Last Updated:December 03, 2025, 13:06 IST
Anti Ship Hypersonic Missile: चीन की विस्तारवादी और पाकिस्तान की टेरर बेस्ड डिप्लोमेसी से पूरी दुनिया वाकिफ है. दुर्भाग्य से इन दोनों देशों की सीमाएं भारत से लगती हैं. पाकिस्तान वेस्टर्न और चीन देश के ईस्टर्न बॉर्डर पर स्थित हैं, ऐसे में भारत के लिए अपने डिफेंस सिस्टम को अपग्रेड और मजबूत करना जरूरी है. खासकर ऑपरेशन सिंदूर और चीन-पाकिस्तान की मिलीभगत सामने आने के बाद भारत काफी चौकस हो गया और दो फ्रंट पर युद्ध जैसे हालात से निपटने की तैयारी कर रहा है.
Anti Ship Hypersonic Missile: भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एंटी-शिप हाइपरसोनिक मिसाइल डेवलप की है. (फाइल फोटो/PTI) Anti Ship Hypersonic Missile: यह साल 2020 का वाकया है. लेह-लद्दाख से लगती चीन की सीमा पर अचानक से हलचल बढ़ गई. पड़ोसी देश चीन की सेना ने भारतीय क्षेत्र में घुसने का दुस्साहस किया. भारत के बहादुर जवानों ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया और चीनी सेना को पीछे खिसकने के लिए मजबूर कर दिया. हालांकि, इस घटना के बाद अब फिलहाल LAC पर हालात सामान्य हैं, पर भारतीय सेना पहले के मुकाबले ज्यादा चौकस और सतर्क है. LAC गलवान में इस घटना के बाद इस साल पहलगाम में पाकिस्तान सर्पोटेड आतंकवादियों ने पहलगाम में निर्दोष लोगों का धर्म पूछकर उनकी नृशंस तरीके से हत्या कर दी. इसके बाद इंडियन आर्म्ड फोर्सेज ने ऑपरेशन सिंदूर चलाकर पाकिस्तान में मौजूद कई आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त कर दिया. पड़ोसी देश के मिलिट्री एयरबेस को भी तबाह कर दिया गया. इन दोनों वाकयों के बाद भारत अब भविष्य की तैयारियों में जुट गया है. इसका मतलब यह हुआ कि भारत दो मोर्चों पर युद्ध का मुकाबला करने के लिए खुद को तैयार कर रहा है. खासकर LAC पर गलवान की घटना के बाद भारत ने एंटी-शिप हाइपरसोनिक मिसाइल पर काम करना शुरू कर दिया था. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) को इसमें बड़ी सफलता हासिल हुई है.
चीन के साथ LAC पर बढ़ते तनाव के बीच भारतीय नौसेना अपने हथियारों को मल्टी-डोमेन (multi-domain) युद्ध की जरूरतों के हिसाब से मजबूत कर रही है. इसी कड़ी में DRDO की लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइल LR-ASHM एक हाइपरसोनिक गेम-चेंजर बनकर उभर रही है. यह स्वदेशी मिसाइल अब सीरियल प्रोडक्शन (बड़े पैमाने पर उत्पादन) में जा रही है. इसके आने से हिन्द महासगर क्षेत्र (IOR) में चीन की नौसेना (PLAN) के एयरक्राफ्ट कैरियर्स के लिए किसी भी संघर्ष के समय खतरे का क्षेत्र बन जाएगा. मैक 10 की रफ्तार और 1,500 किलोमीटर से ज्यादा मारक क्षमता वाली यह मिसाइल सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि एक रणनीतिक चेतावनी है जो दुश्मन के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप को दूर से ही खत्म करने की क्षमता रखती है. इससे चीन को हिमालय क्षेत्र में किसी भी तनाव के दौरान अपनी नौसैनिक योजनाओं पर फिर से सोचने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है.
कितनी है LR-ASHM हाइपरसोनिक मिसाइल की रफ्तार?
