किस आधार पर खारिज हो जाता है प्रत्याशी का नामांकन, जानें प्रस्तावक की भूमिका

2 weeks ago

हाइलाइट्स

गुजरात में 7 मई को मतदान होना है, लेकिन सूरत सीट पर एक चौंकाने वाली घटना हुई.
सूरत में कांग्रेस के उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया.
नीलेश कुंभानी के प्रस्तावकों ने दावा किया था कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया.

On what basis the nomination of a candidate rejected: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 102 सीटों के लिए मतदान 19 अप्रैल को हो चुका है. दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को होना है. गुजरात की सभी 26 सीटों के लिए सात मई को मतदान प्रस्तावित है, लेकिन सूरत सीट पर एक चौंकाने वाली घटना हुई है. सूरत में कांग्रेस के उम्मीदवार नीलेश कुंभानी का नामांकन पत्र खारिज कर दिया गया. नीलेश कुंभानी का नामांकन इस आधार पर रद्द किया कि उनके प्रस्तावकों ने दावा किया था कि उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था. कुंभानी का नामांकन रद्द होने के बाद पार्टी के वैकल्पिक उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल करने वाले सुरेश पडसाला का नामांकन पत्र भी रद्द कर दिया गया था. मालूम हो कि अन्य उम्मीदवारों के नामांकन पत्र वापस लिए जाने के बाद सोमवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के उम्मीदवार मुकेश दलाल को इस सीट से निर्विरोध निर्वाचित घोषित कर दिया गया. आइए जानते हैं कि क्या होती है नामांकन की प्रक्रिया. क्या आप जानते हैं कि  नामांकन में गलती करने पर उम्मीदवार का पर्चा खारिज भी हो सकता है. 

प्रत्याशी को देनी होती हैं सभी जानकारियां
नामांकन पत्र भरते समय हर उम्मीदवार को एक एफिडेविट भी देना होता है. इसमें अपनी आय-व्यय की जानकारी सार्वजनिक करनी होती है. शैक्षिक योग्यता की जानकारी देनी होती है. पासपोर्ट साइज की फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी साथ में लगानी होती है. इसके अलावा उम्मीदवार को नामांकन पत्र में ही अपनी चल-अचल संपत्ति, जैसे गहने और जमीन, कर्ज की जानकारी देनी होती है. शादीशुदा हैं तो पत्नी और अगर बच्चे हैं तो उनकी भी आय-व्यय, जेवर-जमीन और कर्ज आदि की हर एक जानकारी देनी पड़ती है. उम्मीदवार और उसकी पत्नी-बच्चों के पास हथियारों, आपराधिक मामलों के बारे में बताना होता है. कोर्ट में कोई केस चल रहा है और या किसी केस में सजा हुई है, तो इसकी जानकारी शपथ पत्र के जरिए ही देनी पड़ती है.

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नामांकन पत्रों की होती है जांच
एक बार नामांकन पत्र दाखिल कर दिया जाता है तो चुनाव आयोग उम्मीदवार के सभी दस्तावेजों की जांच करता है. इसमें दी गई हर जानकारी की बारीकी से पड़ताल होती है. नामांकन के बाद चुनाव आयोग की तरफ से तय तारीख तक प्रत्याशी चुनाव से अपना नाम वापस भी ले सकता है. चुनाव आयोग का कहना है कि नामांकन पत्र को ठीक ढंग से भरा जाना चाहिए. इसमें कुछ भी गलती निकलती है तो ऐसे नामांकन पत्र अवैध माने जाते हैं और उम्मीदवारी निरस्त कर दी जाती है. साथ ही नामांकन पत्र के साथ लगाए गए दूसरे दस्तावेज भी सही होने चाहिए. उनमें दी गई जानकारी अगर संदिग्ध या गलत लगती है तो भी चुनाव आयोग उम्मीदवारी निरस्त कर देता है.

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क्या है प्रस्तावक की भूमिका
चुनाव नामांकन नियमों के अनुसार, यदि कोई उम्मीदवार किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है, तो निर्वाचन क्षेत्र के एक मतदाता को उनकी उम्मीदवारी का प्रस्ताव देना आवश्यक है. यदि उम्मीदवार एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में या किसी पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल द्वारा नामित उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहा है, तो निर्वाचन क्षेत्र के दस मतदाताओं को प्रस्तावक के रूप में नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करना होगा.

प्रस्तावकों के हस्ताक्षर होंगे सत्यापित
नियमों के मुताबिक, रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) को प्रस्तावकों के हस्ताक्षर सत्यापित करने होंगे. यदि, एक संक्षिप्त पूछताछ के बाद, आरओ यह निर्धारित करता है कि हस्ताक्षर वास्तविक नहीं है, जैसा कि प्रस्तावक ने दावा किया है, तो अपर्याप्त प्रस्तावकों के कारण नामांकन पत्र खारिज कर दिया जाएगा. इसके अतिरिक्त, जिस व्यक्ति ने जाली हस्ताक्षर या अंगूठे के निशान के साथ नामांकन पत्र जमा किया है, उस पर कानून के तहत मुकदमा चलाया जाएगा. हालांकि, नियमों के अनुसार, संबंधित उम्मीदवार को अपना मामला प्रस्तुत करने के लिए पर्याप्त अवसर दिया जाना चाहिए.

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FIRST PUBLISHED :

April 23, 2024, 15:08 IST

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