देश में हाईटेक सड़कों का जाल बिछता जा रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीते सप्ताह एक और एक्सप्रेसवे का उद्घाटन कर यूपी के 7 जिलों को सौगात दी है. इस बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे (Bundelkhand Expressway) की कई खूबियां और खासियतें हैं.
News18 हिंदीLast Updated :May 7, 2024, 16:22 ISTWritten byPramod Kumar Tiwari
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की लंबाई 296 किलोमीटर है और इसे 4 लेन का बनाया गया है. एक्सप्रेसवे को तैयार करने में करीब 14,850 करोड़ रुपये की लागत आई है. यह एक्सप्रेसवे यूपी के 7 जिलों को आपस में जोड़ता है. जाहिर है कि इन जिलों के एक्सप्रेसवे के किनारे की जमीनों के दाम भी जल्द बढ़ने शुरू हो जाएंगे.
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यह एक्सप्रेसवे यूपी के इटावा जिले के कुदरैल गांव से शुरू होगा और चित्रकूट जिले में स्थित एनएच 35 के पास गोंडा गांव को जोड़ेगा. इतना ही नहीं इटावा में यह एक्सप्रेसवे सीधे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को लिंक करेगा. इसका मतलब हुआ कि अगर कोई लखनऊ से बुंदेलखंड जाना चाहता है तो उसे सीधे आगरा एक्सप्रेसवे से बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे का लिंक रोड मिल जाएगा.
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे को अभी 4 लेन का बनाया गया है, जो बाद में 6 लेन तक विस्तार किया जाएगा. यह एक्सप्रेसवे यूपी के 7 जिलों से होकर गुजरता है. इसमें इटावा, औरेया, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा और चित्रकूट आते हैं.
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सरकार की योजना इस एक्सप्रेसवे से जुड़ने वाले जिलों में हजारों नौकरियां और रोजगार के अवसर पैदा करना है. इसके लिए बाकायदा बांदा और जालौन जिले में इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित किया जा रहा है. साथ ही इकनॉमिक डेवलपमेंट को लेकर भी सरकार योजना बना रही है.
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प्रधानमंत्री मोदी ने 29 फरवरी, 2020 को इस एक्सप्रेसवे के निर्माण की आधारशिला रखी थी. कोरोना महामारी के दौरान इसका निर्माण कार्य बाधित हुआ लेकिन बाद में इसे महज 28 महीने में बनाकर तैयार कर दिया गया.
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इस एक्सप्रेसवे के निर्माण में खास तरह की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जो वाहन चालक को टायर फिसलने से पहले ही आगाह कर देगा. इसके निर्माण की कुल लागत का करीब 680 करोड़ रुपया सिर्फ जमीन अधिग्रहण में ही खर्च हो गया था.
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे के जरिये दिल्ली से चित्रकूट पहुंचने में सिर्फ 6 घंटे का समय लगेगा, जबकि इससे पहले तक यह सफर 10 घंटे में पूरा होता था. इसके रास्ते में केन, बेतवा और यमुना सहित 8 नदियां पड़ेंगी, जिससे यह एक्सप्रेसवे पार करेगा. खास बात ये है कि इस एक्सप्रेसवे को पहले के बजट से भी 12 फीसदी कम पैसे में तैयार कर लिया गया है.
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बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे की सबसे खास बात ये है कि इसके दोनों किनारों पर सोलर पैनल लगाए जाएंगे. इसके जरिये 550 मेगावाट की बिजली पैदा करने का लक्ष्य है, जिससे एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित गांवों के 1 लाख घरों को रोशन किया जाएगा. सबसे ज्यादा फायदा जालौन जिले को होगा, जिसके 68 गांवों को सोलर बिजली का लाभ मिलेगा.