25 years of Kargil war: किसी भी मां-बाप के लिए ये बेहद फक्र की बात होती है कि उसका बेटा देश की सेवा कर रहा है. सेना में भर्ती होने के बाद मां-बाप का लाल सिर्फ उनका बेटा नहीं रह जाता. वो पूरे देश का बेटा बन जाता है. देश की रक्षा और सुरक्षा के लिए ये जवान अपनी जान की परवाह किये बिना दुश्मनों से लड़ जाते हैं. कारगिल का युद्ध तब हुआ जब पाकिस्तान ने देश की सीमा पर बुरी नजर डाली. पाकिस्तानियों को सबक सिखाने के लिए हमारे देश के जवानों ने अपनी जान की बाजी लगा दी. इस दौरान देश ने 527 वीरों को खो दिया.
कारगिल युद्ध में सीकर के सात लाल शहीद हो गए थे. कारगिल विजय दिवस के अवसर पर इन शहीदों में से एक के परिजनों ने अपने लाल की आखिरी चिट्ठी लोगों के साथ साझा की. आज भी इस चिट्ठी को पढ़ते ही परजनों की आंखों से आंसू गिरने लगते हैं. चिट्ठी पढ़ने के बाद घरवाले उसके आने की राह देख रहे थे लेकिन घर पहुंची उसकी शहादत की खबर. हम बात कर रहे हैं सीकर के रहनावा के लांस नायक दयाचंद जाखड़ की. उनके आखिरी खत को पढ़कर आप भी रो पड़ेंगे.
लिखी थी ऐसी बात
दयाचंद जाखड़ कारगिल युद्ध में शहीद होने वाले जवानों में से एक थे. उन्होंने अपनी शाहदत से पहले घरवालों को चिट्ठी भेजी थी. इस चिट्ठी में उन्होंने लिखा था कि वो 15 जून को घर आने वाले हैं. साथ ही उन्होंने अपने माता-पिता के साथ ही पूरे परिवार का हालचाल भी पूछा था. घरवाले ये जानकर बेहद खुश थे कि उनका लाल जल्द घर आने वाला है. लेकिन 15 को ही उन्हें खबर मिली कि अब उनका लाल शहीद हो गया है.
कई परिजनों ने शेयर की चिट्ठियां
कारगिल विजय दिवस के अवसर पर कई परिजनों ने अपने लाल की आखिरी चिट्ठी शेयर की. पलसाना निवासी शहीद सीताराम ने भी शाहदत से सवा महीने पहले अपने घरवालों को चिट्ठी लिखी थी. उन्होंने अपने परिवार का हालचाल लिया था. साथ ही ये भी कहा था कि अगर कोई भी समस्या हो तो वो उन्हें चिट्ठी लिख सकते हैं. बेटे ने अपने घरवालों को पैसे के लिए परेशान ना होने की बात लिखी थी. वहीं सेवड़ बड़ी निवासी शहीद बनवारी लाल बगड़िया ने अपनी पत्नी को लिखा था कि ये उनका आखिरी खत होगा. इसके बाद वो कोई खत नहीं लिखेंगे. और ये बात सच साबित हो गई.
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FIRST PUBLISHED :
July 26, 2024, 13:11 IST