भारत की वो रहस्यमयी जगह जहां पक्षी झुंड में जाकर करते हैं सुसाइड

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भारत की वो रहस्यमयी जगह जहां पक्षी झुंड में जाकर करते हैं सुसाइड

पक्षियों की कथित आत्महत्या का ये सिलसिला साल 1910 से ही चला आ रहा है- सांकेतिक फोटो (pixabay)

पक्षियों की कथित आत्महत्या का ये सिलसिला साल 1910 से ही चला आ रहा है- सांकेतिक फोटो (pixabay)

Birds Commit ‘Mass Suicide’: असम की जतिंगा घाटी को पक्षियों का सुसाइड पॉइंट कहा जाता है. यहां अगस्त से सितंबर के बीच रा ...अधिक पढ़ें

News18 हिंदीLast Updated : March 20, 2024, 16:12 ISTEditor picture

Birds Commit ‘Mass Suicide’: असम को अपने पर्यटन स्थलों और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है. यह राज्य पराक्रमी अहोम राजवंश की समृद्ध विरासत का दावा करता है, जिसने मुगलों को 17 बार सफलतापूर्वक हराया था. एक सींग वाले गैंडे और प्रतिष्ठित कामरूप कामाख्या मंदिर से लेकर, असम एक ऐसी जगह है जो आपको कई मायनों में आश्चर्यचकित कर देगी. असम के आसपास की कई उन कहानियों में से, जतिंगा उन स्थानों में से एक है जहां हर साल मानसून के अंत में रहस्यमयी घटनाएं सामने आती हैं. 

दिमा हासो जिले में है घाटी
असम के दिमा हासो जिले (Dima Haso) की पहाड़ी में स्थित जतिंगा घाटी (Jatinga Valley) को पक्षियों का सुसाइड पॉइंट कहा जाता है. हर साल सितंबर की शुरुआत के साथ ही आमतौर पर छिपा रहने वाला जतिंगा गांव पक्षियों की आत्महत्या के कारण चर्चा में आ जाता है. यहां न केवल स्थानीय पक्षी, बल्कि प्रवासी पक्षी पर अगर इस दौरान पहुंच जाएं तो वे खुदकुशी कर लेते हैं. जतिंगा गांव को इसी कारण से काफी रहस्यमयी माना जाता है. इस बारे में वैज्ञानिकों ने काफी पड़ताल की कोशिश की कि आखिर क्या वजह है जो एक खास मौसम में और एक खास जगह पर पक्षियों को ऐसा करने के लिए उकसाती है.

पक्षियों में अजीब प्रवृति
वैसे इंसानों में ये प्रवृति ज्यादा आम है. परीक्षा या नौकरी के नतीजे या फिर संबंधों में असफल होने पर कई बार लोगों में खुदकुशी की प्रवृति दिखती है. साथ ही कई ऐसी जगहें हैं, जो इंसानों के लिए सुसाइड पॉइंट के तौर पर जानी जाती हैं, जैसे ऊंची इमारतें या गहरी खाई. यानी ऐसी जगहें, जहां पर मौत सुनिश्चित हो सके. लेकिन पक्षियों के मामले में ये बात अलग हो जाती है. पक्षी होने के कारण वे जाहिर है कि इमारत से कूदकर तो जान नहीं दे सकते, लेकिन वे तेजी से उड़ते हुए इमारतों या ऊंचे पेड़ों से जान-बूझकर टकरा जाते हैं और तुरंत ही उनकी मौत हो जाती है. ऐसा इक्के-दुक्के नहीं, बल्कि सितंबर के समय में हर साल हजारों पक्षियों के साथ होता है. 

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7 से 10 बजे के बीच होता है ऐसा
ये बात अजीब इसलिए भी हो जाती है क्योंकि ये पक्षी शाम 7 से रात 10 बजे के बीच ही ऐसा करते हैं, जबकि आम मौसम में इन पक्षियों की प्रवृति दिन में ही बाहर निकलने की होती है और रात में वे घोंसले में लौट चुके हैं. फिर क्या वजह है, जो वे एकाध महीने के लिए अचानक अंधेरा घिरने पर घोंसलों से बाहर हजारों की संख्या में आते हैं और टकराकर मर जाते हैं? आत्महत्या की इस होड़ में स्थानीय और प्रवासी चिड़ियों की 40 प्रजातियां शामिल रहती हैं. कहा जाता है कि यहां बाहरी अप्रवासी पक्षी जाने के बाद वापस नहीं आते. इस घाटी में रात में एंट्री पर प्रतिबंध है. वैसे भी जतिंगा गांव प्राकृतिक कारणों के चलते नौ महीने बाहरी दुनिया से अलग-थलग ही रहता है.

