पाकिस्तान की वो बिल्डिंग्स, जिन पर अब भी साफ - साफ लिखा है इंडिया का नाम

1 week ago

पाकिस्तान में अब भी कई ऐसी इमारतें हैं, जिन पर इंडिया का नाम साफ-साफ लिखा है. इनमें से कुछ बिल्डिंग्स पर पाकिस्तान ने इंडिया का नाम छिपाने की भी कोशिश की कि लेकिन वो अब भी नजर आते हैं. पाकिस्तान में कुछ इमारतें ऐसी भी हैं, जिनका मालिक भारत है. जानते हैं कि ये खास इमारतें कौन सी हैं

News18 हिंदीLast Updated :May 10, 2024, 10:25 ISTEditor pictureAuthor
  Sanjay Srivastava

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ये पाकिस्तान के कराची शहर में स्टेट बैंक म्युजियम एंड आर्ट गैलरी है. यूं तो इस बिल्डिंग पर ऊपर लिखा हुआ है स्टेट बैंक म्युजियम लेकिन इसके पीछे लिखी लिखावट पर गौर करें तो वहां वहां इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया लिखा हुआ है. ये ऐसी बिल्डिंग है, जिसमें लाहौर में रहने वाले बड़े हिंदू और सिख व्यापारियों का पैसा ज्यादा लगा हुआ था. इसी बैंक का नाम भारत की आजादी के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया हो गया, हालांकि इसमें कई बैंकों का भी विलय हुआ. इस बैंक को यद्यपि 1921 में एक अंग्रेज ने खोला था.

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कराची में लड़कियों के प्रमुख सरकारी कालेज गर्वर्नमेंट कालेज फार वूमन शरारे लियाकत में कई जगहों पर अब भी इंडियन गर्ल्स हाईस्कूल लिखा हुआ मिल जाता है. इस स्कूल की दीवारों पर लगे शिलालेख पत्थरों में इसका नाम इंडियन गर्ल्स  हाई स्कूल लिखा है. ये कॉलेज 1920 में एक पारसी सज्जन तैयब की कोशिशों से खुला था.

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ये कराची के इसी स्कूल का शिलालेख संगमरमर का पत्थऱ है, जिसमें इसका नाम इंडियन गर्ल्स स्कूल तो लिखा ही है, साथ ही इसके संस्थापक का नाम भी दर्ज है.

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कराची की इस शानदार इमारत में अब स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक है लेकिन आजादी से पहले ये चार्टर्ड बैंक ऑफ इंडिया की संपत्ति था. आजादी के बाद भारत सरकार ने इस बैंक का विलय इलाहाबाद बैंक में कर दिया.

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ये बिल्डिंग आजादी से पहले बैंक ऑफ इंडिया की थी. जिसे 1906 में मुंबई में जानेमाने भारतीय व्यापारियों ने मिलकर खोला था. आजादी के बाद इसमें पाकिस्तान का यूनाइटेड बैंक लिमिटेड खोल दिया गया.

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ये कराची का प्रसिद्ध मोहाटा पैलेस है, जिसे एक जमाने में हिंदू राजा शिवरतन चंद्ररतन ने 1927 में गर्मियों के अपने घर के तौर पर बनाया था. आज भी जब कोई कराची जाता है तो राजस्थानी शैली की इस खास इमारत को देखना नहीं भूलता.

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कराची में ही विक्टोरिया म्युजियम के पास एक जीर्ण शीर्ण कई मंजिल की बिल्डिंग है. ये बिल्डिंग कभी भव्य इमारत रही होगी. यहां ढेर सारे लोग काम करते रहे होंगे. अब ये लगातार जर्जर हो रही है. यहां अंधेरा रहता है. इसके गेट पर एक पत्थर की शिलालेख पर इस भवन का नाम अब भी इंडियन लाइफ इंश्योरेंस लिखा है. अब इसमें अवैध रूप से मजदूर रहते हैं.

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लाहौर की इस बिल्डिंग में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया हुआ करता था. इस पर आज भी स्टेट बैंक ऑफ इंडिया दीवारों पर उकेरा हुआ है. अब इस बिल्डिंग में तमाम दुकानें खुल गई हैं.

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दयानंद सरस्वती ने 1886 में लाहौर में पहला डीएवी स्कूल खोला था. ये वही स्कूल है. आजादी के बाद इसका नाम बदलकर इस्लामिया कॉलेज हो गया.

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कराची में ये प्रापर्टी भारत सरकार की है. पहले इस परिसर में भारतीय वाणिज्य दूतावास के कर्मचारी और अधिकारी रहते थे लेकिन 80 के दशक में ये बंद हो गया, उसके बाद से भारतीय वाणिज्य दूतावास से संबंधित तीन प्रापर्टीज कराची में बंद पड़ी हुई हैं. ये भारत सरकार की पाकिस्तान में स्थित बड़ी प्रापर्टियों में है, जिसकी कीमत करोड़ों में है. हालांकि बंद बंद ये बरबाद हो रही है. 

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