NRI कोटा और मैनेजमेंट कोटा के बीच क्या अंतर है? किसमें मिलेगा ज्यादा फायदा?

20 hours ago

नई दिल्ली (NRI Quota vs Management Quota). मैनेजमेंट कोटा और एनआरआई कोटा निजी और डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ में एडमिशन के लिए आरक्षित सीटें हैं. एनआरआई कोटा और मैनेजमेंट कोटा के बीच कई अंतर हैं. हायर एजुकेशन के लिए किसी कॉलेज या यूनिवर्सिटी में एडमिशन से पहले आपको एनआरआई कोटा और मैनेजमेंट कोटा के बीच अंतर पता होने चाहिए. इससे आप सही कोटा का इस्तेमाल करके अपनी सीट सुनिश्चित कर पाएंगे.

जब स्टूडेंट्स को अपने 12वीं के मार्क्स या एंट्रेंस एग्जाम के रिजल्ट के आधार पर किसी संस्थान में एडमिशन नहीं मिल पाता है तो वे कोटा का इस्तेमाल करते हैं. अन्य रिजर्व्ड कोटा के साथ ही मैनेजमेंट कोटा और एनआरआई कोटा भी अक्सर चर्चा में रहते हैं. ज्यादातर लोगों को एनआरआई कोटा और मैनेजमेंट कोटा के बीच अंतर नहीं पता है. अगर आप इस साल किसी संस्थान में एडमिशन लेने वाले हैं तो जानिए मैनेजमेंट और एनआरआई कोटा क्या हैं और इनके बीच के प्रमुख अंतर.

एनआरआई कोटा और मैनेजमेंट कोटा क्या हैं?

What is Management Quota: मैनेजमेंट कोटा निजी संस्थानों में 20-40% सीटें होती हैं. कॉलेज मैनेजमेंट अपने हिसाब से इन पर एडमिशन देता है. यह कोटा भारतीय नागरिकों के लिए है. इसका लाभ उठाने के लिए प्रवेश परीक्षा (यदि लागू हो) में न्यूनतम अंक चाहिए. कोई विशेष स्टेटस (जैसे डोमिसाइल) ज़रूरी नहीं है. फीस सामान्य सीटों से अधिक होती है.

What is NRI Quota: एनआरआई कोटा 10-15% सीटें NRI, OCI, PIO या उनके प्रायोजित भारतीय नागरिकों के लिए होती हैं. इसके लिए NRI स्टेटस (पासपोर्ट, वीज़ा, प्रायोजक का प्रमाण) ज़रूरी है. फीस बहुत ज्यादा और अक्सर USD या उसके समकक्ष रुपयों में जमा करनी होती है. इस पर एडमिशन काउंसलिंग या कॉलेज प्रक्रिया से होता है.

एनआरआई कोटा और मैनेजमेंट कोटा के बीच अंतर

एनआरआई कोटा और मैनेजमेंट कोटा के बीच अंतर को विभिन्न फैक्टर्स के आधार पर समझ सकते हैं-

पात्रता मानदंड

मैनेजमेंट कोटा: इसके लिए सिर्फ भारतीय नागरिक पात्र हैं. 12वीं में न्यूनतम 50% अंक (PCB/सामान्य विषयों में, कोर्स के आधार पर) और अगर लागू हो तो प्रवेश परीक्षा (जैसे NEET, JEE, CAT) में क्वॉलिफाइंग मार्क्स होने चाहिए. डोमिसाइल या NRI स्टेटस की ज़रूरत नहीं है.

एनआरआई कोटा: NRI, OCI, PIO या NRI द्वारा प्रायोजित भारतीय नागरिक पात्र हैं. अगर उम्मीदवार NRI नहीं है तो प्रायोजक (माता-पिता, भाई-बहन या प्रथम डिग्री रिश्तेदार का NRI स्टेटस (पासपोर्ट, वीज़ा, रोजगार प्रमाण) जरूरी है. इसके लिए 12वीं में 50% अंक और प्रवेश परीक्षा में क्वॉलिफाइंग मार्क्स होने चाहिए.

सीटों का प्रतिशत और उपलब्धता

मैनेजमेंट कोटा: निजी कॉलेजों में 20-40% और डीम्ड यूनिवर्सिटीज़ में 85% तक सीटें. कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज (मणिपाल), SRM यूनिवर्सिटी (चेन्नई), VIT (वेल्लोर) और JSS मेडिकल कॉलेज (मैसूर) जैसे निजी और डीम्ड संस्थानों में एमबीबीएस, बीडीएस, बीटेक, एमबीए, लॉ, बीएएमएस आदि कोर्सेस में एडमिशन ले सकते हैं.

एनआरआई कोटा: निजी और डीम्ड कॉलेजों में 10-15% सीटें; कुछ सरकारी कॉलेजों (हरियाणा, पंजाब, राजस्थान) में भी इसके तहत एडमिशन ले सकते हैं. इंजीनियरिंग में NITs, IIITs और SPAs में DASA/CIWG स्कीम में दाखिला लिया जा सकता है.

फीस संरचना

मैनेजमेंट कोटा: सामान्य मेरिट सीटों से 3-4 गुना अधिक फीस देनी होती है.

उदाहरण: MBBS में ₹10-25 लाख/वर्ष; इंजीनियरिंग में ₹3-10 लाख/वर्ष. इस फीस का भुगतान भारतीय करेंसी यानी रुपये में करना होगा.

NRI कोटा: इसकी लागत सामान्य सीटों से 5-10 गुना तक होती है.

उदाहरण: MBBS में $25,000-$75,000/वर्ष; इंजीनियरिंग में $6,000-$20,000/वर्ष. इसका भुगतान USD या समकक्ष रुपये में करना होता है.

प्रवेश प्रक्रिया

मैनेजमेंट कोटा: स्टेट काउंसलिंग या कॉलेज द्वारा डायरेक्ट एडमिशन मिल सकता है. इसके लिए 12वीं मार्कशीट, प्रवेश परीक्षा स्कोरकार्ड, ID प्रूफ, ट्रांसफर सर्टिफिकेट जैसे डॉक्यूमेंट्स लगाने होंगे. इसमें कॉम्पिटीशन ज्यादा है क्योंकि भारतीय उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा होती है.

एनआरआई कोटा: MCC (डीम्ड यूनिवर्सिटीज़) या स्टेट काउंसलिंग के जरिए दाखिला मिलेगा. NRI स्टेटस वेरिफिकेशन भी जरूरी है. NRI स्टेटस प्रूफ (पासपोर्ट, वीजा, रोजगार पत्र), स्पॉन्सरशिप एफिडविट, 12वीं मार्कशीट, प्रवेश परीक्षा स्कोर जैसे डॉक्यूमेंट्स लगाने होंगे. NRI उम्मीदवार सीमित होने से प्रतिस्पर्धा कम है.

मैनेजमेंट कोटा के फायदे और नुकसान

फायदे: कम अंकों पर टॉप निजी कॉलेजों में एडमिशन, कोई विशेष स्टेटस की ज़रूरत नहीं.
नुकसान: अधिक फीस; प्रतिस्पर्धा अधिक.

एनआरआई कोटा के फायदे और नुकसान

फायदे: कम प्रतिस्पर्धा; सरकारी और निजी कॉलेजों में मौका; CIWG स्कीम में कम फीस.
नुकसान: बहुत अधिक फीस; NRI स्टेटस या प्रायोजक की अनिवार्यता.

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