अभी दो राज्यों महाराष्ट्र और झारखंड में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. झारखंड में तो पहले चरण का चुनाव हो भी गया और इस बार पिछली बार के मुकाबले 3 प्रतिशत से ज्यादा वोट पड़े.
कहने को तो इन चुनावों में कई मुद्दे हैं लेकिन जमीनी हकीकत ये है कि पूरा चुनाव 360 डिग्री घुमकर एक ही मुद्दे पर आ गया है. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने एक नारा उछाला था ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ जिसे बीजेपी ने हाथों हाथ लपक लिया है और ये कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि दोनों राज्यों का चुनाव इसी नारे के इर्द गिर्द घूम रहा है. इस नारे की गूंज से विपक्षी खेमे में भी बड़ी हलचल है. विपक्षी नेता अब तक ना तो इस नारे का काट ढूंढ़ पाए हैं और ना ही जनता का ध्यान इस नारे से भटका पा रहे हैं. विपक्षी दल खासकर कांग्रेस की पूरी कोशिश इस बात को लेकर है कि मुस्लिम वोट बंटने ना पाए वहीं दूसरी ओर वो जातीय गणना की बात भी कर रही है. बीजेपी आरोप लगा रही है कि कांग्रेस मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है और हिन्दुओं को जाति के नाम पर वो बांटने की कोशिश कर रही है. यानी एक बात तो साफ है कि जहां बीजेपी हिन्दुओं को जाति के नाम पर बंटने से रोकने की पुरजोर कोशिश कर रही है वहीं कांग्रेस मुस्लिम वोटबैंक को और मजबूत करने में जोर शोर से जुटी है. इसकी वजह से चुनावी राजनीति इन्हीं दो ध्रुवों में बंटती दिख रही है और बाकी मुद्दे गौण हो गए हैं.
दरअसल हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने हिन्दुओं की हर जाति को साधने की जो कोशिश की उसमें वो कामयाब रही. कांग्रेस उस चुनाव में अपनी जीत को लेकर बहुत आश्वस्त थी लेकिन हरियाणा विधानसभा के चुनावी नतीजे ने उसे बड़ा झटका देते हुए लोकसभा चुनाव में मिले एडवांटेज को भी खत्म कर दिया. लोकसभा चुनाव में कांग्रेस अपनी सीट तो बढ़ाने में सफल रही ही साथ ही बीजेपी को बहुमत के आंकड़े से नीचे रोककर उसने चुनावी हवा के एकतरफा रुख को रोक दिया था. मगर 4 महीने में ही हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे ने कांग्रेस की गाड़ी को फिर से पटरी से उतार दिया. हरियाणा में मिली जीत से बीजेपी को एक बात समझ में आ गई कि उसके तुरुप का सबसे बड़ा इक्का हिन्दुत्व कार्ड ही है. सो वो अब खुलकर हिन्दुत्व की पिच पर बैटिंग कर रही है. वहीं मुस्लिम वोटबैंक को मजबूत बनाने में जुटी कांग्रेस को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का नारा बहुत नागवार गुजर रहा है. हालांकि इस नारे के सफल लॉन्च के बाद बीजेपी ‘एक हैं तो सेफ हैं…एक हैं तो नेक हैं’ जैसे दूसरे स्लोगन भी आजमा रही है.
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BJP क्यों बमबम?
बीजेपी की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा संभाला हुआ है. इनके चुनावी भाषण के केंद्र में हिन्दुत्व है और ये लगातार मुस्लिम घुसपैठिए, इस्लामिक जिहाद के खतरे की बात जनता के सामने रख रहे हैं. केंद्रशासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने के बाद अब बीजेपी अनुच्छेद 370 को लेकर भी काफी आक्रामक है. ये वो मुद्दे हैं जिसको लेकर कांग्रेस घिरी नजर आती है. लेकिन कांग्रेस इस बात को लेकर आश्वस्त नजर आती है कि दो धाराओं में बंटी इस राजनीति में मुस्लिम वोट उसे ही मिलेंगे. यहां ये याद दिलाना जरूरी है कि 2014 लोकसभा चुनाव में करारी हार का जब कांग्रेस ने पोस्टमॉर्टम किया था तब उसे लगा कि मुस्लिम की ओर ज्यादा झुकाव का होने का खामियाजा उसे भुगतना पड़ा . हालांकि 10 साल बाद अब कांग्रेस इससे काफी आगे निकल चुकी है और बार बार आरोप लगने के बाद भी वो मुस्लिम समुदाय की ओर झुकी नजर आती है. इसलिए जब भी कोई ऐसा मुद्दा आता है तो कांग्रेस मुस्लिमों के साथ खड़ी होती है और इसी बात को भुनाकर बीजेपी 2014 और 2019 वाली स्थिति में वापस जाना चाहती है.
…जब फिसली भाजपा
80 के दशक के आखिरी सालों से बीजेपी का राजनीतिक ग्राफ बढ़ना शुरू हुआ था और उसमें हिन्दुत्व फैक्टर का सबसे बड़ा रोल था. लेकिन जब 1990 के दशक में केंद्र में एनडीए की गठबंधन सरकार बनी तो बीजेपी धीरे धीरे अपने हिन्दुत्व के मुद्दे से पीछे हटती दिखी. इसका खामियाजा उसे 2004 के लोकसभा में भुगतना पड़ा. 10 साल तक सत्ता से बाहर रहने के बाद बीजेपी 2014 में फिर से हिन्दुत्व के मुद्दे पर आक्रामक दिखी और पहली बार अपने दम पर बहुमत की सरकार बनाने में सफल रही. 10 साल तक सत्ता में रहने के बाद बीजेपी फिर से अपने कोर मुद्दे को लेकर थोड़ी नरम दिखी. बीजेपी ने इस बार ‘सबका साथ, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ जैसे नारे को आम जनता के बीच लेकर गई. लेकिन मुस्लिम मतदाताओं ने इसे पूरी तरह नकार दिया. बीजेपी को मुस्लिम वोट तो नहीं ही मिले, उसके कैडर भी थोड़े नाराज दिखे जिसकी वजह से 2024 लोकसभा में बीजेपी अपने दम पर बहुमत लाने में नाकाम रही. 4 जून 2024 को आए नतीजे ने जैसे बीजेपी की आंखें फिर से खोल दी. हरियाणा विधानसभा चुनाव में बीजेपी हिन्दुत्व के मुद्दे पर फ्रंट फुट पर खेली तो नतीजा उसके पक्ष में आया. इसका असर ये हुआ कि अब झारखंड और महाराष्ट्र के विधानसभा के चुनावों में भी बीजेपी हिन्दुत्व के मुद्दे पर आक्रामक है और कांग्रेस इसे लगातार काउंटर करने की कोशिश कर रही है.
ऐसे में लाख टके का सवाल ये कि क्या बीजेपी ने सत्ता पाने का अपना पुराना ‘ब्रह्मास्त्र’ फिर से पा लिया है और क्या हरियाणा के बाद झारखंड-महाराष्ट्र में भी ये कारगर साबित होगा?
Tags: Assembly elections, BJP, News
FIRST PUBLISHED :
November 14, 2024, 22:05 IST