नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में आए दिन कानूनी और संवैधानिक तौर पर महत्वपूर्ण मसलों पर सुनवाई होती है. कई मामलों में फैसले भी आते हैं. सुप्रीम कोर्ट में कुछ निर्णय का काफी दूरगामी असर होता है. ऐसे फैसले आम लोगों से जुड़े होते हैं. कुछ दिनों पहले सुप्रीम कोर्ट में एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसपर शीर्ष अदालत ने फैसला दिया था. यह मामला इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा हुआ था. सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों को चंदा देने के लिए लाई गई इस नई व्यवस्था को असंवैधानिक घोषित कर दिया था. इस मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे.
SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़े आंकड़ों के लिए शीर्ष अदालत की ओर से तय डेडलाइन को बढ़ाने की मांग की थी. वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठ से कहा था कि किसने किस पार्टी के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिये कितना चंदा दिया, इससे जुड़े आंकड़ों का मिलान करने के लिए बैंक को कुछ और वक्त की जरूरत है. हरीश साल्वे ने सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा, ‘जिन्होंने बॉन्ड खरीदा और चंदा देने वालों के नामों का संबंधित राजनीतिक दलों से मिलान करने का काम काफी जटिल है और इस प्रक्रिया में काफी वक्त लगेगा.’ SBI ने सुप्रीम कोर्ट से इलेक्टोरल बॉन्ड का ब्योरा देने के लिए 30 जून तक का समय मांगा था.
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली 5 जजों की पीठ ने SBI की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे की दलीलों को सिरे से खारिज कर दिया. कोर्ट ने 11 मार्च 2024 को SBI को 24 घंटे के अंदर इलेक्टोरल बॉन्ड का डिटेल मुहैया कराने का आदेश दे दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि SBI तय समयसीमा में इससे जुड़े आंकड़े चुनाव आयोग को मुहैया कराए. शीर्ष अदालत के आदेश के बाद SBI ने चुनाव आयोग को सभी डाटा सौंप दिया था. इसके बाद चुनाव आयोग ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी जानकारियां सार्वजनिक की थी.
SBI ने क्यों मांगा था समय?
अब सवाल यह उठता है कि SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड का ब्योरा देने के लिए सुप्रीम कोर्ट से समय क्यों मांगा था? सुनवाई के दौरान SBI ने सुप्रीम कोर्ट की पीठ को बताया कि इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी सूचनाएं एवं दस्तावेज बैंक की विभिन्न शाखाओं में हैं. सभी शाखाओं से डिटेल मिलने के बाद उसे डिकोड करना होगा. इस पूरी प्रक्रिया में काफी समय लगेगा. SBI ने 9 मार्च 2024 को सुप्रीम कोर्ट में 9 पेज में अर्जी दाखिल कर ब्योरा देने के लिए 30 जून तक का वक्त मांगा था. हालांकि, कोर्ट ने बैंक के आग्रह को ठुकरा दिया.
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Tags: DY Chandrachud, Harish salve, Supreme Court
FIRST PUBLISHED :
April 26, 2024, 14:40 IST