Women and Saving Investement practical tips: भारतीय समाज में पारंपरिक रूप से बचत को महत्व दिया जाता रहा है. इसमें भी, घर की महिलाएं हमेशा ही सेविंग की आदत का रोल मॉडल रही हैं. मां, दादी, नानी, बहन, पत्नी और बेटियां.. हरेक अपने हिसाब से सेविंग करती रही हैं, लेकिन बदलते दौर में जब मुद्रास्फीति ने नाक में दम किया हुआ है, जीवनचर्या के खर्चे पहले के मुकाबले बढ़े हैं, ऐसे में घरेलू या कामकाजी हरेक महिला के लिए पैसे को बचाना टेढ़ी खीर हो चला है. आइए जानें कुछ बेहतरीन टिप्स जो प्रैक्टिकल रूप से लागू किए जा सकते हैं, बस थोड़ी सी समझदारी और इच्छाशक्ति की जरूरत के साथ....
News18 हिंदीLast Updated :April 22, 2024, 13:01 ISTAuthorPooja Prasad (पूजा प्रसाद)
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How to save money in urban living: पैसा कमाना और बचाना, दोनों ही, कला और जरूरत, दोनों, हैं. महंगाई (Inflation) की मार के चलते न सिर्फ महानगरों बल्कि टियर 2, टियर 3 में भी एक अच्छी जीवनशैली जीना आम इंसान के लिए मुश्किल हो चला है, ऐसे में बहुत जरूरी है कि कमाई के साथ साथ भविष्य को ध्यान में रखते हुए बचत भी की जाए, चाहे सेविंग करना मुश्किल ही क्यों न लगे. यूनाइटेड नेशन्स (UNFCU) के मुताबिक, 50-30-20 का नियम आपके खर्च को जरूरतों (Needs), चाहतों (Wants) और लक्ष्यों (Goals) के अनुसार सेट करता है.
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खर्च और बचत का 50-30-20 रूल आपकी कुल सैलरी का 50% जरूरतों पर, 30% चाहतों (वे चीजें व वस्तुएं जो अतिआवश्यक कैटिगरी में नहीं आती हैं) पर और 20% बचत की सलाह देता है. बचत कैटिगरी में वह पैसा भी शामिल होता है जिसकी आपको अपने भविष्य के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यकता होने जा रही है. इसलिए इसे सबसे अधिक तवज्जो देंगी.
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मनी मैनेजमेंट का 50-30-20 रूल का पहला हिस्सा 50 फीसदी कुल आय का पचास प्रतिशत दर्शाता है. इस नियम के मुताबिक, आपके बजट का लगभग आधा हिस्सा जरूरतों पर खर्च होना चाहिए. ये ऐसे खर्चे हैं जिन्हें हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए जैसे कि यूटिलिटी बिल्स, किराया या लोन की ईएमआई, हेल्थकेयर यानी चिकित्सा से जुड़े खर्चे, खान-पान-ग्रासरीज के खर्चे.
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मनी मैनेजमेंट का 50-30-20 रूल का पहला हिस्सा है 30% का. इसके तहत आप अपनी वांट्स रखते हैं. यानी, कुछ मेंबरशिप, वकेशन, जिमिंग ट्रेनिंग जैसी चीजें, कभी कभार का बाहर खान पान आदि. तीसरा हिस्सा है 20 फीसदी का. जोकि सेविंग कहलाता है. बचत में 20 फीसदी जमा होना चाहिए यानी आपके बजट का शेष 20% भविष्य में खर्च होना चाहिए जिसका इस्तेमाल आप आपातकालीन निधि में पैसा रखकर कर सकती हैं. या फिर घर खरीदा है तो डाउन पेमेंट के लिए बचत कर सकती हैं.
