नागालैंड के 6 जिलों में क्यों नहीं पड़ा एक भी वोट? क्या है इसकी असल वजह

2 weeks ago

No Voters Turn Out in Six Districts Of Nagaland: शुक्रवार को लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 21 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की 102 सीटों के लिए मतदान हुआ. इन सीटों पर कुल मिलाकर 60 फीसदी मतदान हुआ. हालांकि नागालैंड के छह पूर्वी जिलों में मतदानकर्मी बूथों पर नौ घंटे इंतजार करते रहे, लेकिन इस क्षेत्र के चार लाख मतदाताओं में से एक भी मतदान करने नहीं आया. यहां तक कि पूर्वी नागालैंड के 20 विधानसभा क्षेत्रों के विधायक भी वोट देने नहीं पहुंचे. पूर्वी नागालैंड के छह जिलों में 738 से अधिक मतदान केंद्र बनाए गए थे. शुक्रवार को नागालैंड की एकमात्र लोकसभा सीट के लिए भी मतदान हुआ. इसके लिए 57 फीसदी वोटिंग हुई. 2019 के लोकसभा चुनाव में ये 83 फीसदी थी. यानी वोटिंग में करीब 26 प्रतिशत की बड़ी गिरावट देखी गई. 

क्यों नहीं पड़ें वोट?
सवाल यह है कि आखिर इन छह जिलों में मतदान क्यों नहीं हुआ? ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स आर्गनाइजेशन (ENPO) ने फ्रंटियर नागालैंड टेरिटरी (FNT) की मांग पर दबाव बनाने के लिए लोकसभा चुनाव शुरू होने से कुछ घंटे पहले राज्य के पूर्वी हिस्से में शाम 6 बजे से अनिश्चितकालीन पूर्ण बंद लगा दिया. संगठन ने यह भी आगाह किया कि यदि कोई व्यक्ति मतदान करने जाता है और कोई कानून-व्यवस्था की स्थिति उत्पन्न होती है, तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित मतदाता की होगी. इसी वजह से चार लाख मतदाताओं में से एक भी मतदान के लिए घर से बाहर नहीं निकला. चुनाव अधिकारियों ने कहा कि ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स आर्गनाइजेशन ने विभिन्न नागा समूहों के लोगों से मतदान से दूर रहने का आह्वान किया था. जिसका व्यापक असर देखने को मिला और किसी ने भी वोट नहीं डाला. 

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सन्नाटा रहा पूर्वी नागालैंड में
चुनाव अधिकारियों ने बताया कि जिला प्रशासन और अन्य आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर पूर्वी नागालैंड की प्रमुख सड़कों पर लोगों या वाहनों की कोई आवाजाही नहीं थी. नागालैंड के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी आवा लोरिंग ने कहा कि मतदानकर्मी सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक बूथों पर मौजूद रहे. सीईओ कार्यालय के सूत्रों ने कहा कि उन नौ घंटों में कोई भी वोट डालने नहीं आया. नागालैंड के पूर्वी भाग में बसे 6 जिलों- मोन, तुएनसांग, लॉन्गलेंग, किफिरे, नोकलाक और शामतोर- में लगभग 4 लाख वोटर हैं. राज्य की 60 में से 20 विधानसभा सीटें, इन 6 जिलों में आती हैं. वैसे पूरे नागालैंड में कुल 13.25 लाख मतदाता हैं.  

जानें सीएम नेफ्यू रियो ने क्या कहा?
नागालैंड के मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने पुष्टि की कि राज्य सरकार को ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ईएनपीओ) की एफएनटी की मांग से कोई समस्या नहीं है क्योंकि वह पहले ही इस क्षेत्र के लिए स्वायत्त शक्तियों की सिफारिश कर चुकी है. ईएनपीओ पूर्वी क्षेत्र के सात आदिवासी संगठनों का शीर्ष निकाय है. मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि उन्होंने एफएनटी के लिए ड्राफ्ट वर्किंग पेपर स्वीकार कर लिया है जो उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री अमित  शाह की उपस्थिति में सौंपा गया था. उन्होंने कहा, “क्षेत्र के निर्वाचित विधायकों और प्रस्तावित एफएनटी के सदस्यों को सत्ता में हिस्सेदारी के अलावा सब कुछ ठीक लग रहा है.”

