कोडरमा लोकसभा सीट से केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी लगातार दूसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रही हैं. उनके मुकाबले इंडिया गठबंधन ने बगोदर के माले विधायक विनोद सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है. पर बागी जेएमएम नेता और पूर्व विधायक जयप्रकाश वर्मा के नोमिनेशन ने चुनावी मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है.
भाजपा का गढ़ रहा है कोडरमा
1977 में अस्तित्व में आई कोडरमा लोकसभा सीट पर अब तक 16 बार लोकसभा चुनाव हुए हैं. सिर्फ तीन बार कांग्रेस को जीत मिली. जबकि सबसे ज्यादा आठ बार भाजपा ने बाजी मारी. भाजपा के टिकट पर रीतलाल वर्मा पांच बार सांसद रहे. वो 1999 का चुनाव हार गए. 2004 में भाजपा के टिकट पर बाबूलाल मरांडी मैदान में उतरे. उस समय सत्ता विरोधी लहर के बावजूद पूरे झारखंड में भाजपा एकमात्र यही सीट बचा सकी थी. 2009 में बाबूलाल मरांडी भाजपा से अलग होकर जेवीएम के टिकट पर चुनाव लड़े और कोडरमा से दूसरी बार जीते. 2014 के मोदी लहर में भाजपा उम्मीदवार रवींद्र राय कोडरमा से सांसद चुने गए.
अन्नपूर्णा देवी की एंट्री
बिहार के पूर्व मंत्री रमेश यादव की मौत के बाद उनकी विधवा अन्नपूर्णा देवी ने 1998 में राजनीति में एंट्री ली. उस समय कोडरमा में हुए उपचुनाव में जीत कर वो पहली बार राजद की विधायक बनीं. संयुक्त बिहार में खान मंत्री बनाई गईं. 2000, 2005 और 2010 में लगातार तीन विधानसभा चुनाव जीतने पर उनका कद और बढ़ गया. उस समय उनकी गिनती राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के करीबियों में होती थी. 2013 में वह हेमंत सोरेन सरकार में जल संसाधन मंत्री बनाई गईं. पर एक साल बाद 2014 का विधानसभा चुनाव वो हार गईं. इसके बावजूद लालू प्रसाद ने उन्हें झारखंड प्रदेश राजद का अध्यक्ष बना दिया. पर मार्च 2019 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले अचानक उन्होंने राजद से नाता तोड़ा और भाजपा में शामिल हो गईं. तब वरिष्ठ भाजपा नेता भूपेंद्र यादव और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उन्हें भाजपा की सदस्यता दिलाई थी.
भाजपा का ये दांव चल गया. कोडरमा से राजद के टिकट पर 2014 का विधानसभा चुनाव हारने वाली अन्नपूर्णा देवी पांच साल बाद भाजपा के टिकट पर 2019 का लोकसभा चुनाव जीत गईं. 62.3 फीसदी प्रचंड वोट के साथ उन्होंने तब के जेवीएम उम्मीदवार बाबूलाल मरांडी को 4.55 लाख वोट के अंतर से हरा दिया. उस समय मरांडी को सिर्फ 24.6 फीसदी वोट मिले थे.
केंद्र में पहली बार मंत्री बनीं
कोडरमा में बाबूलाल मरांडी जैसे दिग्गज नेता को हराने के इनाम के रूप में अन्नपूर्णा देवी को भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. हरियाणा के सह प्रभारी का भी जिम्मा मिला. 2019 का चुनाव जीतने के दो साल बाद जुलाई 2021 में मोदी मंत्रिमंडल का विस्तार हुआ. उस समय भाजपा और जदयू के बीच आपसी खींचतान चल रही थी. अन्नपूर्णा देवी को इसका फायदा मिला और यादव कोटे से वो पहली बार केंद्रीय शिक्षा राज्य मंत्री बनायी गयीं. इसके साथ ही उनका कद और बढ़ गया.
संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार विनोद सिंह
बगोदर से तीन बार माले विधायक रहे विनोद सिंह कोडरमा से संयुक्त विपक्ष के उम्मीदवार हैं. सीट बंटवारे के तहत माले को यही एकमात्र सीट मिली है. उनके पक्ष में माले के साथ-साथ जेएमएम, कांग्रेस और राजद के कार्यकर्ता भी चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं. 2014 में कोडरमा में हुए लोकसभा चुनाव में माले उम्मीदवार राजकुमार यादव दूसरे स्थान पर रहे थे. तब उन्हें 98,654 वोट से शिकस्त मिली. जबकि 2019 में माले तीसरे स्थान पर पहुंच गई थी. इस बार विनोद सिंह के कंधे पर लाल झंडे की इज्जत बचाने की बड़ी जिम्मेदारी है.
जेपी वर्मा का दांव
कोडरमा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ रहे बागी जेएमएम नेता जेपी वर्मा ने मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है. जेपी वर्मा कोडरमा से पांच बार सांसद रहे दिवंगत रीतलाल प्रसाद वर्मा के भतीजे हैं. कुशवाहा बहुल कोडरमा सीट पर कुशवाहा समाज से आने वाले जेपी वर्मा के परिवार का बड़ा प्रभाव रहा है. उनके मैदान में आने से मुकाबला रोमांचक हो गया है.
कोडरमा का सियासी गणित
कोडरमा लोकसभा में छह विधानसभा सीटें हैं. इसमें से तीन कोडरमा, धनवार और जमुआ भाजपा के खाते में है. बगोदर में माले और बरकट्ठा सीट पर निर्दलीय का कब्जा है. जबकि गांडेय में उपचुनाव होने जा रहा है. यादव, मुस्लिम और पिछड़ा बहुल कोडरमा में भाजपा ओबीसी, वैश्य और अगड़ी जातियों के समर्थन से कांग्रेस-राजद और लेफ्ट के एमवाई समीकरण पर हमेशा भारी रही है. 2019 में भाजपा के टिकट पर पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ीं अन्नपूर्णा देवी को उस समय यादव वोटर के ध्रुवीकरण का फायदा मिला था. तब भाजपा को रिकॉर्ड मतों से जीत मिली थी. पिछले चुनाव में अन्नपूर्णा देवी के हाथों मात खाने वाले बाबूलाल मरांडी इस चुनाव में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं. ऐसे में कोडरमा के मैदान में भाजपा को टक्कर देना आसान नहीं है.
कोडरमा में 20 मई को वोटिंग
बिहार और झारखंड के बॉर्डर पर कोडरमा होते हुए ही झारखंड में प्रवेश मिलता है. इसलिए कोडरमा को गेटवे ऑफ झारखंड भी कहा जाता है. कुछ महीने पहले राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा कोडरमा के रास्ते ही झारखंड में दाखिल हुई थी. तब कांग्रेस समर्थकों का सैलाब उमड़ पड़ा था. ऐसे में विपक्षी गठबंधन को कड़ी टक्कर की उम्मीद है. यहां बनाए गए 2552 बूथ पर पांचवें चरण में 20 मई को वोटिंग होनी है. 21 लाख 84 हजार से ज्यादा वोटर 15 उम्मीदवारों में से कोडरमा का सांसद चुनेंगे. ऐसे में सभी उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है.
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FIRST PUBLISHED :
May 10, 2024, 15:00 IST