DNA: इजरायल ने हिजबुल्लाह के जनरल को कैसे ढेर किया? समझिए Mossad के Mission Impossible की इनसाइट स्टोरी

1 hour ago

DNA: पाकिस्तान में टीटीपी सुरक्षाबलों के हेडक्वार्टर पर आत्मघाती हमला कर रहा है और पाकिस्तान की सेना उनके सामने बेबस नजर आ रही है लेकिन इजरायल उन आतंकियों के सरदारों को चुन-चुन कर मार रहा है जो उसके लिए आत्मघाती साबित हो सकते हैं. अपने दुश्मनों को दुनिया के कोने-कोने से तलाश करके मारने के लिए मशहूर इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने इस बार लेबनान की राजधानी बेरूत में हिजबुल्लाह के सबसे बड़े कमांडर को खत्म कर दिया.

मोसाद की खुफिया जानकारी पर इजरायल की वायुसेना ने बेरूत में सटीक एयर स्ट्राइक की जिसमें हिजबुल्लाह के चीफ ऑफ स्टाफ और इजरायल पर हुए कई हमलों के मास्टरमाइंड अली तबताबाई को मार दिया गया. अमेरिका ने भी हिजबुल्लाह के चीफ ऑफ स्टाफ पर 5 मिलियन डॉलर यानि लगभग 45 करोड़ रुपये का इनाम रखा था. मोसाद ने इससे पहले भी इजरायल के लिए कई हैरतअंगेज ऑपरेशन अंजाम दिए हैं लेकिन इस बार हिजबुल्लाह के सबसे बड़े कमांडर अली तबताबाई को मोसाद ने जिस तरह मारा है उससे हिजबुल्लाह के साथ-साथ पूरी दुनिया हैरान हो गई है.

आखिरकार हिजबुल्लाह से सीजफायर के बावजूद इजरायल ने अचानक क्यों उसके सबसे बड़े कमांडर अली तबताबाई को निशाना बनाया. इजरायल के लिए अली तबताबाई को मारना कितना जरूरी और कितना मुश्किल था और सीजफायर के बावजूद इजरायल के इस हमले का मिडिल ईस्ट पर क्या असर पड़ने वाला है ये सब जानने से पहले सबसे पहले आप ये जान लीजिए कि मोसाद ने हिजबुल्लाह के जनरल को मारने की प्लानिंग कैसे की थी.

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इसे समझने के लिए कि लेबनान में हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडर अली तबताबाई को मारना इजरायल के लिए कितना चुनौतीपूर्ण था, सबसे पहले उस स्थान की स्थिति के बारे में जानना जरूरी है जहां हमला किया गया. सामने आई फुटेज से स्पष्ट है कि बेरूत का यह इलाका बेहद घनी आबादी वाला है. संकीर्ण गलियों के बीच ऊंची-ऊंची आवासीय इमारतें खड़ी हैं. ऐसी जगहों पर हिजबुल्लाह के कमांडर आमतौर पर इसलिए छिपते हैं ताकि इजरायल के सटीक हमले से बच सकें. इसी कारण यह स्ट्राइक चर्चा में है. जिस इमारत पर हमला किया गया, उसमें ठीक वही फ्लैट निशाना बना जिसमें अली तबताबाई मौजूद था. फुटेज में स्पष्ट है कि फ्लैट पूरी तरह क्षतिग्रस्त हुआ, लेकिन इमारत का बाकी हिस्सा सुरक्षित रहा. यानी इजरायल ने केवल अपने लक्ष्य अली तबताबाई को ही निशाना बनाया, और हमले में किसी आम नागरिक की मौत नहीं हुई. यह इजरायल की हाई-प्रिसीजन स्ट्राइक क्षमता का संकेत माना जा रहा है.

आज इजरायल की वायुसेना ने इस हमले का वीडियो भी जारी किया उसे देखकर आप इस हमले की सटीकता को और बेहतर ढंग से समझ पाएंगे. इस वीडियो में दिखाई दे रहा है कि इजरायली वायुसेना के लड़ाकू विमानों की एयर स्ट्राइक के बाद आग का गुबार उठा और जिस फ्लैट में अली मौजूद था वो तबाह हो गई.

अब आप समझिए आखिरकार इजरायल ने इतना सटीक हमला कैसे किया और मोसाद ने कैसे पता लगाया कि बेरूत में हिजबुल्लाह का चीफ आफ स्टाफ कहां छिपकर रह रहा है. हिजबुल्लाह ने अली तबताबाई की सुरक्षा का ऐसा इंतजाम किया था कि लेबनान में माना जाने लगा था कि पंछी भी बिना मंजूरी के अली तबताबाई के ऊपर से नहीं उड़ सकते.

