चिंता का विषय है. बर्फ का अभाव स्पष्ट रूप से जलवायु संकट का संकेत है. कैलाश क्षेत्र में तापमान में वृद्धि और ग्लेशियरों के पिघलने से यह स्थिति उत्पन्न हुई है. उनके अनुसार पिछले दशक में हिमालय क्षेत्र में औसत तापमान 0.6 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है, जो ग्लेशियरों को तेजी से कम कर रहा है. लेकिन यह बदलाव केवल वैज्ञानिकों के लिए नहीं है; बल्कि यह आध्यात्मिक रूप से भी गहरा असर डाल रहा है.

भगवान शिव का वास

श्रद्धालु मानते हैं कि कैलाश की बर्फ में शिवजी का वास है. अब वह बर्फ गायब हो रही है. तो क्या यह भगवान का क्रोध है? तमाम सनातनी लोग इस प्राकृतिक बदलाव को अलौकिक संकेत मान रहे हैं. स्थानीय निवासियों का कहना है कि उन्होंने बचपन में पूरा पर्वत बर्फ से ढका देखा. अब तो बच्चे पूछते हैं कि बर्फ कहां गई? हमारा जीवन इस पर्वत से जुड़ा है. अगर यह सूख गया, तो हमारा क्या होगा?

उनके शब्दों में न केवल पर्यावरण की चिंता है, बल्कि एक संस्कृति और जीवनशैली के विलुप्त होने का डर भी झलकता है. वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों का कहना है कि यह स्थिति जल्द ही नियंत्रित नहीं की गई तो हिमालयी क्षेत्र में पानी की भारी कमी हो सकती है, जो नदियों और पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करेगा. लेकिन श्रद्धालुओं के लिए यह सिर्फ पर्यावरण का मुद्दा नहीं, बल्कि उनकी आस्था का सवाल है. वे प्रार्थना कर रहे हैं कि भगवान शिव इस पवित्र स्थान को फिर से अपनी शीतल बर्फ से आच्छादित करें. क्या यह प्रकृति का संदेश है या मानव की लापरवाही का परिणाम, इसका जवाब समय ही देगा.

संतोष कुमार

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...और पढ़ें

न्यूज18 हिंदी में बतौर एसोसिएट एडिटर कार्यरत. मीडिया में करीब दो दशक का अनुभव. दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आईएएनएस, बीबीसी, अमर उजाला, जी समूह सहित कई अन्य संस्थानों में कार्य करने का मौका मिला. माखनलाल यूनिवर्स...

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