AI खुद को ठंडा रखने के लिए हर साल पी रहा अरबों गैलन पानी

2 days ago

अदिति शुक्ला (इंटरनेट डेस्क)।आप स्टूडेंट हैं, यंग या एक्सपीरिएंस्ड प्रोफेशनल हैं, या फिर हाउसवाइफ जिसे खाना बनाना बेहद पसंद है, आप किसी भी पद और उम्र में हो सकते हैं जिन्हें दिन के छोटे छोटे कामों में AI की जरूरत पड़ती हो। खाने की रेसिपी से लेकर डेटा बेस्ड एनालिसिस तक एआई, हमारा पक्का साथी बन चुका है। वहीं कुछ कॉमन एआई चैटबोट जैसे चैटजीपीटी, परप्लेक्सिटी तो फ्री वर्जन में भी अच्छा काम करते हैं। आंकड़े कहते हैं कि हर रोज चैटजीपीटी को करीब 2.5 बिलियन प्रोम्प्ट्स मिलते हैं। कई लोगों को लग सकता है कि वो एआई के फ्री वर्जन का यूज कर रहे हैं तो इसमें कोई खर्च नहीं है लेकिन इसके पीछे वॉटर क्राइसिस की एक काली सच्चाई छिपी है। दुनिया भर में बड़े AI डेटा सेंटर्स हर साल अरबों गैलन पानी सिर्फ अपने सर्वर ठंडे रखने के लिए खा जाते हैं।


बड़ी कंपनियों का वॉटर यूज

AI डेटा सेंटर्स का वॉटर फुटप्रिंट हैरान कर देने वाला है

- Google: हर साल 6।4 बिलियन गैलन पानी खपत करता है, जिसमें से 95% सिर्फ कूलिंग के लिए।

- Microsoft: 2022 में 1।69 बिलियन गैलन पानी इस्तेमाल किया, जो पिछले साल से 34% ज्यादा था।

- Meta: 2023 में 1।39 बिलियन गैलन पानी खपत किया।

- Amazon Web Services और OpenAI: अब तक अपने टोटल वॉटर यूज के आंकड़े पब्लिक नहीं करते।


हर सवाल में कितनी पानी होता है खर्च

- जब भी आप एआई से कोई सवाल पूछते हैं तो उसमें पानी का यूज छिपा होता है। दरअसल AI का सबसे ज्यादा पानी इस्तेमाल डेटा सेंटरों में कूलिंग के लिए होता है। जब AI मॉडल आपके सवालों का जवाब देते हैं तो कंप्यूटर हार्डवेयर बहुत गर्म हो जाता है। इसे ठंडा करने के लिए कूलिंग टावरों में पानी का इस्तेमाल किया जाता है, जहां पानी इवैपरैटड होकर गर्मी को कम करता है। अनुमान है कि AI के एक सवाल का जवाब देने में लगभग 500 मिलीलीटर पानी खर्च होता है।

- इसके अलावा, AI हार्डवेयर जैसे चिप्स बनाने में भी साफ यानी पीने लायक पानी की बड़ी जरूरत होती है। साथ ही, बिजली उत्पादन में भी पानी का यूज होता है। इसलिए AI की बढ़ती डिमांड से पानी की खपत और दबाव दोनों बढ़ रहे हैं। अगर आप गूगल के Gemini से सवाल पूछते हैं तो एक सवाल में लगभग 5 बूंदें खर्च होती हैं। वहीं Water Scarcity Energy Agency का अनुमान है कि 2030 तक डेटा सेंटर्स का वॉटर कंजम्प्शन 560 बिलियन लीटर से बढ़कर 1,200 बिलियन लीटर हो सकता है यानी डबल से ज्यादा।

जहां पानी की कमी वहीं सबसे ज्यादा डेटा सेंटर्स

वहीं Bloomberg की एक हालिया रिपोर्ट बताती है कि 2022 के बाद से बने दो-तिहाई नए डेटा सेंटर्स उन जगहों पर बने हैं जहां पहले से ही पानी की भारी कमी है। दुनिया के सिर्फ पांच राज्यों में 72% नए डेटा सेंटर्स बने हैं।

