नई दिल्ली (इंटरनेट डेस्क) अदिति शुक्ला। कब कहां कौन सी चीज ट्रेंड बन जाए इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है, जहां हाल फिलहाल में लाबुबू डॉल का क्रेज खत्म नहीं हो रहा वहीं एक और ट्रेंड सिर चढ़ बोल रहा है, जिसका नाम है 'फेक वेडिंग ट्रेंड।' आपको बचपन के वो दिन याद हैं जब बच्चे साथ में गुड्डा गुड़िया की शादी वाली गेम खेलते थे। बच्चों के लिए वो शादी बहुत सीरियस होती थी लेकिन बड़ो के लिए बस एक नया खेल। बस इसी तरह से आज ये Fake wedding trend खूब तेजी से वायरल हो रहा है। जिसमें शादी तो है लेकिन किसकी ये किसी को पता नहीं।
क्या है फेक वेडिंग ट्रेंड
जेन जी हमेशा कुछ अलग हट के करने में आगे रहती है और इसी कड़ी में एक नया और अनोखा ट्रेंड तेजी से वायरल हो रहा है फेक वेडिंग्स का। यानी शादी में असली नहीं, बस शादी वाला माहौल, धूमधड़ाका और सेलिब्रेशन पूरे रियल वेडिंग जैसा। ना दूल्हा-दुल्हन का असली रिश्ता, ना सात फेरे, पर फिर भी सजावट, कैटरिंग, म्यूजिक, आउटफिट्स सब कुछ वैसा ही जैसे किसी रॉयल शादी में होता है। इनका मकसद? सिर्फ मस्ती और सोशल मीडिया पर धमाल मचाना है। ये ट्रेंड ज्यादा तर नोएडा बेंगलुरु और दिल्ली जैसी प्लेसेज में एडॉप्ट किया जा रहा है। हाल ही में नोएडा में ऐसी पार्टी लैविश फेक वेंडिग पार्टी भी आर्गेनाइज हुई जिसकी Bookmyshow पर जाकर आप 1499 में बुक भी कर सकते थे।
शादी में ब्राइड ग्रूम के अलावा सब कुछ होगा
- जहां एक ओर सस्टेनेबल लाइफस्टाइल को फॉलो करने के लिए लोग रियल शादी को भी काफी सिंपल और इको फ्रेंडली बना रहे हैं वहीं दूसरी ओर ऐसे ट्रेंड्स में कंजंप्शन का बढ़ना तय है। क्योंकि इन फेक वेडिंग्स में भी वैसी ही भव्यता होती है जैसे असली शादियों में। एक दिन के लिए महंगे आउटफिट्स, ढेर सारे फूल, डेकोरेशन आइटम्स, और डिस्पोजेबल यूज-एंड-थ्रो चीजों का धड़ल्ले से इस्तेमाल होता है। ये सारी चीजें एक दिन बाद वेस्ट में चली जाती हैं और ज्यादातर लैंडफिल में।
- एक औसतन इंडियन वेडिंग जो करीब 3 दिन तक चलती है जिसमें पूरी वेडिंग के दौरान लगभग 250 टन CO₂ , 700 से 800 kg गीला कचरा और 1,500 kg सूखा कचरा जेनरेट होता है। भले ही एक फेक वेडिंग्स वाले इवेंट शादी जितने बड़े स्केल पर न किए जा रहे हों लेकिन इनका कार्बन फुटप्रिंट भी इसी के आसपास हो सकता है। क्योंकि भले ही एक दिन की शादी वाला इवेंट हो उसके लिए भी सेम डेकोरेशन, वेन्यू और खान पान लग जाता है।
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क्या है सस्टेनेबल ऑप्शन?
अब अगर आपको ट्रेंड भी फॉलो करना है और प्लैनेट के भी कंसीडर कर के चलना है तो इन फेक वेडिंग्स का कुछ सस्टेनेबल सॉल्यूशन निकालना होगा। भले ही ये बिना दुल्हा दुल्हन वाली शादियां देखने और सुनने में खूब मजेदार लगती हों लेकिन इनका प्लैनेट में गहरा असर पड़ सकता है।
- फेक वेडिंग सस्टेनेबल थीम पर रखी जा सकती है
- वेडिंग इवेंट में प्लास्टिक और सिंगल यूज प्लास्टिक को अवॉइड करने का रूल
- एंजॉयमेंट के साथ जेनरेट हुए वेस्ट को रिसाइकल करने की शपथ
- इवेंट में क्लीन एनर्जी यानी सोलर एनर्जी का यूज हो
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क्या बढ़ रहा है 'मोर इज मोर' कल्चर
- वहीं सोशल मीडिया में इन फेक वेडिंग्स को लेकर लोगों की यूजर्स की अलग अलग राय आ रही हैं, कई का मानना है कि इस ट्रैंड ने शादी को एक कमर्शियल इवेंट बना दिया है। अब शादी का मतलब सिर्फ दो लोगों का मिलन नहीं, बल्कि एक भव्य शो बन गया है। जब शादी असली नहीं, पर खर्चा और वेस्ट रियल से भी ज्यादा है, तो ये सवाल उठना लाजमी है क्या ये ट्रेंड सिर्फ एक्स्ट्रावेगेंजा को नॉर्मलाइज कर रहा है? चाहे फास्ट फैशन का ट्रेंड हो या फिर फेक वेडिंग ट्रेंड, इस तरह के सारे ट्रेंड्स हमारे प्लैनेट के लिए अलार्मिंग साबित हो सकते हैं।