Jatinga Valley

लगभग हर साल जतिंगा गांव पक्षियों की आत्महत्या के कारण चर्चा में आ जाता है.

चुंबकीय ताकत को बताते हैं वजह
कई पक्षी विज्ञानियों का मानना है कि इस दुर्लभ घटना की वजह चुंबकीय ताकत है. जब नम और कोहरे-भरे मौसम में हवाएं तेजी से बहती हैं तो रात के अंधेरे में पक्षी रोशनी के आसपास उड़ने लगते हैं. रोशनी के कारण उन्हें दिखाई नहीं देता और तेजी से उड़ते हुए वे किसी इमारत या पेड़ या वाहनों से टकरा जाते हैं. ये कारण बताते हुए वैज्ञानिकों ने सितंबर महीने के दौरान जतिंगा में बाहरी लोगों के आने पर रोक लगा दी. यहां तक कि शाम के समय यहां गाड़ियां चलाने पर मनाही हो गई ताकि रोशनी न हो, लेकिन इसके बाद भी अजीबोगरीब तरीके से पक्षियों की मौत का क्रम जारी रहा.

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गांववालों मानते हैं रहस्यमयी ताकत
ये चीज केवल और केवल जतिंगा गांव में ही दिखती है. एक रिपोर्ट के मुताबिक गांव से दो किलोमीटर दूर दूसरे गांवों में भी पक्षियों के साथ ऐसा नहीं होता है. गांववाले इसके पीछे किसी रहस्यमयी ताकत का हाथ मानते हैं. वहां मान्यता है कि इस दौरान हवाओं में कोई पारलौकिक ताकत आ जाती है जो पक्षियों से ऐसा करवाती है. वे मानते हैं कि इस दौरान इंसानी आबादी का भी बाहर आना खतरनाक हो सकता है इसलिए सितंबर-अक्टबूर के दौरान वहां शाम के समय एकदम सुनसान हो जाता है.

1957 में पता चला दुनिया को
वैसे तो पक्षियों की कथित आत्महत्या का ये सिलसिला साल 1910 से ही चला आ रहा है. लेकिन सबसे पहले साल 1957 में बाहरी दुनिया को इसका पता चला. तब पक्षी विज्ञानी E.P. Gee किसी काम से जतिंगा आए हुए थे. इसी दौरान उन्होंने खुद इस घटना को देखा. इस घटना का जिक्र पक्षी विज्ञानी ने अपनी किताब ‘द वाइल्डलाइफ ऑफ इंडिया’ में किया. वे लिखते हैं, “कई कोशिशों के बाद भी इसकी वजह समझ नहीं आ पा रही है. पक्षी हर साल 15 अगस्त से 31 अक्टूबर के दौरान ऐसा करते हैं, जब कोहरा और नमी होती है. सबसे अजीब बात ये है कि ऐसा अंधेरी रातों में ही होता है, जब चांद की रोशनी बिल्कुल नहीं हो.”

कई वैज्ञानिक कर चुके हैं रिसर्च
तब से लेकर आज तक इस पर देश-विदेश के कई वैज्ञानिक रिसर्च कर चुके हैं. यहां तक कि वन विभाग के अफसरों ने भी इसकी वजह जानने की कोशिश की, लेकिन अब तक पक्षियों की खुदकुशी की वजह या फिर इसे रोकने का कोई तरीका नहीं मिल सका है. बहुत बार इमारतों से टकराकर घायल हुए पक्षियों का उपचार और उन्हें खाना खिलाने की भी कोशिश की गई, लेकिन ये तरीका भी बेअसर रहा. ऐसे पक्षियों ने खाना खाने से इनकार कर दिया और इलाज पर भी उनके शरीर ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

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Tags: Assam, Bird, Guwahati, Suicide

FIRST PUBLISHED :

March 20, 2024, 16:12 IST

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