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ईएनपीओ मांग रहा अलग राज्य
ईस्टर्न नागालैंड पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन (ENPO) पूर्वी नागालैंड में आदिवासियों का सबसे बड़ा संगठन है. ईएनपीओ पूर्वी नागालैंड को नागालैंड से एक अलग राज्य- फ्रंटियर नागालैंड क्षेत्र- की मांग कर रहा है. ईएनपीओ 2010 से ही एक अलग राज्य की मांग कर रहा है. ईएनपीओ का यह आरोप है कि लगातार सरकारों ने इस क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास नहीं किया है. हालांकि, मुख्यमंत्री नेफ्यू रियो ने कहा कि राज्य सरकार पहले ही एक स्वायत्त निकाय की सिफारिश कर चुकी है ताकि इस क्षेत्र को राज्य के बाकी हिस्सों के बराबर पर्याप्त आर्थिक पैकेज मिल सके. जब एक स्वायत्त निकाय बनाया जाता है, तो निर्वाचित सदस्यों के साथ एक उचित प्रणाली होनी चाहिए. राज्य सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है. विधायकों और ईएनपीओ को एक सूत्र पर काम करने के लिए मेज पर बैठना चाहिए. हम उसके बाद ही बात कर सकते हैं.

नागालैंड के सीईओ ने दिया नोटिस
नागालैंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) वायसन आर ने बंद को चुनाव के दौरान अनुचित प्रभाव डालने के प्रयास के रूप में देखते हुए ईएनपीओ को कारण बताओ नोटिस जारी किया. उन्होंने भारतीय दंड संहिता की धारा 171सी की उपधारा (1) के तहत कहा, “जो कोई भी स्वेच्छा से किसी चुनावी अधिकार के स्वतंत्र प्रयोग में हस्तक्षेप करता है या हस्तक्षेप करने का प्रयास करता है, वह चुनाव में अनुचित प्रभाव डालने का अपराध करता है.”  हालांकि, ईएनपीओ के अध्यक्ष त्सापिकीउ संगतम ने दावा किया कि यह धारा इस संदर्भ में लागू नहीं है. 

ईएनपीओ के अध्यक्ष ने दिया जवाब
उन्होंने कहा, “सार्वजनिक नोटिस (बंद के लिए) का मुख्य लक्ष्य पूर्वी नागालैंड क्षेत्र में गड़बड़ी की आशंका को कम करना था, जो हमारे अधिकार क्षेत्र में है, और असामाजिक तत्वों के जमावड़े से जुड़े जोखिम को कम करना था.” यह कहते हुए कि पूर्वी नागालैंड वर्तमान में “सार्वजनिक आपातकाल” के तहत है, उन्होंने दावा किया कि बंद क्षेत्र के लोगों द्वारा की गई एक स्वैच्छिक पहल थी. संगतम ने कहा कि ईएनपीओ ने 1 अप्रैल को चुनाव आयोग को पूर्वी नागालैंड के लोगों के लोकसभा चुनाव में भाग लेने से दूर रहने के इरादे के बारे में सूचित किया था. उन्होंने कहा, “ईएनपीओ के पास अपने प्रस्तावों या आदेशों को लागू करने के लिए कोई तंत्र नहीं है, लेकिन यह पूरी तरह से पूर्वी नागालैंड के लोगों के बीच स्वैच्छिक भागीदारी और आम सहमति के आधार पर संचालित होता है.”

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Tags: 2024 Lok Sabha Elections, Election commission, Nagaland, Nagaland Assembly Election

FIRST PUBLISHED :

April 22, 2024, 10:19 IST

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