- Virginia: दुनिया का सबसे बड़ा डेटा सेंटर हब। 2019–2023 में यहां पानी का इस्तेमाल 67% बढ़ा।

- Iowa (Council Bluffs – Google Center): अकेले 2024 में 1 बिलियन गैलन पानी खा गया जो पूरे Iowa की 5 दिन की सप्लाई के बराबर है।

- Georgia (Meta&यs Newton County Center): रोज 5 लाख गैलन पानी यूज करता है, जो लोकल कम्युनिटी के टोटल पानी का 10% है। कई लोगों ने शिकायत की कि उनके ग्राउंडवॉटर सप्लाई डिस्टर्ब हो गए और कुएं का पानी भी खराब हो गया।


कूलिंग टेक्नोलॉजी और वॉटर यूज

Evaporative Cooling -
यह कूलिंग का सबसे कॉमन सिस्टम है, जहां गर्म हवा पानी की गीली पैड्स से गुजरती है। इसमें 80% पानी इवैपरैट हो जाता है और सिर्फ 20% ट्रीटमेंट के लिए बचता है। एक 100 मेगावॉट डेटा सेंटर रोजाना 20 लाख लीटर पानी खर्च करता है जो 6,500 घरों के बराबर है।


Alternative Methods
- Closed-Loop Cooling: पानी को रीसायकल करके कूलिंग, लगभग जीरो वॉटर कंजम्प्शन लेकिन ज्यादा एनर्जी खपत।

- Air Cooling: पानी की खपत बेहद कम जैसे Google का Pflugerville (Texas) सेंटर सिर्फ 2,600 गैलन पानी लेता है, जबकि वॉटर-कूल्ड सेंटर्स 1।5 करोड़ गैलन तक।


कंपनियां कर रही हैं कई कोशिशें

- Microsoft: अगस्त 2024 से जीरो-वॉटर इवैपोरेशन डिजाइन्स अपनाए, जिससे हर डेटा सेंटर में 125 मिलियन लीटर तक पानी बच सकता है।

- Amazon Web Services: 2030 तक 120 डेटा सेंटर्स में रीसायकल्ड वेस्टवॉटर यूज करने का प्लान है। अभी 24 सेंटर ट्रीटेड सीवेज से कूलिंग करते हैं।

- Meta: ड्राई कूलिंग टेक्नोलॉजी और AI-बेस्ड एयरफ्लो ऑप्टिमाइजेशन से 20% फैन एनर्जी और 4% वॉटर यूज घटाया है।

- Google: क्लोज्ड-लूप कूलिंग, रेनवॉटर हार्वेस्टिंग और वेस्टवॉटर रीयूज का कॉम्बिनेशन अपना रही है।


नई टेक्नोलॉजी और इनोवेशन

- Direct-to-Chip (D2C) Cooling: चिप को सीधे ठंडा करने की टेक्निक, पानी इवैपोरेशन की ज़रूरत नहीं।
- Immersion Cooling: पूरे सर्वर्स को खास लिक्विड में डुबोकर ठंडा करना।
- Circular Water Systems: पानी को रीयूज़-रीसायकल करके क्लोज्ड लूप बनाना।
- Seawater Desalination: कोस्टल डेटा सेंटर्स के लिए खारा पानी मीठा बनाना।
- Predictive Modeling: मौसम और डिमांड डेटा से वॉटर यूज़ का सटीक अनुमान लगाना और लीकेज रोकना।


Water Positive Goals by 2030

सभी बड़ी कंपनियों ने 2030 तक Water Positive बनने का वादा किया है यानी जितना पानी इस्तेमाल करेंगे, उससे ज्यादा कम्युनिटी को लौटाएंगे। इसमें शामिल हैं:

- हाई-स्ट्रेस रीजन में वॉटर रिस्टोरेशन प्रोजेक्ट्स
- वॉटरशेड और वेटलैंड बहाली
- लोकल वॉटर इंफ्रास्ट्रक्चर सुधार
- ट्रीटेड वेस्टवॉटर और रेनवॉटर का इस्तेमाल

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