Well Done DRDO: डीआरडीओ ने बनाई हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट, 6 गोलियां भी नहीं भेद सकीं, जानें क्यों है खास
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Well Done DRDO: डीआरडीओ ने बनाई हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट, 6 गोलियां भी नहीं भेद सकीं, जानें क्यों है खास
नई दिल्ली. भारत रक्षा क्षेत्र में लगातार नया मुकाम हासिल कर रहा है. ‘आत्मनिर्भर भारत’ के स्वप्न को पूरा करने की कोशिशों में लगातार सफलताएं मिल रही हैं. इसी क्रम में अब रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने सफलता की नई इबारत लिखी है. DRDO ने देश की सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट बनाई है. रक्षा मंत्रालय ने DRDO की इस सफलता के बारे में जानकारी दी है.
देश की सबसे हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट पॉलिमर बैकिंग और मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट से बनी है. इस जैकेट को 6 स्नाइपर गोलियां भी भेद नहीं सकीं. रक्षा मंत्रालय ने बताया कि जैकेट का इन-कंजक्शन (ICW) और स्टैंडअलोन डिजाइन सैनिकों को 7.62×54 RAPI (BIS 17051 के लेवल 6) गोला-बारूद से सुरक्षा प्रदान करेगा. जैकेट को कानपुर में मौजूद DRDO के रक्षा सामग्री और भंडार अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (DMSRDE) ने तैयार किया है. जैकेट की TBRL चंडीगढ़ में BIS 17051-2018 के तहत टेस्टिंग की गई.
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बड़ी सफलता
DRDO द्वारा बनाई गई हल्की बुलेट प्रूफ जैकेट को बड़ी सफलता बताया जा रहा है. दरअसल, मैजूदा समय में जवान जिस बुलेट प्रूफ जैकेट का इस्तेमाल करते हैं, उसका वजन ज्यादा है. इससे जवानों को क्रिटिकल ऑपरेशन के दौरान भी अतिरिक्त बोझ उठाना पड़ता है. अब उन्हें इससे राहत मिल सकती है. रक्षा विभाग के अनुसंधान एवं विकास सचिव और डीआरडीओ अध्यक्ष ने हल्के बुलेटप्रूफ जैकेट को तैयार करने पर DMSRDE को बधाई दी है.
क्यों है खास?
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि एर्गोनॉमिक तरीके से डिजाइन किया गया फ्रंट हार्ड आर्मर पैनल (HAP) पॉलिमर बैकिंग और मोनोलिथिक सिरेमिक प्लेट से बना है. ऑपरेशन के दौरान पहनने सैनिकों के लिए पहले से ज्यादा आरामदायक और सुरक्षित रहेगा. मंत्रालय ने जानकारी दी है कि ICW हार्ड आर्मर पैनल (HAP) की एरियल डेंसिटी 40 kg/M2 और स्टैंडअलोन HAP की एरियल डेंसिटी 43kg/M2 से कम है.
‘…हम नहीं हिचकिचाएंगे’
भारतीय सेना के प्रमुख जनरल मनोज पांडे नई दिल्ली में ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के नौवें नेशनल लीडरशिप कॉन्क्लेव में पहुंचे थे. उन्होंने डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता की अहमियत की चर्चा की. जनरल पांडे ने कहा कि हाल-फिलहाल के घटित जियो-पॉलिटिकल (भू-राजनीतिक) घटनाक्रमों ने दर्शाया है कि जहां राष्ट्रीय हितों का सवाल है, देश युद्ध में जाने से नहीं हिचकिचाएंगे. सैन्य ताकत युद्ध को रोकने और उनका निवारण करने के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर हमले का मजबूती से जवाब देने और युद्ध जीतने के लिए जरूरी है.
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Tags: DRDO, Indian army
FIRST PUBLISHED :
April 24, 2024, 09:30 IST