Sheikh Hasina News: बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) इस बात से स्पष्ट रूप से नाखुश है कि देश छोड़ कर भागीं पूर्व पीएम शेख हसानी की भारत मेजबानी कर रहा है. बता दें बीएनपी शेख हसीना की अवामी लीग पार्टी की मुख्य प्रतिद्वंद्वी है. बीएनपी के वरिष्ठ पदाधिकारी गायेश्वर रॉय, ने ढाका से टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, ‘बीएनपी का मानना है कि बांग्लादेश और भारत को आपसी सहयोग करना चाहिए... भारतीय सरकार को इस भावना को समझना होगा और उसी के अनुसार व्यवहार करना होगा. लेकिन अगर आप हमारे दुश्मन की मदद करते हैं तो आपसी सहयोग का सम्मान करना मुश्किल हो जाता है. ’
बता दें सोमवार को शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें देश छोड़कर भारत भागना पड़ा. आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन की वजह से हसीना को यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा. प्रदर्शनकारी विवादास्पद आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे जिसके तहत 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में हिस्सा लेने वाले लड़ाकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान है.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक रॉय ने कहा, ‘हमारे पूर्व विदेश मंत्री (हसीना सरकार में) ने पिछले चुनावों से पहले यहां कहा था कि भारत शेख हसीना की सत्ता में वापसी में मदद करेगा. शेख हसीना की जिम्मेदारी भारत उठा रहा है...भारत और बांग्लादेश के लोगों को एक-दूसरे से कोई समस्या नहीं है. लेकिन क्या भारत को पूरे देश के बजाय एक पार्टी को बढ़ावा देना चाहिए?’
बीएनपी नेता उन सवालों का जवाब दे रहे थे जिनमें कहा गया था कि क्या बीएनपी भारत विरोधी पूर्वाग्रह रखती है. रॉय 1991 में बीएनपी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री थे और पार्टी की स्थायी समिति के सदस्य हैं, जो इसका सर्वोच्च निर्णय लेने वाला मंच है.
‘बीएनपी विभिन्न समुदायों के लोगों से बनी है’
हिंदुओं पर कथित हमलों की रिपोर्ट और बीएनपी के अल्पसंख्यक विरोधी होने की धारणा के बारे में पूछे जाने पर रॉय ने कहा, ‘एक धारणा बनाई गई है कि बीएनपी हिंदू विरोधी है. बीएनपी बांग्लादेश में विभिन्न समुदायों के लोगों से बनी है और सभी धर्मों के लिए खड़ी है. मैं इस पार्टी के शासन में मंत्री रहा हूं और बीएनपी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले मंच में काफी ऊंचा स्थान रखता हूं. बीएनपी एक राष्ट्रवादी पार्टी है लेकिन हम सभी समुदायों के व्यक्तिगत अधिकारों में विश्वास करते हैं.’
रॉय ने कहा, ‘जब मैं 1991 में मंत्री था, तब मैंने दुर्गा पूजा के लिए दान की व्यवस्था शुरू की थी और उसके बाद किसी भी सरकार ने इस नीति को बंद नहीं किया, यह अभी भी जारी है. यह हमारी पार्टी की सरकार थी जिसने इसे शुरू किया.’
‘हम भारत के खिलाफ नहीं हो सकते हैं’
बांग्लादेश का इस्तेमाल करके भारत को निशाना बनाने वाले आतंकवादी तत्वों की चिंता पर रॉय ने कहा, ‘यह फिर से एक धारणा है. सच्चाई नहीं है. भारत ने हमें स्वतंत्रता दिलाने में मदद की है... हम भारत के खिलाफ नहीं हो सकते.’
बीएनपी नेता ने कहा, टहम एक छोटे देश हैं, हमें अपने लोगों के लिए मेडिकल सुविधाओं और कई अन्य वस्तुओं चीजों के लिए भारत की जरूरत है, लेकिन इन मदों में भारत को बांग्लादेशियों से जो रेवेन्यू प्राप्त होता है, वह भी कोई छोटी राशि नहीं है.’
जमात-ए-इस्लामी से रिश्तों पर कही ये बात
बीएनपी और जमात-ए-इस्लामी के बीच समीकरण के बारे में पूछे जाने पर रॉय ने स्पष्ट किया कि ‘यह कोई वैचारिक रिश्ता नहीं है. यह एक समर्थन है, जिसका चुनावी राजनीति से संबंध है.’
रॉय ने कहा, ‘आवामी लीग आधिकारिक तौर पर जमात के साथ गठबंधन में थी. 2018 से 2024 तक हमारा (बीएनपी) जमात से कोई संबंध नहीं था. लेफ्ट था, राइट था, लेकिन जमात हमारे साथ नहीं थी. शेख हसीना ने जमात को अपने साथ मिला लिया. बाद में उन्होंने जमात का मुकाबला करने के लिए हिफाजत-ए-इस्लाम ग्रुप बनाया. आज वही हिफाजत अवामी लीग के खिलाफ सड़कों पर है. जमात चुनावों में विश्वास करती है.’
नई अंतरिम सरकार गठन प्रक्रिया पर रॉय ने कहा, ‘चूंकि छात्र डॉ. मोहम्मद यूनुस को नेता के रूप में चाहते थे और अंतरिम व्यवस्था के रूप में एक गैर-राजनीतिक सरकार चाहते थे, इसलिए बीएनपी ने पार्टी की ओर से कोई नाम सुझाया नहीं.’