Drunk without alcohol consumption: नशा शराब में होती तो नाचती बोतल. तुम्हारी आंखों में जो नशा है वो शराब में कहां. ऐसे कई शायरी हैं जिन्हें लोग बड़ी संजीदगी से सुनना पसंद करते हैं. लेकिन क्या सच में ऐसा हो सकता है कि शराब से ज्यादा किसी और चीज में नशा हो या यह महज सिर्फ शेरो-शायरी में होता है. अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं क्योंकि बिना शराब पिए भी कुछ लोगों में शराब से ज्यादा नशा हो सकता है. हाल ही में बेल्जियम के एक व्यक्ति को जब पुलिस ने नशे में धुत पाया तो उसे गिरफ्तार कर लिया लेकिन जब उसकी मेडिकल जांच हुई तो जज भी दंग रह गया. दरअसल, बिना शराब पिए भी नशा से बदतर हाल हो सकता है. यह एक बीमारी है जिसका नाम है ऑटो ब्रेवेरी सिंड्रोम .
क्या होता है ऑटो ब्रेवेरी सिंड्रोम
ऑटो ब्रेवेरी सिंड्रोम एक विकार है जिसमें आप जो मीठी चीजें खाते हैं उसे शरीर अल्कोहल यानी शराब में बदल देता है. यह बहुत ही दुर्लभ बीमारी है. लेकिन जिसे होता है उसे भारी परेसानियों का सामना करना पड़ता है. इससे मेटाबॉलिज्म से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा रहता है. इस बीमारी के कारण शरीर शुगर और स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों को अल्कोहल में बदलने लगता है. इससे ऐसे लक्षण पैदा हो सकते हैं जैसे कि आप नशे में हों, भले ही आपने शराब न पी हो. इसे गट फर्मेंटेशन सिंड्रोम भी कहते हैं.
ऑटो ब्रेवेरी सिंड्रोम के कारण
ऑटो ब्रेवेरी सिंड्रोम के लिए यीस्ट जिम्मेदार हो सकते हैं. यह बीमारी आंतों के अंदर होती है. विशेषज्ञों का मानना है कि आंत में बहुत अधिक यीस्ट होने के कारण इस विकार का खतरा हो सकता है. सामान्य तौर पर इसके लिए 6 तरह के यीस्ट जिम्मेदार होते हैं.
बीमारी के लक्षण क्या हैं
इस बीमारी में सबसे पहला लक्षण तो यही है कि मरीज को नशा का अनुभव होता है. अक्सर इन रोगियों में ऐसा लगता है कि उन्होंने शराब पी हुई है. नशे की तरह लक्षण दिखने के साथ-साथ चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी-डिहाइड्रेशन, थकान, याददाश्त-एकाग्रता की कमी और मनोदशा में बदलाव महसूस हो सकती है. इस बीमारी में डकार और पेट में बैलून जैसा लगता है. इसके साथ ही मुंह सूखने लगता है. मूड हमेशा चेंज होते रहता है.
क्या है इसका इलाज
ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम का पता लगाने के लिए कोई विशिष्ट टेस्ट नहीं है. इसके निदान के लिए डॉक्टर आंतों में यीस्ट की जांच की भी सलाह दे सकते हैं. जिन लोगों में इस सिंड्रोम का निदान किया जाता है उन्हें कोर्बोहाइड्रेट वाले ड्रिंक्स से परहेज करने की सलाह दी जाती है. कुछ प्रकार के एंटीफंगल दवाओं की मदद से भी बीमारी के लक्षणों को सुधारने में मदद मिल सकती है. ऐसे मरीज रत्ती भर भी शराब पिए तो मामला बिगड़ सकता है. वहीं मीठी चीजें भी नहीं खाने की सलाह दी जाती है. हालांकि इस बीमारी का इलाज है. इसे क्रोह्न बीमारी की तरह इलाज किया जाता है. इसमें फंगस को बैलेंस किया जाता है.
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FIRST PUBLISHED :
May 2, 2024, 16:46 IST