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आपको यह बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि सेविंग की शुरुआत बजट बनाने से होती है. जब तक बजट नहीं बनाएंगी, तब तक अनुशासित सेविंग नहीं कर पाएंगी. न सिर्फ किचन के सामान को मिलाकर फूड प्लानिंग बल्कि कूपन और कैशबैक का सही इस्तेमाल, स्मार्ट खरीदारी करना और इमर्जेंसी फंड बनाने के टारगेट के साथ सेपरेट सेविंग करना-इसी का हिस्सा हैं.
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जब भी खरीददारी करें, बजट से इधर-उधर न हों. लिखकर पर्ची बनाकर ले जाएं, या फोन पर नोट करके चलें. हफ्ते में बाहर का खाना कम करें. स्विगी जमेटो से मंगवाना से लेकर रेस्तरां का खाना, आप जानती हैं कि, अपेक्षाकृत महंगा पड़ता है. बाहर खाने भी जाएं तो फ्लैशी महंगे रेस्त्रां की ओर हर बार रुख न करें. साथ ही, मैन्यू चेक करें, हर बार मैन्यू में लिखे रेट को इग्नोर करना आपके बजट को हिलाकर रख सकता है. बचा हुआ भोजन पैक करवा कर लाने में झिझकें नहीं, यह ईको फ्रेंडली भी है और भारतीय परंपरा के अनुकूल भी.
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कोल्ड ड्रिंक्स जैसे आइटम पर खर्चा कम कर सकती हैं, स्वंय घर का बनाया हुआ और बेहतर हेल्दी ऑप्शन ट्राई कर सकती हैं. कुछ रेसिपी इंटरनेट से सीखें. एक बार मन बना लेंगी तो यह सीखना और बनाना बोरिंग नहीं लगेगा. समय की कमी हो तो जरूरी नहीं आप बनाएं, पति, बच्चों, मेड को इस काम के लिए कहें. अकेले खुद पर बजट और बचत का भार डालकर लंबी दूरी नहीं तय कर पाएंगी.
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अगर आप अकेले रहती हैं, चाहे कुछ साल या महीने के लिए ही अकेले रहने का प्लान हो तो भी, आप इस सलाह पर अमल कर सकती हैं. एक रूममेट खोजें और किराए को आधा आधा बांट लें. इसमें भी आगे बढ़कर अगर आप किचन में भी एक दूसरे की मदद लेती हैं तो यह न सिर्फ फाइनेंशली, बल्कि भावानात्मक और मानसिक रूप से भी बेहद नफे का सौदा साबित होगा.
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बिलों में बचत करने की ठान लें. गौर करें कौन सी बिल आधारित सेवा है जो इस्तेमाल कम हो रही है लेकिन बिल उसका आपने बड़ा वाला पैकेज लिया हुआ है. रिव्यू करें. जैसे कि इंटरनेट मोबाइल फोन बिल, केबल टीवी बिल, इलेक्ट्रिसिटी का बिल, पानी का बिल. बिजली और पानी के बिल में कटौती के लिए सबसे पहला कदम यह उठा सकती हैं कि फालतू इस्तेमाल, और दुरुपयोग बंद करें. किसी कमरे का एसी चलाकर भूल गईं, किचन में चिमनी चलाकर व उपकरणों को ऑन करके लंबे समय के लिए छोड़ दिया- ऐसी आदतों पर लगाम कसें.
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ट्रैवलिंग में खर्च कम करना संभव हो तो करें. जैसे कि मोड ऑफ ट्रैवल आपका क्या है... वकेशन पर या अन्य वजहों से ट्रैवल करना है तो देखें कि कहां पैसा बच सकता है. अडवांस में टिकट बुक करके, ट्रेन या प्लेन में से मोड ऑफ ट्रैवल का सही ढंग से चय करके. होटल या होम स्टे? एयरबीएनबी, हॉस्टल जैसे ऑप्शन ट्राई करें. ट्रैवल टूरिज्म की लागत बचाने के लिए अपनी योजना पहले से बना कर चलें.