दरअसल, दुनियाभर में बदलते सामरिक हालात को देखते हुए भारत हाइपरसोनिक मिसाइल बनाने पर विशेष फोकस कर रहा है. डीआरडीओ लगातार इस दिशा में काम कर रहा है. LR-ASHM (Long Range Anti Ship hypersonic Missile) इसी प्रयास का नतीजा है. यह मिसाइल मैक-10 यानी 12348 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दुश्मनों पर अटैक करने में सक्षम है. हाइपसोनिक रफ्तार की वजह से यह मिसाइल पलभर में टारगेट को खाक करने में सक्षम है. दुश्मन कुछ समझ पाएगा, उससे पहले ही उसका अस्तित्व मिट जाएगा.
Anti Ship Hypersonic Missile: भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने एंटी-शिप हाइपरसोनिक मिसाइल डेवलप की है. (फाइल फोटो/PTI)
कितनी होगी हाइपरसोनिक मिसाइल की रेंज?
LR-ASHM हाइपरसोनिक मिसाइल सिर्फ रफ्तार की ही सौदागर नहीं है. इसकी रेंज भी काफी ज्यादा है. मतलब यह कि LR-ASHM सैकड़ों किलोमीटर दूर से ही किसी भी जंगी जहाज को नेस्तनाबूद कर सकती है. चीन जिन दोहरे कैरियर ऑपरेशन्स के जरिए अपनी समुद्री ताकत बढ़ा रहा है, LR-ASHM का आना भारत की मैरीटाइम डेटरेंस पॉलिसी को और मजबूत कर देती है. यानी चीन अगर भारतीय समुद्री क्षेत्र में घुसने की कोशिश करेगा, तो उसे हाइपरसोनिक हमले का सामना करना पड़ेगा. यह मिसाइल DRDO की हाइपरसोनिक तकनीक में बढ़त हासिल करने की कोशिश का नतीजा है. इसे हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स में भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL) जैसे साझेदारों के साथ बनाया गया है. सितंबर 2022 में इसका डिजाइन तय हुआ और परीक्षणों ने इसके हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल (HGV) वाले ढांचे की सफलता को साबित किया, जिसमें मिसाइल रॉकेट से ऊपर उठकर मैक 5+ गति पर ग्लाइड करती है और आखिरी चरण में अप्रत्याशित ढंग से वार करती है.
क्या बोले DRDO चीफ, कितनी होगी कीमत?
अक्टूबर 2025 तक यह मिसाइल सीरियल प्रोडक्शन में आ गई है. DRDO प्रमुख डॉ. समीर वी कामत ने इसे भारत की नौसैनिक मारक क्षमता में बड़ा कदम बताया. मैक 10 की गति और 1,500 किमी से ज्यादा दूरी के साथ यह मिसाइल अमेरिकी हार्पून या भारतीय ब्रह्मोस जैसी मिसाइलों से कहीं आगे है. इसे जमीन और समुद्र दोनों से दागा जा सकता है. यूजर ट्रायल के 2027-28 में पूरा होने की संभावना है. साल 2029 से इसे नेवी के एयरक्राफ्ट कैरियर और अन्य पोतों में इंटीग्रेट करने का काम शुरू हो जाएगा. यह भारत की 175 युद्धपोतों वाली नौसेना विस्तार योजना के साथ मेल खाएगी. यह मिसाइल हाइपरसोनिक उड़ान बनाए रखने के लिए स्क्रैमजेट जैसी तकनीक का इस्तेमाल करती है और रडार से बचते हुए कम ऊंचाई पर उड़ सकती है, जो DRDO के HSTDV प्रोग्राम की खासियत है. एक मिसाइल की कीमत 50 करोड़ रुपये से कम रखी गई है और 2030 तक हर साल 200 से ज्यादा मिसाइलें बनाने का लक्ष्य है.
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बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
December 03, 2025, 13:04 IST

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