नई दिल्ली. ईवीएम के साथ ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपैट) का उपयोग करके डाले गए वोटों की गिनती के अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से वकील निजाम पाशा ने दलील दी कि यह व्यवस्था होनी चाहिए कि वोटर अपना VVPAT स्लिप बैलट बॉक्स में खुद डाल सके. इस पर जस्टिस खन्ना ने सवाल किया कि इससे क्या वोटर के निजता का अधिकार प्रभावित नहीं होगा? वकील निजाम पाशा ने दलील दी कि वोटर की निजता से अधिक जरूरी है उसका मत देने का अधिकार है.
वहीं वकील संजय हेगड़े की ओर से कहा गया कि सभी पर्चियों के मिलान की सूरत में चुनाव आयोग (EC) की तरफ से 12-13 दिन लगने की जो बात कहीं जा रही है, वो दलील गलत है. चुनाव आयोग के अधिकारी ने कोर्ट को बताया कि ईवीएम प्रणाली में तीन यूनिट होती हैं बैलेट यूनिट, कंट्रोल यूनिट और तीसरा वीवीपीएटी. बैलेट यूनिट सिंबल को दबाने के लिए है. कंट्रोल यूनिट डेटा संग्रहित करता है और वीवीपीएटी सत्यापन के लिए है. एडीआर के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि वीवीपैट मशीन में लाइट 7 सेकंड तक जलती है और अगर वह लाइट हमेशा जलती रहे तो पूरा फंक्शन मतदात देख सकता है.
कंट्रोल यूनिट में 4 MB की मेमोरी होती है
चुनाव आयोग के अधिकारी ने बताया कि कंट्रोल यूनिट VVPAT को प्रिंट करने का आदेश देती है. यह मतदाता को सात सेकंड तक दिखाई देता है और फिर यह वीवीपीएटी के सीलबंद बॉक्स में गिर जाता है. प्रत्येक कंट्रोल यूनिट में 4 MB की मेमोरी होती है. मतदान से 4 दिन पहले कमीशनिंग प्रक्रिया होती है और सभी उम्मीदवारों की मौजूदगी में प्रक्रिया की जांच की जाती है और वहां इंजीनियर भी मौजूद होते हैं. सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान वकील प्रशांत भूषण ने केरल के कासरगोड में मॉक वोटिंग के दौरान EVM में पाई गई गड़बड़ी का जिक्र किया. उन्होंने कोर्ट को बताया कि मॉक वोटिंग के दौरान 4 EVM और VVPAT एक अतिरिक्त वोट बीजेपी के पक्ष में रिकॉर्ड कर रहे थे. कोर्ट ने चुनाव आयोग की ओर से पेश वकील मनिंदर सिंह से कहा कि इन आरोपों की जांच करे. देखें कि क्या गड़बड़ी वहां पाई गई है?
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, क्या उम्मीदवारों ईवीएम का टेस्ट चेक करते हैं
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि प्रोग्राम मेमोरी में कोई छेड़छाड़ हो सकती है? चुनाव आयोग ने कहा कि इसे बदला नहीं जा सकता यह एक फर्मवेयर है और सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर के बीच का है. इसे बिल्कुल भी नहीं बदला जा सकता. पहले रेंडम तरीके से ईवीएम का चुनाव करने के बाद मशीनें विधानसभा के स्ट्रांग रूम में जाती हैं और राजनीतिक दलों की मौजूदगी में लॉक किया जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि जब आप ईवीएम को जब भेजते हैं तो क्या उम्मीदवारों को टेस्ट चेक करने की अनुमति होती है. चुनाव आयोग ने बताया कि मशीनों को स्ट्रांग रूम में रखने से पहले मॉक पोल आयोजित किया जाता है. उम्मीदवारों को रैंडम मशीनें लेने और जांच करने के लिए पोल करने की अनुमति होती है.
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एक मिनट में कितने वोट डाले जा सकते हैं. ईसीआई अधिकारी ने कहा कि अमूमन एक वोट के लिए 15 सेकंड लगते हैं इसलिए अधिकतम 4 वोट एक मिनट मे डाले जा सकते है.. फिलहाल ये संख्या 4 से कम है. ECI अधिकारी ने कहा कि हमारे पास हर एक जिले में ईवीएम प्रदर्शन केंद्र भी है और कोई भी आकर मशीन के बारे में जानकारी ले सकता है.
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FIRST PUBLISHED :
April 18, 2024, 14:00 IST