Bangladesh: चीफ जस्टिस ने दिया इस्तीफा, प्रदर्शनकारी छात्रों ने पद छोड़ने पर किया मजबूर

1 month ago

Bangladesh News:  बांग्लादेश में छात्रों का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब अक्रोशित छात्रों ने देश के मुख्य न्यायाधीश ओबैदुल हसन को अपने पद से इस्तीफा देने के लिए मजबूर. उन्हें पिछले साल सुप्रीम कोर्ट का प्रमुख नियुक्त किया गया था और उन्हें अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना का वफादार माना जाता है. 

द डेली स्टार के मुताबिक उनका यह फैसला शनिवार को छात्रों के विरोध प्रदर्शन के बाद आया. स्टूडेंट्स ने उन्हें और अपीलीय प्रभाग के जजों को अपराह्न 1:00 बजे तक इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी. ऐसा न होने पर उनके आवासों के घेराव की धमकी दी गई थी. 

रिपोर्ट के मुताबिक सीजे ने सुप्रीम कोर्ट परिसर में पत्रकारों को बताया कि उन्होंने उभरते हालात के बीच देश भर में सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और निचली अदालतों के जजों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस्तीफा देने का फैसला किया है. 

हसन ने कहा, 'इस्तीफे के लिए कुछ औपचारिकताएं हैं। उन्हें पूरा करने के बाद मैं आज शाम तक राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन को अपना इस्तीफा भेज दूंगा.' यह पूछे जाने पर कि क्या सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज भी इस्तीफा देंगे, मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'यह उनका फैसला है.'

विधि सलाहाकार
इस बीच, विधि सलाहकार प्रोफेसर आसिफ नजरुल ने कहा कि न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा के लिए मुख्य न्यायाधीश को अपने भाग्य का फैसला करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि मुख्य न्यायाधीश को छात्र समुदाय की मांगों का सम्मान करना चाहिए. 

प्रदर्शनकारी नेताओं की शिकायतों का जिक्र करते हुए आसिफ नजरुल ने कहा, 'मैंने छात्रों की शिकायतें देखी हैं. जिस तरह से मुख्य न्यायाधीश ने पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाई थी, वह पराजित निरंकुश ताकतों के पक्ष में एक कदम लग रहा था. इस पर टिप्पणी करने से पहले मैं कुछ शब्द कहना चाहता हूं, हमारे मुख्य न्यायाधीश बहुत सम्मानित व्यक्ति हैं.  हालांकि, उनके बारे में सवाल उठे थे, खासकर इस आंदोलन के दौरान. उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या विरोध से कोई फैसला बदला जा सकता है. लोगों ने इसे अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया.'

प्रदर्शनकारी नेताओं की शिकायतों का जिक्र करते हुए आसिफ नजरुल ने कहा, 'मैंने छात्रों की शिकायतें देखी हैं. जिस तरह से मुख्य न्यायाधीश ने पूर्ण न्यायालय की बैठक बुलाई थी, वह पराजित निरंकुश ताकतों के पक्ष में एक कदम लग रहा था. इस पर टिप्पणी करने से पहले मैं कुछ शब्द कहना चाहता हूं, हमारे मुख्य न्यायाधीश बहुत सम्मानित व्यक्ति हैं.  हालांकि, उनके बारे में सवाल उठे थे, खासकर इस आंदोलन के दौरान. उन्होंने सवाल उठाया था कि क्या विरोध से कोई फैसला बदला जा सकता है. लोगों ने इसे अच्छी तरह से स्वीकार नहीं किया.'

आसिफ नजरुल ने कहा कि जब ओबैदुल हसन विदेश गए थे, तो वे कई अवामी लीग नेताओं के घरों में रुके थे. उनके बारे में कई विवाद हुए थे. उन्होंने कहा, 'खासकर इस छात्र आंदोलन के दौरान, उन्होंने इस बात पर टिप्पणी की थी कि सारा विरोध किस बात पर था. प्रतिक्रिया अच्छी नहीं थी। छात्रों ने उनके इस्तीफे की मांग की. यह मांग आज (शनिवार) फिर से उठी है.'

Photo courtesy: The Daily Star

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