- अली तबताबाई के चारों तरफ चार स्तर की सुरक्षा टुकड़ियां मौजूद रहती थीं  

- वो जहां मौजूद रहता वहां पर पहले ही जैमर लगा दिया जाता था

- उसके काफिले के आगे पीछे कई नकली काफिले चलते थे यानि एक वक्त में चार से पांच जगहों पर उसकी मौजूदगी का भ्रम पैदा किया जाता था

- इसके अलावा वो जिस इलाके में ठहरता था वो फोन फ्री जोन होता था यानि वहां पर कोई फोन का इस्तेमाल नहीं कर सकता था

- किसी को उसकी दिनचर्या समझ नहीं आती थी क्योंकि वो हर रात अलग जगह सोता था यानि अली एक रात जहां पर बिताता था अगले दिन वहां पर नहीं लौटता था  

- अली हर दिन अलग इमारत में मीटिंग करता था यानी उसका कोई तय ऑफिस भी नहीं था

#DNAमित्रों | इजरायल ने हिजबुल्लाह के जनरल को कैसे मारा? मोसाद कैसे असंभव को संभव कर देता है ? #DNA #DNAWithRahulSinha #Mosad #Israel #Hamas @RahulSinhaTV pic.twitter.com/jPO7nO6Lfm

— Zee News (@ZeeNews) November 24, 2025

इस बीच आपको बता दें कि मोसाद के एजेंटों को ऑर्डर मिला था कि अली इजरायल पर बड़े हमले की तैयारी कर रहा है. इसलिए उसे खत्म करना जरूरी है लेकिन इस बार मोसाद को वो टागरेट मिला जो गायब रहता था यानि  कैमरा, ड्रोन, सैटेलाइट कुछ भी उसकी असली लोकेशन नहीं पकड़ पाते थे. इसके बाद मोसाद ने नई तकनीक एजेंटों के जाल और मनोवैज्ञानिक विश्लेषण के सहारे अली की लोकेशन पता लगाने की योजना बनाई. इसलिए मोसाद ने अली का पता लगाने के लिए नए एआई आधारित सिस्टम का इस्तेमाल किया.

- मोसाद का यह सिस्टम लोकेशन को सीधे ट्रैक नहीं करता था

- यह सिर्फ इंसानों की आदतों की गणना करता था

- जैसे किस इलाके में बिजली का इस्तेमाल अचानक बढ़ रहा है

- किस इमारत के पड़ोस में फोन जैमर सक्रिय होते हैं

- कौन सा रास्ता हर रविवार साफ कर दिया जाता है

- और कहां रात 2 बजे भी बालकनियों पर परदे गिरा दिए जाते हैं

इन सभी संकेतों को जोड़कर इजरायल के एआई सिस्टम ने अनुमान लगाया टारगेट संभवतः बेरूत के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र की तीन इमारतों में से एक हो सकती है लेकिन अभी तक ये पता नहीं था  कि यहां पर हिजबुल्लाह का चीफ ऑफ स्टाफ मौजूद है या फिर कोई दूसरा कमांडर जैसे ही इजरायल के नए एआई सिस्टम ने अनुमान लगाया मोसाद ने बेरूत में अपने एजेंटों को सक्रिय कर दिया. मोसाद के एजेंट अपनी ​तेज निगाहों से निगरानी करने लगे क्योंकि जहां अली मौजूद रहता था सारे सिस्टम फेल हो जाते थे. इस एजेंट ने मोसाद को खबर दी संदिग्ध इमारत के एक खास फ्लैट पर दो गार्ड खड़े हैं जिनको आज से पहले कई बार अली के साथ देखा गया है और ये सिर्फ अली के आने पर ही तैनात होते हैं. अब गेंद इजरायली वायुसेना के पाले में थी लेकिन यह साधारण एयरस्ट्राइक नहीं हो सकती थी इमारत आबादी वाले इलाके में थी यानि गलती की कोई गुंजाइश नहीं थी. इसलिए मोसाद ने एक बहुत छोटे ड्रोन का इस्तेमाल किया जो चिड़िया के आकार का था शोर नहीं करता था इस ड्रोन के जरिए मोसाद को अली तबताबाई की मौजूदगी की पुष्टि मिल गई. जिस वक्त मोसाद के एजेंट हिजबुल्लाह के चीफ ऑफ स्टाफ की मौजूदगी को इमारत में कंफर्म कर रहे थे. तेल अवीव के ऑपरेशन्स रूम में सन्नाटा था. एजेंट के मैसेज के बाद स्क्रीन पर केवल चार शब्द चमके TARGET CONFIRMED. मोसाद ने अली की मौजूदगी को कंफर्म कर दिया था. इसके फौरन बाद लेबनान की सीमा पर मौजूद इजरायल का फाइटर जेट ने आसमान में उड़ान भरी और इजरायल के लिए बड़ा खतरा यानि हिजबुल्लाह का चीफ ऑफ स्टाफ अली अली तबताबाई की कहानी खत्म कर दी गई.

इजरायल के हमले से अमेरिका हुआ खुश 

इजरायल के इस हमले से अमेरिका भी बेहद खुश है. अली को मारने के बाद इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजमिन नेतन्याहू का बयान भी सामने आया जिसमें अली को मारने की वजह भी बताई गई है. नेतन्याहू ने तबताबाई को हत्यारा और खूनी आतंकवादी बताया जो इससे पहले भी कई इजरायलियों और अमेरिकियों की हत्या कर चुका था और इजरायल पर फिर से बड़े हमले की तैयारी कर रहा था. इजरायल का लेबनान की राजधानी बेरूत पर यह हमला हिजबुल्लाह के साथ युद्धविराम के करीब एक वर्ष बाद किया है और हिजबुल्लाह इस हमले का बदला लेने की कोशिश कर सकता है. इससे क्षेत्र में एक बार फिर से व्यापक संघर्ष शुरू होने की आशंका पैदा हो गई है.

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